पटना : चारा घोटाला में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें पांच साल की सजा हो चुकी है. इस घोटाले से जुड़े सात आरोपितों की मौत हो चुकी है जबकि दो सरकारी गवाह बन चुके हैं और एक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और एक आरोपित को कोर्ट से बरी किया जा चुका है. घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपये के गबन किये जाने का आरोप है.
मामले में कुल 56 आरोपितों के नाम शामिल हैं, जिनमें राजनेता, अफसर और चारा सप्लायर तक जुड़े हुए हैं. यह घोटाला बिहार सरकार के खज़ाने से गलत ढंग से पैसे निकालने का है.
कई वर्षों में करोड़ों की रकम पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली है. शुरुआत छोटे-मोटे मामलों से हुई लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद तक जा पहुंची. बिहार पुलिस ने 1994 में राज्य के गुमला, रांची, पटना, डोरंडा और लोहरदगा जैसे कई कोषागारों से फर्ज़ी बिलों के जरिये करोड़ों रुपये की कथित अवैध निकासी के मामले दर्ज किये.रातों-रात सरकारी कोषागार और पशुपालन विभाग के कई सौ कर्मचारी गिरफ़्तार कर लिये गये, कई ठेकेदारों और सप्लायरों को हिरासत में लिया गया और राज्य भर में दर्जन भर आपराधिक मुक़दमे दर्ज किये गये.
किस मामले में क्या आरोप
आरसी 68ए/96 : चाइबासा कोषागार से 33 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 47 ए/96: डोरंडा कोषागार से एक करोड़ की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 64 ए/96 : देवघर कोषागार से 96 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप
आरसी 38ए/96 : दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप