बांग्लादेश से नदी के रास्ते हो रही सोने की तस्करी, बिहार से जुड़े हैं तार

पटना : बिहार में सोने की तस्करी मामले में पिछले दो सालों में तीन गुणा तक की बढ़ोतरी हुई है. इसके लिए अब बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के रास्ते बिहार तक सामान को लाने का एक नया सेफ रूट तैयार हो गया है. बांग्लादेश से अफीम, चरस समेत अन्य ड्रग्स के अलावे नकली भारतीय नोट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2017 7:33 AM
पटना : बिहार में सोने की तस्करी मामले में पिछले दो सालों में तीन गुणा तक की बढ़ोतरी हुई है. इसके लिए अब बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के रास्ते बिहार तक सामान को लाने का एक नया सेफ रूट तैयार हो गया है. बांग्लादेश से अफीम, चरस समेत अन्य ड्रग्स के अलावे नकली भारतीय नोट (एफआइसीएन) की तस्करी की बात तो पहले से ही जगजाहिर है, लेकिन इन दिनों इस रूट से सोने की तस्करी का भी ट्रेंड तेजी से शुरू हो गया है.
हाल में गया जंकशन से धनबाद निवासी शिव कुमार वर्णवाल को दो किलो सोने के बिस्कुट के साथ डीआरआइ (डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की टीम ने गिरफ्तार किया था.
बांग्लादेश से तस्करी करके लाया जा रहा एक बिस्कुट दुबई, तो दूसरा फ्रांस का बना हुआ था. पूछताछ के दौरान तस्कर शिव कुमार ने कई बड़े खुलासे किये हैं. वह इससे पहले तीन बार यह काम कर चुका है. उसने यह भी बताया कि किस तरह बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के मालदा और रायगंज जिलों के रास्ते बिहार के विभिन्न शहरों तक अवैध सोने की तस्करी का नया सिलसिला शुरू हो गया है. अब तक की जांच में गया, नवादा, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में इसके तार जुड़े मिले हैं.
नदी के रास्ते जाते बांग्लादेश : तस्कर पश्चिम बंगाल से फरक्का बैराज या मालदा के पास से नदी के रास्ते रात के अंधेरे में बांग्लादेश जाते हैं और वहां से सोना लेकर इसी रास्ते से वापस लौटते भी हैं. कई ऐसे तस्कर जिनका कोई पुलिस रेकॉर्ड नहीं है, वे सीधे बॉर्डर पार करके ही बांग्लादेश चले जाते हैं और सोना लेकर नदी के रास्ते लौटते हैं. ये लोग दो किलो
या अधिकतम तीन किलो सोना ही एक बार में अपने साथ लाते हैं. माल खपाने के बाद फिर दूसरी ट्रिप के लिए जाते हैं.बांग्लादेश से तस्करी का सोना बिहार लाकर बेचने पर प्रति किलो तीन से साढ़े तीन लाख का मुनाफा होता है. बांग्लादेश में सोना 26.50 से 27 लाख के बीच मिलता है, जो यहां आकर 30 या 30.50 लाख में बिकता है. एक किलो में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये का फायदा होने के कारण इस धंधे में नये लोग भी जुड़ रहे हैं, जिनका पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.
पश्चिम बंगाल सीमा के कई गांवों में बड़ी समस्या : पश्चिम बंगाल के मालदा और रायगंज जिलों में करीब डेढ़ दर्जन गांव ऐसे हैं, जो बेहद सघन आबादी वाले हैं व इनकी आधी आबादी इधर व आधी सीमा पार रहती है.
ये सभी गांव तस्करी के लिहाज से बेहद संवेदनशील और सुलभ रूट बनगये हैं. पश्चिम बंगाल सरकार को सीमा पर मौजूद इन गांवों को कम-से-कम 10 किमी दूर शिफ्ट करने को कहा गया है. परंतु अभी तक बंगाल सरकार ने इसे लेकर कोई पहल नहीं की है, जिसके कारण सुरक्षा व्यवस्था एक चुनौती बनती जा रही है.
पिछले वर्ष छह और इस बार दो मामले आये सामने : पिछले वर्ष कस्टम विभाग और डीआरआइ ने मिल कर सोना तस्करी के करीब सात मामले पकड़े थे. इनमें लगभग 20 किलो सोना पकड़ा गया था. इस वर्ष अब तक दो मामले पकड़े जा चुके हैं, जिनमें करीब चार किलो सोना जब्त किया जा चुका है. वर्ष 2016 के पहले सोना तस्करी के बिहार में दो या तीन मामले मुश्किल से पकड़े जाते थे.

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