चीन व पाक का गंठजोड़ सबसे बड़ा खतरा : सिन्हा
पटना : आज भी भारत दुनिया में उतना ही अकेला है, जितना बहुत पहले से था. देश को सबसे अधिक खतरा चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ से है. आनेवाले दिनों में हमें इससे सावधान रहना पड़ेगा. रविवार को गांधी संग्रहालय में आयोजित रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान में इंडियाज फॉरेन पॉलिसी एट द क्रॉस रोड्स विषय […]
पटना : आज भी भारत दुनिया में उतना ही अकेला है, जितना बहुत पहले से था. देश को सबसे अधिक खतरा चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ से है. आनेवाले दिनों में हमें इससे सावधान रहना पड़ेगा. रविवार को गांधी संग्रहालय में आयोजित रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान में इंडियाज फॉरेन पॉलिसी एट द क्रॉस रोड्स विषय पर व्याख्यान देते हुए पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप हो या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का मामला, हमें तब तक कुछ नहीं हासिल होगा, जब तक दुनिया को खुद हमारी जरूरत नहीं महसूस हो. जब अन्य बड़े राष्ट्रों को लगेगा कि हमारे बिना काम नहीं चल सकता, तभी वे हमें ये अधिकार देंगे. ऐसा तभी संभव है, जब हम आर्थिक विकास के रास्ते पर तेजी से चलें और खुद को आर्थिक महाशक्ति बना लें.
व्याख्यान में यशवंत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी दो टूक राय रखते हुए कहा कि इससे हमें खुद ही लड़ना होगा. कोई दूसरा हमारी रक्षा करने नहीं आयेगा. इसके विरुद्ध हमें वैसे ही सुरक्षा प्रबंध करने चाहिए, जैसे कि दुनिया के कुछ अन्य देशों ने अपने लिये किया है, भले ही उस पर जितना भी खर्च करना पड़े. वैश्वीकरण पर दुनिया के बड़े देशों के बदलते नजरिये पर व्यंग्य करते हुए यशवंत ने कहा कि जब तक यह विकसित राष्ट्रों के पक्ष में था, सही था. लेकिन जब से यह विकासशील देशों की तरफ देखने लगा, गलत हो गया.
बांग्लादेश व नेपाल के साथ संबंधों पर प्रकाश डालते हुए यशवंत ने कहा कि सीमा समझौता हो जाने और तिस्ता जल विवाद पर सकारात्मक बातचीत के कारण बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध में पिछले दिनों सुधार आया है. लेकिन नेपाल के साथ तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद अब तक हमारे संबंध पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाये हैं. हमारे बीच के तनातनी का फायदा उठाने का प्रयास चीन बार-बार करता रहता है. विदेश नीति में परिवर्तन और रूस की बजाय अमेरिका के तरफ उन्मुख होते समय हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि हम उसकी गिरफ्त में न आएं. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद ने व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज दुनिया उसी का सम्मान करती है, जो बड़ी आर्थिक शक्ति है. आर्थिक विकास से ही देश की सैन्य शक्ति भी बढ़ेगी और चहुंमुखी विकास होगा. व्याख्यान को सुनने के लिए बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी मौके पर मौजूद थे.