कम लागत की सड़कें बनायेगा ग्रामीण कार्य विभाग
सड़क निर्माण में गुणवत्ता और मानक से नहीं होगा समझौता, आवागमन को और अधिक सुविधाजनक बनाने पर है फोकस राज्य ग्रामीण कार्य विभाग नयी तकनीक के सहारे सड़कों की लागत को कम करेगा. विभाग सड़क निर्माण की गुणवत्ता और मानक से कोई समझौता नहीं करेगा. विभाग के अधिकारी और अभियंताओं को नयी तकनीक की ट्रेनिंग […]
सड़क निर्माण में गुणवत्ता और मानक से नहीं होगा समझौता, आवागमन को और अधिक सुविधाजनक बनाने पर है फोकस
राज्य ग्रामीण कार्य विभाग नयी तकनीक के सहारे सड़कों की लागत को कम करेगा. विभाग सड़क निर्माण की गुणवत्ता और मानक से कोई समझौता नहीं करेगा. विभाग के अधिकारी और अभियंताओं को नयी तकनीक की ट्रेनिंग मिलेगी. सरकार का ग्रामीण इलाकों में आवागमन को और अधिक सुविधाजनक बनाने पर फोकस है. अभी एक किलोमीटर सड़क निर्माण पर 70 से 80 लाख रुपया खर्च आते हैं. विभाग के पास 1.29 लाख किलोमीटर सड़क है. सरकार ने अगले पांच साल के भीतर सभी बसावटों में पक्की सड़क पहुंचाने का लक्ष्य तय कर रखा है. विभाग को अगले पांच साल में 5 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क बनानी है. इसके अलावा सड़क का रखरखाव भी विभाग के जिम्मे है. जानकार बताते हैं कि निर्माण के क्षेत्र में नयी-नयी तकनीक आ रही है. सड़क निर्माण भी इससे अछूता नहीं है.
इसमें भी नयी तकनीक आ गयी है. सड़क निर्माण में आधुनिक मशीनरी का उपयोग होने से सड़क की गुणवत्ता भी पहले की तुलना में बेहतर हुई है. विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग के अधिकारियों व अभियंताओं के लिए इसके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करने की कवायद हो रही है. सड़क निर्माण के एक्सपर्ट नयी तकनीक से पर्यावरण के अनुकुल और कम खर्च में कैसे बेहतर सड़क बनायी जा सकती है, इसके बारे में बताया जायेगा. सड़क निर्माण में सबसे अधिक जरूरत पत्थर की होती है, लेकिन इसकी उपलब्धता की भी एक सीमा है. पर्यावरण कानून भी सख्त हुआ है, इसलिए इसकी जरूरत महसूस की जा रही है.
इसके अलावा पीएसजीएसवाइ में 60- 40 का फार्मूला लागू होने से राज्य के खजाने पर भी बोझ पड़ा है. उसकी भी भरपायी करना है,
ग्रामीण कार्य विभाग ने एमएमजीएसवाइ में रोड सेक्टर मॉर्डनाइजेशन ग्रुप का गठन किया है. यह ग्रुप सड़क निर्माण में नयी तकनीक को बढ़ावा भी देगा और उसकी निगरानी भी करेगा. इसके अलावा विभाग सड़क निर्माण में आधुनिक मशीनों का भी प्रयोग करेगा. बिना गुणवत्ता से समझौता किये सड़क निर्माण की लागत को कैसे कम किया जा सकता है इस पर जोर होगा.
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में होनेवाला खर्च का इंतजाम राज्य को खुद करना पड़ता है. प्रयोग के तौर पर अभी कुछ सड़कें पीसीसी की जगह सेलफिल्ड तकनीक से बनेगी. सेलफिल्ड तकनीक में मधुमक्खी के छत्ते की तरह एक जाली होती है. इस जाली में कंक्रीट को जमाया जाता है. विभागीय इंजीनियरों के अनुसार यह तकनीक कम खर्चीली होती है. यह पर्यावरण के भी अनुकुल है. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो आनेवाले समय में विभाग पीसीसी की जगह सेलफिल्ड तकनीक से सड़क बनायेगा. इसके अलावा विभाग सड़क निर्माण में पॉलीमार का भी प्रयोग करेगा.