टॉप 10 तो दूर, बिहार टॉप 100 में भी नहीं
स्वच्छता सर्वेक्षण. सेल्फ असेसमेंट में पटना को िमले थे 60% अंक, िफर भी 60% शहरों से पीछे इंदौर सबसे साफ शहर, भोपाल को दूसरा स्थान पटना : केंद्र सरकार ने गुरुवार को स्वच्छता सर्वेक्षण, 2017 के आधार पर 434 शहरों की रैंकिंग जारी की. टॉप 100 में बिहार का कोई भी शहर शामिल नहीं है. […]
स्वच्छता सर्वेक्षण. सेल्फ असेसमेंट में पटना को िमले थे 60% अंक, िफर भी 60% शहरों से पीछे
इंदौर सबसे साफ शहर, भोपाल को दूसरा स्थान
पटना : केंद्र सरकार ने गुरुवार को स्वच्छता सर्वेक्षण, 2017 के आधार पर 434 शहरों की रैंकिंग जारी की. टॉप 100 में बिहार का कोई भी शहर शामिल नहीं है. यहां तक कि स्मार्ट सिटी के लिए चयनित भागलपुर 275वें पायदान पर है, तो राजधानी पटना 262वें स्थान पर है. जबकि बिहार का सबसे साफ शहर बिहारशरीफ 147वें नंबर पर है. सूची में बिहार के 27 शहरों को शामिल किया गया है.
सर्वेक्षण में बताया गया है कि बिहार के इन 27 शहरों में 19 की रैंकिंग 300 के नीचे है. एकमात्र बिहारशरीफ टॉप 250 में शामिल है. राज्य के 27 शहरों में 15 ऐसे हैं, जो सबसे निचले रैंकवाले 100 शहरों में शामिल हैं.
पटना में पहले से सुधरी सफाई व्यवस्था
केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में देश के 73 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण किया था. इसमें पटना का रैंक 69वां था यानी 95% शहरों से पीछे था. इस बार पटना का ग्राफ बढ़ा है. 434 शहरों में पटना का रैंक 262वां है यानी 60% शहरों से पीछे है. पिछले एक वर्षों में शहर की साफ-सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ है, जिसका परिणाम है कि सर्वेक्षण में रैंकिंग में 35% सुधार हुआ है.
सेल्फ असेसमेंट में भी मिला था बेहतर अंक
स्वच्छता सर्वेक्षण एप पर मिले नागरिकों के फीडबैक के अलावा शहरी मंत्रालय की टीम भी तीन दिवसीय दौरे पर पटना पहुंची थी, जो कूड़ा प्वाइंट, सेकेंड्री कूड़ा प्वाइंट, डंपिंग यार्ड के स्थल निरीक्षण और सफाई मजदूरों के कार्य प्रणाली और अंचल स्तर पर सफाई उपकरणों की असेसमेंट किया था.
अगली बार से बिहार भी बंगाल के तर्ज पर इसमें नहीं होगा शामिल : हजारी
शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण सूची पर नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी दल शासित राज्यों को इसके माध्यम से अपमानित व बदनाम कर रही है.
किसी भी तीसरे पक्ष की एजेंसी से पटना और वाराणसी की सफाई की तुलना करके देख लें, वाराणसी कहीं भी इस मामले में पटना के सामने नहीं ठहरेगा. लेकिन, इस सूची में वाराणसी को 32वें, जबकि पटना को 262वें रैंक पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि बिहार भी अब पश्चिम बंगाल के तर्ज पर किसी भी सर्वेक्षण में शामिल नहीं होगा. हजारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने बिहार को स्वच्छता के तहत राशि की घोषणा की.
लेकिन, जब पैसा देने की बात हुई, तो उसमें से 800 करोड़ की कटौती कर ली. पहले केंद्र राशि देने की घोषणा करता है और बाद में उसकी प्रक्रिया को इतना जटिल कर देता है कि राशि विपक्षी दल शासित राज्यों को मिल ही नहीं सके. उन्होंने कहा कि जितने भी भाजपा शासित राज्य हैं, उनके शहरों की रैंकिंग कोई देख ले और उनकी तुलना बिहार के शहरों से करा ले. अपमानित करने के उद्देश्य से कराये गये सर्वेक्षण के माध्यम से केंद्र सौतेलापन व्यवहार कर रहा है. वह खुद मानक भी बनाता है और उसका मूल्यांकन भी करता है. यह सर्वेक्षण नहीं, मजाक है.
नयी दिल्ली. देश में इंदौर सबसे साफ शहर है. स्वच्छता के मामले में दूसरे नंबर पर भोपाल और तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश का विशाखापट्टनम है. पिछले वर्ष पहले नंबर पर रहने वाला मैसूर इस बार पांचवें स्थान पर है. टाॅप 50 साफ शहरों की सूची में बिहार का एक भी शहर नहीं है, लेकिन झारखंड के चास को जगह मिली है, जिसकी रैंकिंग 41 वां है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छता सर्वेक्षण – 2017 के आधार पर इन शहरों का चयन किया गया है. यह सर्वेक्षण क्वालिटी काउंसिल
10 सबसे
साफ शहर
इंदौर, भोपाल, विशाखापत्तनम, सूरत, मैसूर, तिरुचरापल्ली,
नयी दिल्ली (एनडीएमसी), नवी मुंबई, तिरुपति और बड़ोदरा.
10 सबसे गंदे
गोंडा, भुसावल, बगहा, हरदोई, कटिहार, बहराइच, मुक्तसर, अबोहर, शाहजहांपुर और खुर्दा.
िबहार : 19 की रैंिकंग 300 से नीचे
शहर रैंक
बिहारशरीफ 147
किशनगंज 257
पटना 262
बेतिया 270
हाजीपुर 272
भागलपुर 275
सासाराम 278
बोधगया 293
मुजफ्फरपुर 304
जहानाबाद 307
बक्सर 327
डेहरी 334
पूर्णिया 342
मोतिहारी 348
दरभंगा 356
औरंगाबाद 357
गया 362
सीवान 376
आरा 390
दानापुर 391
सहरसा 396
बेगूसराय 404
जमालपुर 414
मुंगेर 415
छपरा 422
कटिहार 430
बगहा 432
क्या यह बदहाली मुद्दा बनेगी?
रंजन राजन
देश के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग ने बिहार की बदसूरत तसवीर पेश की है. सबसे साफ 100 शहरों में राज्य का एक भी नहीं, टॉप 250 में सिर्फ बिहारशरीफ, जबकि सबसे गंदे 100 में 15 शहर. यह स्थिति निश्चित रूप से शर्मसार करनेवाली है.
यह रैंकिंग ऐसे समय में जारी हुई है, जब बिहार के शहरी नागरिक नयी नगर सरकार चुनने की तैयारी कर रहे हैं. क्या यह बदहाली निकाय चुनाव में मुद्दा सड़क पर जहां-तहां कूड़ा-कचरा और जानवर, सफाई के लिए जरूरी संसाधनों और कूड़ेदान व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव- यह राज्य के ज्यादातर शहरों की कहानी है. जिम्मेवार कौन? यह ऐसा सवाल है, जिस पर हर कोई दोष दूसरों के मत्थे मढ़ने की कोशिश करता रहा है. नगर सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन जिम्मेवारियों से मुंह चुराने की कोशिशों के चलते शहरों की तसवीर ज्यादा नहीं बदलती. क्या इस चुनाव में हमारे उम्मीदवार एलान करेंगे कि वे शहर को स्वच्छ बनाने की जिम्मेवारी पूरी ईमानदारी के साथ निभायेंगे?
नजीर सामने है. देश का सबसे साफ शहर इंदौर पिछले सर्वे में टॉप टेन में भी नहीं था. लेकिन, निगम प्रशासन ने इच्छाशक्ति दिखायी. सैकड़ों नये कर्मचारियों और सफाई की आधुनिक मशीनों को लगा कर कुछ महीनों में ही शहर की सूरत बदल दी गयी. अब इंदौर शहर ही नहीं, पूरा जिला खुले में शौच से मुक्त हो चुका है. उधर, सर्वे में शामिल पड़ोसी राज्य झारखंड के सभी नौ शहर हमारे सबसे साफ शहर बिहारशरीफ से ज्यादा साफ हैं.
बीते दस वर्षों में बिहार के लोगों में भी स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल में जारी आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 10 साल पहले जहां 14.6 फीसदी परिवारों के पास शौचालय थे, अब 25.2 फीसदी के पास हैं. स्वच्छता के प्रति बढ़ी जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के चलते नवजात मृत्यु दर और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में भी काफी कमी आयी है. यह स्थिति आगामी नगर सरकारों के लिए बेहतर नतीजे देने में मददगार हो सकती है, यदि वे इच्छाशक्ति दिखाएं. तो क्या हम उम्मीद करें कि अगले साल की रैंकिंग में राज्य के कई शहर इस शर्मिंदगी से बाहर निकलेंगे.
िबहार नहीं होगा शािमल
केंद्र सरकार विपक्षी दल शासित राज्यों को बदनाम कर रही है. बिहार भी अब पश्चिम बंगाल के तर्ज पर सर्वेक्षण में शामिल नहीं होगा.
महेश्वर हजारी, नगर विकास मंत्री
कैसे बदल गयी रैंिकंग
सर्वेक्षण बंद होने की तिथि तक पटना का स्थान 76वां था. दो माह बाद रिपोर्ट में यह स्थान 262वां हो गया. हम लिखित विरोध करेंगे.
अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त, पटना