पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले की जांच कर रही एसआइटी के नोटिस के बाद भी आइएएस सीके अनिल अंडरग्राउंड हैं और इस मामले में उनकी भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं. अब सीके अनिल ने एक पत्र लिख कर अपना पक्ष रखा है और बिहार सरकार के एक प्रमुख नौकरशाह पर खुद के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया है. एकप्रमुख क्षेत्रीय न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक आइएएस सीके अनिल ने मुंबई से एक पत्र जारी कर पेपर लीक केस की सीबीआइ जांच की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि पूर्व में वे आइएएस अधिकारियों के अनधिकृत प्रमोशन पर सवाल उठा चुके हैं और उन्हें विह्सब्लोवर बनने की सजा मिल रही है. सीके अनिल ने इस बारे में राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री व केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को भी पत्र लिखने की बात कही है.
सीके अनिल ने लिखा है कि वे फरार नहीं हैं. ओएसडी के रूप में बीएसएससी में तैनात किये गये सीके अरुण ने स्वयं को बिहार स्टेट प्लानिंग बोर्ड का सलाहकार बताया है और लिखा है कि उन्होंने बीएसएससी से कोई भत्ता नहीं लिया है.मुख्यमंत्रीकीअध्यक्षतावाले बिहार स्टेट प्लानिंग बोर्ड मेंवे 2011 सेतैनातहैं. सीके अरुण ने लिखा है कि वे अधिकृत अवकाश पर हैं और फरार नहीं हैं. उन्होंने लिखा है कि स्पाइनल इंज्यूरी होने की बात लिखी है.
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जानकारी के मुताबिक एसआइटी सीधे तौर पर उन्हें पेपर लीक मामले में आरोपी नहीं मानती है, लेकिन जिस तरह से सीके अनिल अपने आप को छुपाये हुए हैं उससे भूमिका को लेकर सवाल खड़े होते हैं. हालांकि आइएएस सुधीर कुमार के आवेदन पर सीके अनिल ने फर्जी हस्ताक्षर बनाया था, यह बात वह स्वीकार कर चुके हैं. इसके अलावा फरारी के दौरान दिल्ली में अनंतप्रीत सिंह बरार के संपर्क में रहने की भी जानकारी एसआइटी को मिली थी. इसका खुलासा बरार से पूछताछ में हुई है.
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एसआइटी ऐसे कुछ अन्य सवालों के बारे में सीके अनिल से पूछताछ करना चाहती है. लेकिन, वह अब तक सामने नहीं आये हैं. वह बीएसएससी के ओएसडी हैं और उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे बिना अवकाश लिये लापता हैं.