खुशखबरी ! बिहार रियल इस्टेट एक्ट मई से खरीदारों के हित की होगी रक्षा
पटना : राज्य में एक मई से बिहार रियल इस्टेट एक्ट (2017) लागू किया जायेगा. इसमें खरीदारों के हित का पूरा ख्याल रखा जायेगा और बिल्डर सिर्फ कारपेट एरिया की ही बिक्री कर सकेंगे. खरीदार को कोई भी भ्रम नहीं रहेगा कि वह बिल्डर से सुपर बिल्टअप एरिया की खरीद करे या कारपेट एरिया की. […]
पटना : राज्य में एक मई से बिहार रियल इस्टेट एक्ट (2017) लागू किया जायेगा. इसमें खरीदारों के हित का पूरा ख्याल रखा जायेगा और बिल्डर सिर्फ कारपेट एरिया की ही बिक्री कर सकेंगे. खरीदार को कोई भी भ्रम नहीं रहेगा कि वह बिल्डर से सुपर बिल्टअप एरिया की खरीद करे या कारपेट एरिया की. इसकी जानकारी नगर विकास व आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हुई विभागीय समीक्षा के बाद दी. मुख्यमंत्री ने एक्ट को लेकर बुधवार को अपने आवास पर नगर विकास व आवास विभाग की समीक्षा की.
उन्होंने रियल इस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 पर और इस एक्ट के आधार पर बनाये जा रहे बिहार रियल इस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट 2017 के प्रारूप पर चर्चा की. नगर विकास आवास विभाग को मुख्यमंत्री ने अरबन इंजीनियरिंग ऑर्गनाइजेशन बनाने का निर्देश दिया है.
नगर विकास विभाग इंजीनियरिंग का अपना कैडर बनाये, ताकि डेडिकेटेड इंजीनियरिंग विंग स्थापित हो सके और ये इंजीनियर इसी विभाग के लिए काम कर सकें. इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी भी जतायी और कहा कि वे 2007 से ही इसके लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें देरी हो रही है. बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर कुमार सिन्हा, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
सभी प्रोजेक्टों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा आवश्यक
बिहार रियल इस्टेट एक्ट (2017) में चाहे वह प्रोजेक्ट आवासीय हो या व्यावसायिक, उसका रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक हो जायेगा. डेवलपर को अपने प्रोजेक्ट के प्रोमोटर के नाम को सार्वजनिक करना होगा. साथ ही बिल्डर को प्रोजेक्ट का लेआउट, विकास योजना के लिए किये जाने वाले काम, जमीन की स्थिति, वैधानिक मंजूरी की स्थिति, बिल्डर व खरीददार का एग्रीमेंट, रियल इस्टेट के एजेंट का नाम, कांट्रेक्टर का नाम, आर्किटेक्ट का नाम और इंजीनियर का नाम रियल इस्टेट ऑथिरिटी को बताना होगा. इन सभी सूचनाओं को ऑथिरिटी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगी.
साथ ही इसे ऑथिरिटी अपडेट करती रहेगी. इसमें यह बताया जायेगा कि कितने फ्लैटों की बिक्री की गयी और निर्माण काम की प्रगति कितनी हुई. साथ ही ऑथिरिटी द्वारा बिल्डर व खरीदार के बीच बिक्री व एग्रीमेंट का पत्रको प्रोजेक्ट के रजिस्ट्री के समय सौंपा जाना अनिवार्य होगा. इसके लिए हर प्रोजेक्ट के लिए स्क्राव एकाउंट खोलना होगा.
इस खाते के माध्यम से 70 फीसदी राशि का संग्रह किया जायेगा. कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि संरचना में किसी तरह के बदलाव के लिए दो-तिहाई खरीदारों की सहमति लेनी आवश्यक होगी. इसमें दंड का भी प्रावधान किया गया है. यह पूरे प्रोजेक्ट का पांच फीसदी होगा. अगर बिल्डर प्रोजेक्ट को आधे अधूरे में छोड़ देता है तो खरीदारों को अधिकार होगा कि वह फ्लैट लेने से इनकार कर अपनी राशि सूद सहित वापस ले सकते हैं. खरीदार ऑथिरिटी से अनुरोध कर सकते हैं कि वह किसी दूसरे डेवलपर से उसका निर्माण करायें.