पहले नजरें फेर लेते थे, आज हर घर जाना

जब से वार्ड आरक्षित घोषित किया गया है, नेताजी के चेहरे के रंग उतर गये हैं. पिछले दस सालों से नेताजी उजला कुरता में चकाचक फॉर्च्यूनर पर घूमते फिर रहे थे, वह भी वार्ड पार्षद का बोर्ड लगाकर. गजबे जलवा रहता था उनका मोहल्ला में. कौनो सेलिब्रिटी से कम थोड़े फील करवाते थे. उनका चेला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2017 6:42 AM
जब से वार्ड आरक्षित घोषित किया गया है, नेताजी के चेहरे के रंग उतर गये हैं. पिछले दस सालों से नेताजी उजला कुरता में चकाचक फॉर्च्यूनर पर घूमते फिर रहे थे, वह भी वार्ड पार्षद का बोर्ड लगाकर. गजबे जलवा रहता था उनका मोहल्ला में. कौनो सेलिब्रिटी से कम थोड़े फील करवाते थे. उनका चेला लोग दूरे से सलाम ठोकते थे. जैसे ही नेताजी की गाड़ी दिखती थी, चेला लोग सीसा के अंदर झांककर सलाम देते नजर आते थे. लेकिन जब से वार्ड अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित की गयी है, नेताजी को अब कोई वैल्यू देता ही नहीं है.
अनिसाबाद स्थित एक किराना दुकान पर सामान लेने आये व्यक्ति दुकानदार से यह बात कर रहा था. दुकानदार भी बात के चटकारे लेते हुए कहता है- अरे… भाई साहब… इस सब तो छोड़िए, उनका दरवाजा को देखिये कैसे वीरान पड़ा है. पहले यहां गाड़ियों की लाइन लगी होती थी. सुबहै-सुबहै नेताजी का दरवार लगता था. चेला-चुटरी लोग काम करवाने के चक्कर में पूरा मक्खन लगाते थे. उधर, नेताजी के फर्स्ट क्लास डाइनिंग हॉल में चुनावी बैठक चल रही है. दशकों से सत्ता का सुख भोगने की आदत आयोग के एक फैसले से कहां जायेगी. नॉन स्टॉप बैठक में यह फैसला किया गया है कि अब वह एक दलित को समर्थन देंगे.
लेकिन वह दलित अभ्यर्थी मुहल्ले का नहीं, बल्कि उसके गांव को होगा. उसे वार्ड चुनाव लड़ाने के लिए पटना लाने की तैयारी चल रही है. ‘… अरे वोट तो जनता हमको दी देगी, खाली चेहरा उसका होगा…’ नेताजी अपने समर्थकों से यह कहते हैं. इधर, यादव, भूमिहार के मुहल्ले में नेताजी दलितों की सुध लेने लगे हैं. घर भी पहुंचकर राशन-किरासन मिलने के बारे में पूछने लगे हैं. दशकों से जहां उनकी गली नाली के बदबूदार पानी में डूबी थी, आज वहां पक्की नली तैयार हो रही है.

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