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मैं कर रहा था आत्मदाह, प्रशासन देख रहा था तमाशा : सूरज
पटना : आत्मदाह करने की सूचना हमने लिखित में मोतिहारी प्रशासन को दी थी. जिला प्रशासन से लेकर पुलिस के जिम्मेवार अधिकारियों को पता था कि तय तारीख के अनुसार धरने पर बैठे चीनी मिल के कर्मचारी आत्मदाह करने जा रहे हैं. लेकिन, हमारी बातों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. घटनास्थल पर पुलिस […]
पटना : आत्मदाह करने की सूचना हमने लिखित में मोतिहारी प्रशासन को दी थी. जिला प्रशासन से लेकर पुलिस के जिम्मेवार अधिकारियों को पता था कि तय तारीख के अनुसार धरने पर बैठे चीनी मिल के कर्मचारी आत्मदाह करने जा रहे हैं. लेकिन, हमारी बातों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. घटनास्थल पर पुलिस फोर्स लगा दी गयी थी, लेकिन जब हम लोग जल रहे थे, तब प्रशासन तमाशा देख रहा था. यह कहना है पीएमसीएच में भरती सूरज बैठा का. जिंदगी और मौत से जूझ रहे सूरज का इलाज पीएमसीएच के बर्न वार्ड में चल रहा है. डॉक्टरों का दावा है कि सूरज को बचा लिया जायेगा, लेकिन उसकी रिकवरी में काफी समय लगेगा. क्योंकि, वह 55 प्रतिशत तक जल चुका है. सूरज ने बताया कि अगर सरकार ध्यान नहीं देगी, तो वहां कई ऐसे मजदूर व कर्मचारी हैं, जो आत्मदाह कर लेंगे.
वेतन नहीं मिलने के कारण कर्ज में डूबा था नरेश
आत्मदाह के दौरान पूरी तरह से झुलस चुके नरेश श्रीवास्तव की मंगलवार की सुबह चार बजे मौत हो गयी. इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि नरेश काफी जल चुका था. सिर से पांव तक वह जल गया था. हालांकि, डॉक्टरों ने उसे बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन अंत में नरेश की मौत हो गयी. बॉडी देख पत्नी व भाई का बुरा हाल हो रहा था. मृतक की पत्नी ने बताया कि 132 महीने से वेतन भुगतान नहीं हो रहा था. कई माह से वेतन नहीं मिलने के चलते परिवार कर्ज में डूब गया था, नतीजा मौत का सामना करना पड़ा. पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया.
क्या कहते हैं डॉक्टर
इलाज कर रहे पीएमसीएच के डॉ बीपी चौधरी ने बताया कि नरेश का शरीर काफी जल चुका था. जिसे काफी बचाने का प्रयास किया गया. वहीं, सूरज बैठा भी करीब 55 प्रतिशत तक जल चुका है. उसके शरीर का अधिकतर हिस्सा जल चुका है. जिसका इलाज चल रहा है. उम्मीद है कि उसे बचा लिया जायेगा.
यह है मामला
बकाया मजदूरी, गन्ना किसानों के बकाये भुगतान व बंद मिल चालू करने की मांग को लेकर मोतिहारी शुगर मिल लेबर यूनियन की ओर से सात अप्रैल से मिल गेट पर धरना दिया जा रहा था. आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों का कहना है कि वेतन देने के लिए कोर्ट का भी आदेश आ गया था, बावजूद मजदूरों की समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा था.यही वजह है कि यूनियन के सदस्यों ने घोषणा की थी कि नौ मार्च की देर रात तक समझौता नहीं हुआ था, उसके बाद हम सब कभी भी आत्मदाह कर सकते हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया, जिसका नतीजा हुआ कि मिल से जुड़े दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की इसके बाद दोनों मरीज को पीएमसीएच लाया गया, जहां एक की मौत हो गयी व एक बुरी तरह से झुलस गया है, जिसका इलाज चल रहा है.
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