चारा घोटाला: मुश्किल में लालू, जानें 21 साल पुराने मामले में कब क्या हुआ
पटना/रांची : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र और पूर्व आइएएस सजल चक्रवर्ती के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. इससे अब लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र के खिलाफ आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96 में मुकदमा […]
पटना/रांची : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र और पूर्व आइएएस सजल चक्रवर्ती के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. इससे अब लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र के खिलाफ आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47 ए/96 में मुकदमा चलेगा. जबकि झारखंड के सेवानिवृत मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के खिलाफ 20ए/96, आरसी 68/96 में मुकदमा चलेगा. न्यायमूर्ति न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अदालत ने सीबीआइ की याचिका पर सुनवाई के बाद 20 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और सजल चक्रवर्ती के मामले में झारखंड हाइकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को निरस्त कर दिया. साथ ही अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया.
जानिए, चारा घोटाले से जुड़ी 20 बड़ी बातें
लालू व जगन्नाथ ने दायर की थी याचिका: चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 20ए/96 में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच साल की सजा होने के बाद दोनों अभियुक्तों ने झारखंड हाइकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं. लालू प्रसाद की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्हें आरसी 20ए/96 में सजा सुनायी जा चुकी है. उनके खिलाफ चल रहे आरसी 64ए/96 में भी वही आरोप है, जो आरसी 20ए/96 में है. कानूनन एक तरह के अलग-अलग मामलों में बार-बार सजा नहीं सुनायी जानी चाहिए.
जगन्नाथ मिश्र की थी दलील : डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र की ओर से हाइकोर्ट में दायर याचिका में यह दलील दी गयी थी कि समान अपराध के लिए एक से अधिक बार सजा नहीं दी जा सकती. डॉ मिश्र ने अपने खिलाफ चल रहे आरसी 64ए/96, आरसी 38/96,आरसी 68ए/96 और आरसी 47ए/96 में इसी आधार पर राहत देने की मांग की थी. वहीं, सजल चक्रवर्ती ने आरसी 51 ए/96 में सजा होने के बाद 20ए/96 और 68ए/96 मेें राहत की मांग की थी.
चारा घोटाला मामले में SC के फैसले पर बोले रघुवंश प्रसाद, ‘लालू की जान को खतरा भी हो सकता है’
हाइकोर्ट ने इन तीनों अभियुक्तों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद वर्ष 2014 में अपना फैसला सुनाया था. हाइकोर्ट ने आरसी 64ए/96 में लालू प्रसाद के खिलाफ कुछ ही धाराओं (आइपीसी की धारा 511 और 201) में ट्रायल चलाने की अनुमति दी थी. वहीं, डॉक्टर मिश्र को सभी मामलों में और सजल चक्रवर्ती को आरसी 20ए/96 और 68ए/96 में पूरी राहत दे दी थी. इससे सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में सजल चक्रवर्ती के खिलाफ एक और डॉक्टर मिश्र के खिलाफ चार मामलों में सुनवाई बंद हो गयी थी.
सीबीआइ गयी थी सुप्रीम कोर्ट : सीबीआइ ने हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार से अनुमति ले कर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से यह दलील दी गयी थी सभी मामलों में कुछ समानताएं हैं. पर हर मामले में घटना स्थल, ट्रेजरी सहित अन्य चीजें अलग अलग हैं. इसलिए हर मामले की सुनवाई अलग अलग होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ की अपील याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनी और 20 अप्रैल को सुनवाई पूरी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लालू को झुकने पर किया मजबूर, नीतीश को पहुंचा फायदा : सुशील मोदी
21 साल पुराने मामले में कब क्या हुआ
जनवरी 1996 : उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तर में छापामारी कर कुछ ऐसे दस्तावेज हासिल किये थे, जिनसे यह पता चला था की फर्जी चारा कंपनियों से आपूर्ति दिखा कर कोषागार से राशि की निकासी की गयी. उसके बाद से ही संताल परगना-छोटानागपुर क्षेत्र में 950 करोड़ का पशुपालन घोटला उजागर हुआ.
11 मार्च 1996 : पटना हाइकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया.
27 मार्च 1996 : सीबीआई ने चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी की प्राथमिकी दर्ज की.
23 जून 1997 : सीबीआई ने आरोप-पत्र दािखल किया, जिसमें लालू प्रसाद को आराेपी बनाया गया.
5 अप्रैल, 2000 : विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया.
5 अक्तूबर 2001 : सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य बनने के बाद इस मामले को झारखंड स्थानांतरित कर दिया.
फरवरी, 2002 : रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
13 अगस्त 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की.
17 सितंबर 2013 : विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
30 सितंबर 2013 : बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र तथा 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया.
3 अक्तूबर 2013 : सीबीआई अदालत ने लालू यादव को पांच साल के कारावास की सजा सुनायी. इसके अलावा उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. लालू यादव को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, रांची भेजा गया.
किस मामले में क्या आरोप
आरसी 68ए/96 : चाइबासा कोषागार से 33 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 47 ए/96: डोरंडा कोषागार से एक करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 64 ए/96 : देवघर कोषागार से 96 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 38ए/96 : दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप