पटना : जेइइ मेन 2017 का रैंक जारी होने के साथ ही इस टेस्ट में शामिल होने वाले छात्रों की जिम्मेवारी बढ़ गयी है. इन छात्रों का कहना है, जिस सपने को लेकर हम घर-परिवार से दूर हो कर, मनोरंजन की सारी चीजों को त्याग कर, दिन-रात तैयारी कर रहे हैं, अब उसे पूरा करने का वक्त आ गया है. छात्रों ने कहा, इस सफलता ने उनका हौसला बढ़ा दिया है. अब वे दोगुनी मेहनत करेंगे
उम्मीद थी कि बेहतर करूंगा (अभिषेक कुमार छात्र, मेंटर्स एडुसर्व)
शुरू से ही लक्ष्य था कि मुझे आइआइटी में नामांकन लेना है. जब पटना आया और यहां का माहौल देखा, तो लगा कि अब बेहतर करना है. बस इसी धुन के साथ तैयारी में लग गया. इससे पहले के प्रयास में मेरा रैंक 6300 था, लेकिन मैंने एडमिशन लेने के बजाय मेहनत करना सोचा. आज मेहनत रंग लायी. मेंटर्स में भी मेरी पहचान टीचर्स के बीच अच्छे स्टूडेंट की रही. अभी मेरा इरादा आइआइटी बांबे से कंप्यूटर साइंस करने का है.
आधा सपना पूरा हुआ (ऋषभ रंजन छात्र, अभयानंद सुपर 30)
रिजल्ट का इंतजार सुबह से ही था. जब परिणाम आने शुरू हुए तो मैं भी उत्सुक था कि मेरा परिणाम क्या होगा. आज जब रिजल्ट आया, तो मैंने सबसे पहले पापा को फोन किया, जब मैंने उनको बताया कि रिजल्ट आ गया है तो पापा ने इतना ही कहा, आधा सपना पूरा हो गया. ऋषभ बताते हैं कि मेरे पिता संजय कुमार की साइकिल रिपेयरिंग की दुकान है, मां मृदुला हाउसवाइफ हैं. वह कहते हैं, अब जेइइ एडवांस्ड की तैयारी करनी है. मेरा सपना आइआइटी दिल्ली का है.
क्लास छह से ही थी तमन्ना (श्रेयस राज छात्र, अभयानंद सुपर 30)
एक बार घर से बाजार जा रहा था. वहां अभ्यानंद सुपर 30 का बोर्ड लगा हुआ था. पापा ने बोर्ड को दिखा कर कहा कि तुम्हें यहीं जाना है. बस उसी दिन से ठान लिया था कि मुझे आइआइटी में नामांकन लेना है. पापा अजय कुमार वर्मा पहले पेट्रोल पंप पर काम करते थे, कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जॉब चली गयी. परिवार की हालात बहुत अच्छे नहीं है, लेकिन फिर भी मां पापा ने हर संभव मदद की. मेन में तो सफलता मिल गयी अब एडवांस्ड की तैयारी करनी है.
मां का सपना पूरा करना है (विशाल राय छात्र, अभयानंद सुपर 30 )
कुछ करने के लिए ही मां ने मुझे बनारस से यहां भेजा था. रैंक के लिए तो और बेहतर की उम्मीद थी लेकिन उतना नहीं आया. अब एडवांस्ड में इससे बेहतर करने की तैयारी कर रहा हूं. मां का अकेला लड़का हूं, पापा का जब तलाक हुआ तो मां का पूरा सपना मुझसे जुड़ गया. इन सपनों को ही पूरा करने के लिए आया हूं. मैं अकेला हूं और सपने और उम्मीद मेरी मेहनत पर टिके हुए हैं. सफलता मिले केवल इसी के लिए हर रोज दस घंटे तक मेहनत की.
कुछ तसल्ली मिल गयी है (फरहान अली छात्र, रहमानी सुपर 30)
पिताजी किसान है. घर को चलाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है, इसे मैं जानता हूं. पढ़ने का मन शुरू से ही था, तो पिताजी ने मेरे सपनों को पूरा करने के लिए अपने अरमानों को मुझ से जोड़ लिया. पापा की उम्मीद पूरी करनी है, बस यही सोच कर मैंने तैयारी की. आज जब परिणाम आ गये हैं तो कुछ तसल्ली मिल रही है लेकिन इसे ऐसे ही बरकरार रखूंगा क्योंकि अगली मंजिल एडवांस्ड को क्लियर करने की है. इसके बाद आइआइटी बांबे की तमन्ना है.
जेइइ मेन का रैंक जारी : गया के अभिषेक स्टेट टॉपर, नालंदा के ऋषभ को दूसरा स्थान
कंप्यूटर साइंस करना है (शिवम कुमार छात्र, फिटजी)
शुरू से ही मेरा जोर सेल्फ स्टडी पर रहा. पापा विश्वास कुमार बैंककर्मी हैं और मां गृहिणी. जब कैरियर बनाने की बात होती थी तब मेरा इरादा केवल आइआइटी को क्रैक करने का होता था. जब भी घर जाता था, पापा से इसी विषय में बात होती थी. रिजल्ट में थोड़ा और बेहतर की उम्मीद थी लेकिन अभी मेरे पास एक मौका और है. इस कमी को जेइइ एडवांस्ड में पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगा. मेरा सपना आइआइटी बांबे में नामांकन लेकर कंप्यूटर साइंस करने का है.