सत्ता के लिए पुत्रमोह त्यागने को तैयार नेताजी

नगर निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी करनेवालों को तीसरा बच्चा अब लगने लगा है बोझ अभिमन्यु कुमार साहा पटना : राज्य में सियासी दंगल में हर दावं-पेच जायज समझा जाता है. लेकिन, आज के नेताओं पर सत्ता मोह का रंग इतना चढ़ चुका है कि वे पुत्रमोह तक त्यागने को तैयार हैं. ऐसा नजारा आज-कल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2017 7:41 AM
नगर निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी करनेवालों को तीसरा बच्चा अब लगने लगा है बोझ
अभिमन्यु कुमार साहा
पटना : राज्य में सियासी दंगल में हर दावं-पेच जायज समझा जाता है. लेकिन, आज के नेताओं पर सत्ता मोह का रंग इतना चढ़ चुका है कि वे पुत्रमोह तक त्यागने को तैयार हैं. ऐसा नजारा आज-कल सूबे के निर्वाचन दफ्तरों में देखने को मिल रहा है. नगर निकाय चुनाव लड़ने की हसरत रखने वालों को तीसरा बच्चा अब बोझ लगने लगा है.
वे अपने तीसरे बच्चे को गोद देकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. पटना, बिहारशरीफ, रक्सौल आदि निर्वाचन कार्यालयों से बातचीत में इसकी पुष्टि हुई है. अधिकारियों ने बताया कि हर दिन दो-चार लोग इस तरह के नियमों की पड़ताल करने कार्यालय पहुंच रहे हैं. पटना सदर की निर्वाचन शाखा में शनिवार को प्रत्याशी बनने की चाहत रखने वाला एक सज्जन यहां पहुंचते हैं.
काम में व्यस्त पदाधिकारी का ध्यान आकर्षित करते हुए बिना हिचके पूछते हैं ‘ सर… क्या तीसरे बच्चों को कानूनी रूप से गोद दे दें तो चुनाव लड़ने की योग्यता मिल जायेगी…?’ इसी तरह रक्सौल निर्वाचन शाखा में भी हर दिन चार से पांच लोग इस तरह के सवालों को लेकर रोज पहुंच रहे हैं. रक्सौल नगर परिषद में निर्वाचन कार्यों का संचालन कर रहे अवर निर्वाचन पदाधिकारी कपिल शर्मा बताते हैं कि वह इस तरह के सवालों से रोज दो-चार हो रहे हैं. पटना जिले के उप निर्वाचन पदाधिकारी अशोक प्रियदर्शी भी कहते हैं, ‘हर दिन कोई न कोई इस तरह का सवाल करता है. ऐसे लोगों में उनकी संख्या ज्यादा है, जो पहली बार चुनाव में किस्मत आजमाने की सोच रखते हैं. ऐसा लोगों को हमें विस्तार से सझाना पड़ता है कि एेसा संभव नहीं हो सकता है.’
आखिर क्या है नियम : बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के मुताबिक अगर किसी नागरिक को 4 अप्रैल, 2008 के बाद तीसरा, चौथा या इससे अधिक संतानें हुई हैं, तो वह नगरपालिका निर्वाचन में अभ्यर्थी नहीं हो सकता है. चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अधिकतम दो संतान ही होने चाहिए. अगर एक ही बार में जुड़वां या इससे ज्यादा संतान होने से संतानों की संख्या बढ़ी है, तो यह नियम उन पर लागू नहीं होगा.
स्पष्टता नहीं होने से परेशानी : चुनाव आयोग द्वारा जिलों को जारी नियमावली में इसका जिक्र नहीं है कि तीसरे संतान को गोद देने के बाद क्या कोई चुनाव लड़ने की योग्यता प्राप्त कर सकता है. ऐसे में चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले प्रत्याशी नियमों में उलझ निर्वाचन कार्यालय पहुंच रहे हैं. वे पहले नियमों की कॉपी दिखाने की मांग कर रहे हैं उसके बाद बहस पर उतारू हो रहे हैं.
गोद देने से नहीं होंगे योग्य
तीसरे या उससे अधिक बच्चे को गोद देने से कोई चुनाव लड़ने की योग्यता प्राप्त नहीं कर सकता. मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि गोद देने की प्रक्रिया चाहे कानूनन क्यों न हो. गोद देने के बाद भी कानूनी रूप से वह उस बच्चे का पिता होता है. जिनका भी 4 अप्रैल, 2008 के बाद तीसरे संतान को जन्म दिया है वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
– दुर्गेश नंदन, सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग

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