कीमोथेरेपी से ठीक हो सकता है गॉल ब्लाडर का कैंसर
आइजीआइएमएस में बिहार सहित पूरे भारत से जुटे 200 कैंसर विशेषज्ञ पटना : गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथेरेपी बहुत कारगर साबित हो रही है. रोग की गंभीर स्थिति होने के बाद भी पीड़ित मरीज का जीवन नौ माह से तीन साल तक बढ़ सकता है. कैंसर विशेषज्ञों ने यह दावा किया है. […]
आइजीआइएमएस में बिहार सहित पूरे भारत से जुटे 200 कैंसर विशेषज्ञ
पटना : गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथेरेपी बहुत कारगर साबित हो रही है. रोग की गंभीर स्थिति होने के बाद भी पीड़ित मरीज का जीवन नौ माह से तीन साल तक बढ़ सकता है.
कैंसर विशेषज्ञों ने यह दावा किया है. यह कहना है आइजीआइएमएस के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश कुमार का. आइजीआइएमएस में शनिवार से दो दिवसीय एरोइ बिहार चैप्टर कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की गयी. कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन जस्टिस केके मंडल ने किया. वहीं आइजीआइएमएस व कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ दिनेश कुमार सिन्हा व डॉ ऋचा माधुरी ने बताया कि सेमिनार में 200 कैंसर के डॉक्टर जुटे हैं, इनमें 50 डॉक्टर दूसरे प्रदेशों के हैं.
एसजीपीजीआइ लखनऊ से आयी डॉ सुषमा अग्रवाल ने बताया कि हमारे संस्थान के विशेषज्ञों ने करीब पांच साल में 100 से अधिक गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीजों पर शोध किया गया है.
इस शोध में पाया गया है कि कैंसर के मरीज कीमोथेरेपी के बाद सर्जरी करा कर तीन साल तक का जीवन पा सकते हैं. यह शोध गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीजों के लिए काफी आशाजनक है. प्रो अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने उन्होंने चार से छह चरणों में कीमोथेरेपी देने के बाद शोध शुरू किया. पीएमसीएच कैंसर विभाग के एचओडी डॉ पीएन पंडित ने कहा कि अगर किसी मरीज के पैर में कैंसर की समस्या आती है, तो अब उसका पूरा पैर काटने की जरूरत नहीं है. आधुनिक चिकित्सा पद्धति में सिर्फ कैंसर के महत्वपूर्ण स्थान को ही काट कर निकाल दिया जाता है और इससे पूरा पैर कटने से बच जाता है.
महिलाओं में कैंसर अधिक
बनारस बीएचयू से आये डॉ यूपी शाही ने बताया कि गंगा किनारे रहनेवाली महिलाओं में कैंसर की समस्या अधिक देखने को मिली हैं. इनमें गॉल ब्लाडर के कैंसर के मामले अधिक देखे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मरीजों में पेट दर्द, खट्टी डकार की शिकायत अधिक होती है. यह रोग पथरी के कारण होता है. डॉ शाही ने कहा कि जागरूकता से ही कैंसर से बचाव हो सकता है.