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2019 तक बनेंगे पूर्वी व पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

2016–17 में 1107.1 मिलियन टन का हुआ रिकार्ड लदान पटना : रेलवे के दोनों प्रस्तावित डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (पूर्वी एवं पश्चिमी) वर्ष 2019 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. इन कॉरिडोरों के कार्यों को तीव्र गति से कराने के लिए वर्ष 2015-16 में 24 हजार करोड़ रुपये के ठेके आवंटित किये गये. कार्य […]

2016–17 में 1107.1 मिलियन टन का हुआ रिकार्ड लदान
पटना : रेलवे के दोनों प्रस्तावित डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (पूर्वी एवं पश्चिमी) वर्ष 2019 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. इन कॉरिडोरों के कार्यों को तीव्र गति से कराने के लिए वर्ष 2015-16 में 24 हजार करोड़ रुपये के ठेके आवंटित किये गये. कार्य में तेजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इससे पहले के पांच वर्षों (वर्ष 2009-2014) तक प्रतिवर्ष औसतन केवल 26 सौ करोड़ रुपये के ठेके आवंटित किये जाते थे. नये फ्रेट कॉरिडोर चालू हो जाने पर बंदरगाहों से शेष भारत का सीधा जुड़ाव हो जायेगा, जिससे आयातित एवं निर्यातित माल की ढुलाई में सुगमता होगी.
रोल ऑन रोल ऑफ सुविधा पर बल : पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ अरविंद कुमार रजक ने बताया कि पिछले दो वर्षों में माल लदान बढ़ा है. मार्च, 2017 में अब तक सबसे अधिक कंटेनल लोडिंग 4.47 मिलियन टन प्राप्त की गयी. इससे पूर्व जनवरी, 2015 में 4.29 मिलियन टन के कंटेनर की ही लोडिंग हुई थी. ग्राहकों की सुविधा हेतु रोड रेलर व रोल-ऑन-रोल-ऑफ पर और अधिक बल दिया गया. मालभाड़ा यातायात के क्षेत्र में किये प्रयत्नों के कारण वर्ष 2016–17 में अब तक सर्वश्रेष्ठ समग्र लदान 1107.1 मिलियन टन दर्ज किया गया.
वर्ष के दौरान अब तक सर्वश्रेष्ठ 137.2 मिलियन टन ‘आयरन ओर‘ की लदान की गयी. स्टील की लदान भी अब तक की सर्वश्रेष्ठ 48.3 मिलियन टन रही. इसी प्रकार इस्पात संयंत्रें हेतु कच्चा माल 21.1 मिलियन टन व अन्य मालभाड़ा 79.9 मिलियन टन अब तक की सर्वश्रेष्ठ रही. कोल इण्डिया लिमिटेड ने वर्ष 2016–17 में अब तक की सबसे अधिक कोयले की लदान 223 रेक प्रतिदिन लोड की गयी. वर्ष 2015–16 में 212.8 रेक प्रतिदिन लोड किये गये थे.
कोल कंपनियों के कम उत्पादन से पूमरे रहा प्रभावित : जहां तक पूर्व मध्य रेल का सवाल है अप्रैल से अक्तूबर, 2016 तक लोडिंग पिछले वर्ष से कम था. इसका कारण
मुख्य रूप से कोयला कंपनियों (बीसीसीएल, सीसीएल और एनसीएल) द्वारा कम उत्पादन तथा अप्रैल से अक्तूबर तक पूर्व मध्य रेल से जुड़े ऊर्जा गृहों द्वारा कम मांग रही है. इनके अलावा लंबे समय तक वर्षा के कारण कम कोयला उत्पादन, माओवादियों द्वारा बंद, आंदोलन एवं हड़ताल से भी माल लदान प्रभावित रही.
इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अक्तूबर , 2016 से मार्च, 2017 तक मांग में बढ़ोतरी एवं रेलवे द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों के फलस्वरूप वित्तीय वर्ष 2015–16 के लदान 114.93 मिलियन टन को पार करते हुए वित्तीय वर्ष 2016–17 के अंत तक कुल 116.01 मिलियन टन का माल लदान किया गया जो वित्तीय वर्ष 2015–16 की तुलना में 0.94 प्रतिशत अधिक है.

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