झारखंड में भी लागू करनी पड़ेगी शराबबंदी : नीतीश
पटना : बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आनेवाले दिनों में झारखंड में भी शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी. वह बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से आयोजित सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ महारैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी से भले ही सरकार को पांच […]
पटना : बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आनेवाले दिनों में झारखंड में भी शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी. वह बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से आयोजित सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ महारैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी से भले ही सरकार को पांच हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है, लेकिन लोगों के 10 हजार करोड़ रुपये परिवार में गये हैं. सड़क हादसे और अपराध में कमी आयी है. परिवारों में खुशहाली आयी है. दहेज प्रथा, बाल विवाह की तरह ही यह एक सामाजिक बुराई है. बिहार सरकार अब नशाबंदी का अभियान चला रही है.
पिछले दिनों इस अभियान में बिहार में चार करोड़ लोग सड़कों पर उतरे. हमने झारखंड के मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया था कि वह शराबबंदी को लेकर बार्डर एरिया में कड़ाई करें, लेकिन उसका सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है. आज झारखंड में भी शराबबंदी को लेकर महिलाएं आवाज उठाने लगी हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि आनेवाले दिनों में झारखंड में शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी. झारखंड के आदिवासी नेता शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी समेत कई नेता शराबबंदी के पक्षधर है.
सिर्फ उद्योग लगाने से विकास नहीं : नीतीश कुमार ने कहा : झारखंड में कई फैक्टरी बंद पड़ी हुई है. खनन के क्षेत्र उजड़े पड़े हैं.सरकार पहले बंद पड़ी फैक्टरी को चालू करे. इसके बाद नये उद्योग लगाने की बात करे. उन्होंने कहा : सिर्फ उद्योग लगाने से विकास नहीं होता है. अगर उद्योग लगाने में लोगों के साथ न्याय नहीं होगा, तो कभी भी कारगर विकास नहीं होगा. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन व स्थानीय नीति का मामला सिर्फ आदिवासियों का नहीं है. इसके लिए सभी लोगों को मिल कर संकल्प लेने की जरूरत है. अगर ऐसा होता है, तो झारखंड एक नबंर का स्टेट बनेगा.
अब पद पाने की लालसा नहीं : नीतीश कुमार ने कहा : अब मुझे पद पाने की लालसा नहीं है. लोगों के सहयोग से बहुत कुछ मिला. सांसद, विधायक, मंत्री के बाद मुख्यमंत्री बना. अब मुझे समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर खुशी देखने में ही आनंद मिलता है.
कार्यक्रम में मौजूद थे : आदिवासी सेंगेल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुरमू, प्रदेश संयोजक पूर्व मंत्री थियोडर किड़ो, सुमित्रा मुरमू, अरुण उरांव, राज्यसभा सांसद हरिवंश, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो, पूर्व मंत्री सुधा चौधरी, जदयू के झारखंड प्रभारी राम सेवक सिंह, सह प्रभारी अरुण व अन्य.
आदिवासी समाज की गला
दबा कर की जा रही है हत्या : नीतीश कुमार ने कहा : सीएनटी-एसपीटी एक्ट आदिवासी-मूलवासी का सुरक्षा कवच है. यह अधिकार अंग्रेजों के जमाने में लड़ कर प्राप्त किया गया था. इसके लिए भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी समेत सैकड़ों लोगों ने शहादत दी थी.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ आदिवासी-मूलवासी के साथ घोर अन्याय है. उन्होंने कहा : आदिवासियों का मूल पेशा कृषि है. अगर उसकी खेती की भूमि गैर कृषि कार्य में परिवर्तित कर दी जाये, तो उनका सुरक्षा कवच समाप्त हो जायेगा. सरकार एक्ट में संशोधन कर आदिवासी समाज की गला दबा कर हत्या कर रही है. ऐसे में हम स्थानीय नीति व सीएनटी-एसपीटी कानून में संशोधन के विरोध में आदिवासी सेंगेल अभियान के आंदोलन का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा : जो झारखंड में रह कर झारखंड का नहीं है, वह देश का भी नहीं हो सकता है.
चंपारण सत्याग्रह की तरह ही है आदिवासी सेंगेल अभियान : नीतीश कुमार ने आदिवासी सेंगेल अभियान की तुलना चंपारण सत्याग्रह से की. कहा : चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे हुए. महात्मा गांधी ने किसानों व रैयतों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और टैक्स लगाने के विरोध में 10 अगस्त 1917 को शुरू किया था.
आज 2017 में झारखंड सरकार सीएनटी-एसपीटी में छेड़छाड़ कर रही है. इसके लिए भी अहिंसात्मक आंदोलन चलाने की जरूरत है. राज्यपाल से मिल कर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन पर स्वीकृति नहीं देने का आग्रह करेंगे.