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जानिए, चारा घोटाले से जुड़ी 20 बड़ी बातें

पटना : सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले में आज एक अहम फैसला दिया. कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गयी सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला दिया है. बताया […]

पटना : सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले में आज एक अहम फैसला दिया. कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गयी सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला दिया है. बताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ जायेंगी और उन्हें दोबारा कोर्ट से जमानत लेनी पड़ेगी. अविभाजित बिहार के बहुचर्चित और सबसे बड़े इस घोटाले में कब क्या हुआ, आइए जानते हैं.

-नब्बे के दशक में वर्ष 1995 में सीएजी की रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया. बिहार में करीब 950 करोड़ रुपये का बड़ा चारा घोटाला सामने आया. इसमें बिहार-झारखंड के अलग-अलग जिलों के कोषागारों से अवैध रूप से निकासी की गयी.

-मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और कई बड़े अधिकारी फंसते हुए दिखे.

-पशुपालन विभाग के चाईबासा वर्तमान में झारखंड के दफ्तर पर 27 जनवरी, 1996 को छापेमारी हुई जिसमें ऐसे दस्तावेज मिले जिससे यह पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर सरकारी धन की हेराफेरी की गयी थी.

-मामले में पटना हाइकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसकी जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा. सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च 1996 को इस पर अपनी मुहर लगाई.

-चाईबासा खजाना मामले में सीबीआई ने 27 मार्च, 1996 को मामला दर्ज किया.

– सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में लालू प्रसाद यादव सहित इस घोटाले से जुड़ने दूसरे और 55 लोगों को आरोपी बनाते हुए 23 जून, 1997 को अपना आरोप पत्र दाखिल किया.

-30 जुलाई, 1997 को राजद सुप्रीमो ने सीबीआई की अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें तत्काल अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

-लालू प्रसाद 135 दिन की सजा काटने के बाद 12 दिसंबर 12 दिसंबर 1997 को जेल से जमानत पर रिहा हुए.

– बाद में लालू प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया और साथ ही उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 4 अप्रैल, 2000 को सह आरोपी बनाया.

– एक दिन बाद पांच अप्रैल,2000 को विशेष सीबीआई की अदालत में आरोप तय किया गया.

– दोबारा लालू प्रसाद को इस मामले में 10 मई, 2000 को प्रोविजनल बेल मिला जो 25 मौके पर आगे बढ़ाया गया.

-मामला नया झारखंड बनने के बाद 5 अक्टूबर 2001 को यह झारखंड में स्थानांतरित कर दिया गया.

– विशेष सीबीआई कोर्ट में फरवरी 2002 में रांची में इसकी सुनवाई शुरू हुई.

– लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी 18 दिसंबर 2006 को आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी हो गये.

-मामले में 31 दिसंबर 2007 को लालू प्रसाद के भतीजे समेत 58 लोगों को आरोपी बनाया गया. इनमें पशुपालन विभाग के दो क्षेत्रीय निदेशक जुनूल भेंगराज और राजा राम के साथ, चार आपूर्तिकर्ता राकेश मेहरा, संजय कुमार, नागेंद्र यादव और विरेंद्र यादव भी शामिल थे.

-सीबीआई कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और जहानाबाद के पूर्व एमपी जगदीश शर्मा समेत 31 लोगों के खिलाफ बांका और भागलपुर कोषागार से 46 लाख रुपये निकालने के मामले में चार्ज फ्रेम किया.

– मामले में 13 अगस्त 2013 को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण के लालू की मांग को नाकार दिया.

– सीबीआई की विशेष अदालत ने 17 सितंबर,2013 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

-मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू और जगन्नाथ मिश्रा सहित अन्य 45 को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह को दोषी ठहराया.

-विशेष सीबीआई कोर्ट ने 14 मार्च 2014 को लालू प्रसाद को दोषी माना और इस फैसले के बाद वो संसद सदस्य से अयोग्य हो गये और अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गयी.


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