वैशाली महोत्सव में एलिसा के शास्त्रीय नृत्य पर झूमे दर्शक

वैशाली महोत्सव 2017 के तीसरे एवं अंतिम दिन मंगलवार को महोत्सव के मुख्य पंडाल में उपस्थित दर्शकों का कलाकारों ने भरपूर आनंद किया. मंच पर नामचीन कलाकारों ने अपनी एक से बढ़ कर एक प्रस्तुति से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया. कलाकारों के नृत्य- संगीत एवं तबलों की थाप पर दर्शक झूम उठे. पूरा पंडाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2017 7:07 AM
वैशाली महोत्सव 2017 के तीसरे एवं अंतिम दिन मंगलवार को महोत्सव के मुख्य पंडाल में उपस्थित दर्शकों का कलाकारों ने भरपूर आनंद किया. मंच पर नामचीन कलाकारों ने अपनी एक से बढ़ कर एक प्रस्तुति से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया. कलाकारों के नृत्य- संगीत एवं तबलों की थाप पर दर्शक झूम उठे. पूरा पंडाल रह-रहकर तालियां की गूंज से गुंजायमान हो जा रहा था.
कार्यक्रम की शुरुआत स्थानीय कलाकार राकेश कुमार और रिंकी कुमारी के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम से की गयी. कार्यक्रम में एलिसा दीप गर्ग ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. बिहार में हुए शराबबंदी के मुद्दे को संगीत के रूप में प्रस्तुत किया गया. कमाल कइले बा हो, कमाल कइले बा, शराब बंदी योजना कमाल कइले बा… जब -जब बंद भइल दारू के दुकनिया, घर- घर दीप जलल, खुश भइल दुनिया… गीत लोगों को ना सिर्फ झूमा दिया, बल्कि शराब से होने वाले नुकसानों को भी अपने गीतों के जरिये जन-जन को समझाने का प्रयास किया गया.
वहीं, इनके द्वारा गाये गीत अमवा महुअवा के झूमे डरिया, तनि ताक न बलमुआ हमार ओरिया… पर दर्शकों की खूब तालियां बिटोरी. पटना दूरदर्शन के कलाकार अशोक कुमार द्वारा किये गये तबला वादन से दर्शक भाव विभोर हो गये. इसके बाद कनिष्का एवं नवाषना द्वारा काव्य पाठ अभी मैं बच्ची हूं, हमें नहीं किसी से सरोकार की…प्रस्तुति की गयी. इसके बाद कई छोटी-छोटी बच्चियों द्वारा बुद्धम शरणं गच्छामि पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया गया. इसको दशकों ने काफी सराहा. वहीं स्थानीय कई महिला कलाकारों द्वारा पारंपरिक गीत की प्रस्तुति ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया.

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