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लालू के 22 ठिकानों पर IT की रेड के बाद नीतीश के बयान के क्या हैं निहितार्थ, जानें

पटना : बिहार की सियासत में इन दिनों महागठबंधन में शामिल दो दल चर्चा के केंद्र में हैं. पहला मुख्य घटक दल जदयू और दूसरा लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी राजद. चर्चा की शुरुआत सबसे पहले राजधानी पटना में बन रहे मॉल की कथित मिट्टी घोटाले से हुई. बात आगे बढ़ते-बढ़ते बेनामी संपत्ति पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2017 8:22 AM

पटना : बिहार की सियासत में इन दिनों महागठबंधन में शामिल दो दल चर्चा के केंद्र में हैं. पहला मुख्य घटक दल जदयू और दूसरा लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी राजद. चर्चा की शुरुआत सबसे पहले राजधानी पटना में बन रहे मॉल की कथित मिट्टी घोटाले से हुई. बात आगे बढ़ते-बढ़ते बेनामी संपत्ति पर चली गयी. बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार पर हमला तेज किया. सबूत के साथ उन्होंने कई ऐसे दस्तावेज मीडिया के सामने रखे, जिसमें यह चर्चा थी कि लालू परिवार के पास हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति है. हालांकि, इतना कुछ होने के बाद भी इस मामले पर महागठबंधन के बड़े नेताओं की कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी. लेकिन, सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक संवाद कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में यह कहा कि अगर भाजपा को यह लगता है कि उनका आरोप सही है और किसी के पास तथ्य है तो वह कानून का सहारा ले. सीएम के इस बयान के ठीक दूसरे दिन मंगलवार को दिल्ली, हरियाणा और गुड़गांव के 22 ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे पड़े, जिसके तार सीधे तौर पर लालू प्रसाद से जुड़े बताये गये.

नीतीश ने दी सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया

राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार कई बार सार्वजनिक मंच से भी यह कह चुके हैं कि बिहार में महागठबंधन विकास के मुद्दे पर बना है. पार्टिया सभी अलग-अलग हैं और पार्टियों की राय हर मसले पर एक हो, यह जरूरी नहीं. लेकिन, आयकर विभाग की छापेमारी के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से जिस तरह सावधानीपूर्वक बात की, उससे यह साफ दिखता है कि वह बिहार में महागठबंधन और छापेमारी के अलावा बेनामी संपत्ति के मसले से अपने आपको अछूता रखना चाहते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो सोमवार को दिया गया उनका बयान यह संदेश देने वाला था कि वह चुप्पी नहीं साधे हुए हैं, बल्कि वह कानून का मसला है और यदि किसी को कुछ ऐसा लगता है, तो वह कानून का सहारा ले. नीतीश कुमार ने अपने बयान से अपनी यूएसपी को दोबारा लोगों के दिमाग में डाला कि भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति को लेकर उनका रूख स्पष्ट है.

नोटबंदी का किया था समर्थन

गौर करने वाली बात यह भी है कि इससे पूर्व जब नीतीश कुमार ने नोटबंदी का समर्थन किया, उस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा था कि सरकार ने जिस तरह नोटबंदी की है, ठीक उसी तरह बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए. कुछ राजनीति जानकार नीतीश कुमार के उस बयान से भी केंद्र द्वारा की गयी कार्रवाई को जोड़कर देखते हैं. हालांकि, नीतीश के उस बयान और इस कार्रवाई के बीच समय का अंतराल काफी ज्यादा है. छापेमारी की खबर आने के बाद मुख्यमंत्री ने मंगलवार को अपनी मीडिया को अपनी प्रतिक्रिया काफी सावधानीपूर्वक दी.

मीडिया के सामने रखी स्पष्ट बात

उन्होंने कहा कि इस बारे में जब तक पता नहीं चल जाता क्या कहा जा सकता है. नीतीश ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट से पता चल रहा है 22 जगहों पर छापेमारी चल रही है. ये कहां कहां छापेमारी हो रही है क्या उद्देश्य है, क्या हो रहा है, जब तक पता नहीं चलता तब तक क्या कहा जा सकता है. सभी घटनाक्रम के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री की ओर से सधी हुई प्रतिक्रिया दी जा रही है, उससे साफ स्पष्ट है कि किसी भी विवादास्पद मसले से वह अपनी प्रतिक्रिया और अपनी पार्टी को दूर रखना चाहते हैं. गौरतलब हो कि आयकर विभाग ने दिल्ली और ईदगिर्द के इलाकों में कम से कम 22 स्थानों पर छापेमारी की और सर्वे किया. ये कार्रवाई राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव तथा अन्य से संबंधित 1,000 करोड रुपये के कथित बेनामी सौदों के मामले में की गई.


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