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हार कैसे मान लेती, इन आंखों से सबकुछ उजड़ते देखा था
महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद और मशरक विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे राजद के कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह पहली बार हत्या जैसे जघन्य अपराध में दोषी करार दिये गये हैं. मशरक के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के 22 साल पुराने मामले में आये इस फैसले का उनके राजनीतिक भविष्य पर भी […]
महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद और मशरक विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे राजद के कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह पहली बार हत्या जैसे जघन्य अपराध में दोषी करार दिये गये हैं. मशरक के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के 22 साल पुराने मामले में आये इस फैसले का उनके राजनीतिक भविष्य पर भी असर पड़ना तय है. पूर्व सांसद सिंह के विरुद्ध हत्या, अपहरण, धमकी आदि के अनेक मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन अधिकतर मामलों में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था, जिसे उन्होंने न्याय की जीत बताया था. ताजा फैसले के विभिन्न आयामों और उस पर विधायक अशोक सिंह की पत्नी सहित संबंधित पक्षों की प्रतिक्रियाओं पर नजर डाल रहा है आज का विशेष पेज.
विजय सिंह
पटना : कहते हैं कि जब जिंदगी की राह में संरक्षक का साथ छूट जाता है और कदम थकने लगते हैं तो हौसला साथ देता है. फिर सामने की ऊंचाई भी छोटी पड़ने लगती है. हार नहीं मानने की जिद्द, समझौता किसी कीमत पर नहीं और दिल में लड़ाई जीत लेने की उम्मीद है तो यकीनन वक्त पर इंसाफ खुद ब खुद चौखट पर आ जाता है.
कुछ ऐसी ही दास्तां है छपरा जिले के मशरक विधानसभा (अब बनियापुर विधानसभा) के विधायक स्व. अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी की. पति की हत्या के आरोपितों को गुरुवार को जब कोर्ट से दोषी करार दिया गया तो हक की लड़ाई लड़ने वाली पत्नी चांदनी देवी ने बेबाकी से कहा…सजा तो होनी ही है, हम कैसे भूल सकते थे, सबकुछ आंखों के सामने हुआ था. छोटी सी दुनिया थी, हमने किसी का क्या बिगाड़ा था, लेकिन सबकुछ छीन लिया गया. एक झटके में मेरी दुनिया उजड़ गयी. ढाई साल और साढ़े तीन साल के दो मासूम बच्चों को लेकर जिस तरह से मैंने अपने हक की लड़ाई की शुरुआत की थी, उससे पूरी उम्मीद थी कि फैसला मेरे हक में होगा. आज सकून है, पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के दोषी करार दिये जाने पर. फांसी की सजा हो तो मन को तसल्ली होगी.
पति की हत्या के बाद इंसाफ की लड़ाई ही जिंदगी का हिस्सा बन गयी : पटना के राजीव नगर के रोड नंबर 10 में दो कमरे के भाड़े के मकान में रहने वाली चांदनी देवी के पति अशोक सिंह की 3 जुलाई 1995 की शाम 7.25 मिनट पर बम मारकर हत्या कर दी गयी थी. घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. चांदनी देवी बताती हैं कि हत्या के बाद वह छपरा के गांव चड़िहारा (ससुराल) चली गयीं थी. लेकिन, बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी थी, इसलिए दोबारा पटना आना हुआ. तभी से वह राजीव नगर में ही हैं.
उन्होंने बताया कि पेंशन मिलता है और पति के हत्या के बाद बीमा का पांच लाख रुपये मिला था. इसी के सहारे मैंने इंसाफ की लड़ाई शुरू की थी. हत्या कराने वाले पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने कई बार धमकी दिलवायी, लेकिन पति के हक की लड़ाई ही हमारे जीवन का हिस्सा बन गया था, फिर डर और पीछे हटने जैसी बात की फिक्र कहां है.
मां की आंखों में खुशी, अब 23 मई का इंतजार
छपरा : मशरक विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में 22 वर्ष बाद पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह समेत तीन लोगों को हजारीबाग कोर्ट से दोषी ठहराये जाने के बाद अशोक सिंह के पैतृक गांव मशरक प्रखंड के चरिहारा स्थित आवास पर अचानक लोगों का आना-जाना बढ़ गया. घर पर उनकी मां के अलावा कोई उपस्थित नहीं था. स्व अशोक सिंह के दो बेटे बिट्टु और सिट्टु अपनी मां चांदनी देवी के साथ पटना में थे. वहीं अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह इस केस के सिलसिले में हजारीबाग में हैं.
दूरभाष पर बात करने के दौरान अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूर्ण भरोसा था और उम्मीद थी कि न्याय की ही जीत होगी. वहीं दूसरी तरफ अशोक सिंह की मां बसंती देवी ने कहा कि यह आशा और उम्मीद की जीत है. 22 साल बाद जो फैसला आया है, वह स्वागत के लायक है. उन्होंने कहा कि अब वे 23 मई का इंतजार कर रही हैं, जब फैसला सुनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि फैसले के इंतजार में उनकी घड़ी बीत रही थी. आज जब यह सूचना मिली है, तो उन्हें काफी राहत महसूस हो रही है.
घटना की कहानी, चांदनी देवी की जुबानी
मेरी शादी 9 मार्च 1990 को हुई थी. पति 1991 में राजनीति में सक्रिय हुए थे. मशरक विधानसभा क्षेत्र से वह चुनाव लड़ने की तैयारी में थे. इसी सीट पर प्रभुनाथ सिंह चुनाव लड़ते थे. 1995 के चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हरा कर पति अशोक सिंह विधायक बने थे. हत्या के तीन महीना पहले विधायक जी के साथ पटना मेें रहने आयी थी पत्नी चांदनी देवी. जिस फ्लैट में हत्या हुई उसमें 15 दिन पहले रहने गये थे. 3 जुलाई 1995 को सोमवार का दिन था. 5 स्टैंड रोड, विधायक फ्लैट में फर्स्ट फ्लोर पर 5 नंबर फ्लैट में हमलोग रहते थे.
15 दिन पहले विधायक फ्लैट एलाॅट हुआ था. आवास पर पांच गार्ड थे, पर्सनल बॉडीगार्ड रुस्तम खान थे. विधायक जी के सबसे करीबी और विश्वासी थे रुस्तम खान, हमेशा साये की तरह साथ रहते थे. शाम के 7.25 बजे थे. गांव जाने की तैयारी थी. हम और हमारे दोनों बच्चे तैयार हो गये थे, गाड़ी का इंतजार हो रहा था. तब नीचे से गार्ड ने बताया कि कुछ लोग मिलने आये हैं. इस पर विधायक जी नीचे उतर गये और लॉन में खड़े हाेकर बात करने लगे. जो लोग मिलने आये थे उनसे बैठ कर बात कर रहे थे. इसी बीच चार लोग आये. दो लोग गेट पर रुक गये और दो लोग अंदर लाॅन तक पहुंच गये. इसमें से एक आदमी झोला लिये हुआ था.
इसी बीच विधायक के सिर पर बम से हमला कर दिया गया. आवाज सुन कर जब मैं बाहर आयी तो पति को खून से लथपथ देख कर चिल्लाकर रोने लगी. इधर विधायक के पास मौजूद बीडीओ के बेटे अनिल सिंह थे जो हमलावरों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन हमलावरों ने उन्हें भी बम मार दिया. अनिल की मौके पर ही मौत हो गयी थी, वहीं विधायक जी को पीएमसीएच ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. जिस तरह से हत्या हुई थी, पूरे पटना में दहशत का महौल बन गया था. लालू जी सीएम थे, मिलने आये थे. कार्रवाई की संत्वना दिये थे.
रुस्तम खान पानी लेने नहीं गये होते तो, शायद ऐसा नहीं होता
हमलावर परिचित थे, इसलिए सामने बैठ कर विधायक जी से बात कर रहे थे, विधायक जी ने बॉडीगार्ड रुस्तम खान से कहा कि आप अंदर से मिठाई और पानी लाकर पिलाइये. इस पर रुस्तम खान पानी लेने चले गये. बॉडीगार्ड के हटते ही हमलावरों को मौका मिल गया और उन्होंने हमला कर दिया. जब वह पानी लेकर आया तो दृश्य दूसरा था, हमलावर ताबड़तोड़ बम फेंक रहे थे, पूरे इलाके में दहशत और भगदड़ की स्थिति बन गयी थी. रुस्तम ने भी गोली चलायी लेकिन हमलावर भागने में सफल रहे.
घटना में मैं चश्मदीद गवाह थी, तीन गवाह तो टूट गये
विधायक की हत्या मामले में पत्नी चांदनी देवी ने पटना के सचिवालय थाने में खुद एफआइआर दर्ज कराया था. केस के आइओ शशिभूषण शर्मा थे. केस प्रभुनाथ सिंह, दीना सिंह, रितेश मुखिया, केदार सिंह और सुधीर कुमार के खिलाफ हुआ था. जिसमें सुधीर और केदार बरी हो गये हैं. इस केस में वह चश्मदीद गवाह हैं. इनके अलावा विधायक के पीए रहे राघवेंद्र कुमार, कामेश्वर सिंह, सुनील कुमार सिंह, जेठ तारकेश्वर सिंह गवाह थे, यह लोगों ने गवाही दी. जबकि नौकर जयप्रकाश, संजीव कुमार और जितेंद्र कुमार 164 के बयान में मुकर गये थे.
मकान व मुआवजे का एलान किया, लेकिन कुछ नहीं मिला
घटना को याद करते करते, चांदनी देवी ने कुछ शिकायत भी किया. उन्होंने बताया कि घटना के समय सीएम रहे लालू प्रसाद ने मकान और मुआवजा का एलान किया था लेकिन सब धीरे-धीरे ठंडा पड़ा गया और कुछ नहीं मिला. हालांकि उसका बड़ा मतलब नहीं है मेरे लिए, मैंने पति की हत्या की लड़ाई जारी रखा जिसका आज परिणाम सामने आया है.
बड़ा बेटा बंगलुरू में करता है इंजीनियरिंग, छोटा एमबीए की तैयारी में है
पति की हत्या के बाद चांदनी देवी के सामने दो बड़ी जिम्मेदारी थी, एक परिवार संभालने की, बच्चों को पढ़ाने का और दूसरा पति की इंसाफ की लड़ाई का. चांदनी देवी ने दोनों जिम्मेदारियों को कड़े संघर्षों के साथ निभाया. बड़ा बेटा आदित्य विभू उर्फ बिट्टू बंगलुरू में इंजीनियरिंग कर रहा है, जबकि छोटा बेटा बिट्टू कुमार उर्फ ज्योति विभू दिल्ली से एमबीए करने की तैयारी में है.
90 वर्षीय विधायक की मां बसंती देवी ने कहा…भगवान से सबको डरना चाहिए
विधायक अशोक सिंह की मां 90 साल की हैं. वह गांव पर रहती हैं. हजारीबाग कोर्ट ने जब पूर्व सांसद और उनके सहयोगियों को विधायक की हत्या में दोषी करार दिया गया तो विधायक की पत्नी ने इसकी जानकारी फोन पर अपनी सास बसंती देवी को दी. उन्होंने बताया कि प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया गया है, सजा मिलने वाली है, इस पर उनकी सास फोन पर ही रो पड़ी. यह सुकून के आंसू थे, इंसाफ की खुशी थी. मां ने कहा सजा तो मिलनी ही थी, सबको भगवान से डरना चाहिए.
सुनवाई के दौरान…
चांदनी देवी के आवेदन पर हजारीबाग कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था केस
केस को ट्रायल के दौरान प्रभावित करने का डर था इसलिए चांदनी देवी के आवेदन पर हजारीबाग कोर्ट में केस ट्रांसफर किया गया. पूरी सुनवाई वहीं हुई. तब बिहार, झारखंड का बंटवारा नहीं हुआ था. चांदनी देवी उस दिन को याद करती हैं जब वर्ष जनवरी 2009 को चश्मदीद गवाह के रूप में उन्हें कोर्ट में जाना पड़ा था. उन्होंने बताया कि अपने वकील अजीत सिंह व परिवार के कुछ सदस्यों के साथ कुल सात लोगों को लेकर वह कोर्ट पहुंची थी. प्रभुनाथ सिंह के नाम पर इतनी दहशत थी कि कोई और साथ चलने को तैयार नहीं था. वहीं प्रभुनाथ सिंह करीब तीन दर्जन गाड़ियों के साथ पहुंचे थे. कोर्ट परिसर में सब उनके लोग भरे हुए थे. पूरे ढाई घंटे तक सुनवाई चली.
चांदनी देवी से एेसे हुए थे सवाल-जवाब
गवाही के दौरान पूछा गया कि उस समय आप कहां थीं जब विधायक पर हमला हुआ. चांदनी देवी बने बताया कि बरामदे में थी. फिर सवाल हुआ, और आपने क्या देखा? चांदनी देवी ने बताया कि घटना के बाद प्रभुनाथ सिंह के भाई दीना सिंह, रीतेश मुखिया को गेट से निकल कर भागते देखा था. जज ने सीधे तौर पर पूछा कि आप प्रभुनाथ सिंह को पहचानती हैं?
चांदनी देवी ने कहा जी, जज ने कहा पहचान करके बताइये? इस पर उन्होंने प्रभुनाथ सिंह और रितेश मुखिया की पहचान की. उसी दिन साफ हो गया थ कि चश्मदीद गवाह की पहचान से सजा मिलनी तय है. चांदनी देवी ने बताया कि प्रभुनाथ सिंह गवाही के दौरान तीन बार बाहर निकले थे सिगरेट पीने.
बड़ा फैसला. कोर्ट की कार्रवाई का आंखों देखा हाल
9:30 बजे
प्रभुनाथ सिंह, बनियापुर के जदयू विधायक केदार सिंह, दीनानाथ सिंह, पूर्व मुखिया रीतेश सिंह, अधिवक्ता रामविनय सिंह, विजय सिंह समेत दर्जनों
समर्थक कोर्ट
में पहुंचे.
10:00 बजे
न्यायाधीश ने कोर्ट मेंसुनवाई शुरू की. कहा इस मामले में निर्णय सुनायेंगे.
11:30 बजे
प्रभुनाथ सिंह एवं सभी लोग न्यायाधीश कक्ष व प्रथम तल्ला से वापस कोर्ट परिसर में आ गये. एक पेड़ के नीचे प्रभुनाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ बातचीत करने लगे. प्रभुनाथ सिंह के सभी समर्थक एवं सुरक्षा गार्ड घेरा बना कर घंटों खड़े रहे.
11:25 बजे
प्रभुनाथ सिंह व अन्य लोग एडीजी-नौ कोर्ट की ओर बढ़े.
11:40 बजे
न्यायाधीश ने सुनवाई शुरू की.
11:45 बजे
न्यायाधीश ने अपना निर्णय सुनाया. जिसमें प्रभुनाथ सिंह समेत अन्य दो लोगों को दोषी मानते हुए न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया. निर्णय सुनते ही कोर्ट के बाहर खड़े समर्थकों के बीच उदासी छा गयी. पुलिस के साथ ही वे कोर्ट रूम से बाहर आये.
11:50 बजे
पुलिस के जवान प्रभुनाथ सिंह, दीनानाथ सिंह, रीतेश सिंह को साथ लेकर जेपी केंद्रीय कारा के लिए निकले. कैदी वाहन में बैठा कर तीनों को जेल ले जाया गया. पीछे से बनियापुर के विधायक केदार सिंह भी अपने वाहन से जेपी केंद्रीय कारा गये. वहां पर प्रभुनाथ सिंह से मिल कर सभी लोग वापस आ गये.
22 साल पहले की तसवीर
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में विधायक की पत्नी को सांत्वना देते तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद.
विधायक लोगों से मिलने पहुंचे ही थे कि बमों का प्रहार..
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ऐसे हुई थी अशोक सिंह की हत्या
पटना : तीन जुलाई 1995, सोमवार का दिन था, शाम के 6.30 बज रहे थे. स्टैंड रोड स्थित आवास पर मशरक के विधायक अशोक सिंह के बाहर आने का इंतजार उनके क्षेत्र के कुछ लोग कर रहे थे. विधायक जैसे ही लोगों से मिलने पहुंचे, कुछ अज्ञात लोगों ने जो इंतजार कर रहे लोगों के बीच शामिल थे, विधायक के सिर पर बमों से प्रहार किया. इससे अशोक सिंह के चेहरे और सिर का एक बड़ा हिस्सा उड़ गया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बम मारने वाले लोगों में चार-पांच लोग शामिल थे. विधायक के क्षेत्र के लाेगों ने हत्यारे को खदेड़ने और वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों की मदद से गेट बंद कर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया पर अपराधियों ने उनके ऊपर भी बमों से प्रहार शुरू कर दिया.
इस दौरान मशरक के प्रखंड विकास पदाधिकारी का बेटा भी मारा गया, जो अशोक सिंह से मिलने वहां आया हुआ था. एमएलए का बॉडीगार्ड और सचिव भी इस बमबाजी में घायल हुए. अपराधी उसके बाद मची अफरातफरी का फायदा उठाकर पैदल ही भाग गये. विधायक के आवास के पास और वहां से कुछ दूर एक मंत्री के आवास के बाहर दो बैग फेके मिले, जिसकी पहचान अपराधियों के द्वारा बमों को रखने वाले बैग के रूप में हुई. विधायक अशोक सिंह को लोग उठाकर पीएमसीएच ले गये, जहां डॉक्टर ने उनके मृत्यु की औपचारिक पुष्टि की.
वीवीआइपी क्षेत्र में हुई इस वीभत्स हत्या के बाद पूरा राजनीतिक गलियारा थर्रा गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद अपने दल के विधायक की हत्या के बाद डीजीपी जीपी दोहरे के साथ खुद पीएमसीएच पहुंचे और मृतक के प्रति संवेदना प्रकट की.
पटना पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने के लिए जिले के सभी सीमाओं को सील कर दिया और वाहनों की सघन तलाशी शुरू की. फिर भी कोई नतीजा सामने नहीं आया. बाद में पुलिस ने प्रभुनाथ सिंह की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया, जिससे उन दिनों मृत विधायक की अदावत जगजाहिर थी. फिर प्रमाण मिलते चले गये और मामले में लंबे बहस-मुहावसे के बाद प्रभुनाथ सिंह को गुरुवार को सजा दी गयी.
प्रभुनाथ के आदमी रहे थे अशोक
मृत विधायक अशोक सिंह वर्षों तक प्रभुनाथ सिंह के खास आदमी रहे थे और उनकी छत्रछाया में ही उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था. बाद में जब वे प्रभुनाथ सिंह का दामन छोड़ जनता दल में शामिल हो गये तो दोनों में तनातनी शुरू हुई. प्रभुनाथ सिंह को विधानसभा चुनाव में हराने के बाद यह दुश्मनी चरम पर पहुंच गयी, जिसका परिणाम खून खराबा के रूप में सामने आया.
कड़ी सुरक्षा नहीं आया काम
मशरख के विधायक अशोक सिंह कड़ी सुरक्षा में रहते थे. एक सेक्शन फोर्स हमेशा उनके सुरक्षा में लगी रहती थी. इसके अलावा उनके अपने दो स्टेनगनधारी बॉडी गार्ड थे, जो उनके गृह क्षेत्र मशरक के थे और पूरी तरह विशवस्त थे. प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली से अदावत के कारण वे हमेशा सतर्क रहते थे और बिना सुरक्षा घेरे के कहीं नहीं निकलते थे. लेकिन अपने आवास में होने के विश्वास में हल्की चूक हुई और उसका दुश्मनों ने पूरी तरह सोचे समझे ढंग से फायदा उठा लिया. क्षेत्र के लोगों के बीच वे इस तरह शामिल हो गये कि सुरक्षा कर्मियों को भनक भी नहीं लगी.
फैसले के बाद प्रभुनाथ िसंह के आवास पर मायूसी
छपरा : विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में 22 वर्ष बाद गुरुवार को हजारीबाग कोर्ट से पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह समेत तीन को दोषी ठहराये जाने के बाद अचानक लोगों के मोबाइल बजने लगे. पूर्व सांसद व उनके छोटे भाई को दोषी करार दिये जाने की खबर पर लोग यकीन नहीं कर रहे थे, लेकिन जब खबर की पुष्टि हुई, तो खामोशी छा गयी. कोई भी खुल कर नहीं बोल पा रहा था. बताते चलें कि मशरक विधानसभा क्षेत्र से 1995 में अशोक सिंह विधायक हुए और उनकी हत्या पटना आवास पर हुई थी. इसमें प्रभुनाथ सिंह सहित अन्य आरोपित किये गये. उस वक्त मशरक बाजार बंद रहा. मशरक की राजनीति दो खेमे में बंट गयी. आज जब कोर्ट का फैसला आया, तो पूर्व सांसद के आवास पर उनके अनुज मदन सिंह एवं भतीजे राजू के साथ बैठे समर्थकों ने 22 साल बाद कोर्ट के फैसले पर आश्चर्य जताया और कहा कि हमें न्यायालय पर भरोसा है.
वहां उपस्थित बबन सिंह, विक्रमा सिंह आदि लोगों का भी कहना था कि अचानक इस तरह का फैसला आयेगा, इसकी उम्मीद नहीं थी. सामाजिक जीवन में नेताजी हमेशा गरीबों के लिए ही कार्य करते रहे हैं.
इसी के चलते उनके विरोधियों की ओर से कुचक्र रचा जाता रहा, लेकिन वह हमेशा न्यायालय का सम्मान करते हुए जनता की सेवा में लगे रहते हैं. कोर्ट के निर्णय के बाद मशरक बाजार समेत छपरा में भी पूर्व सांसद के समर्थकों में उदासी देखी गयी. सभी का कहना था कि फैसला आने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है.
जब शहाबुद्दीन हैं पार्टी में तो प्रभुनाथ को क्यों निकालेंगे
सुशील मोदी ने कसा लालू पर तंज
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मो शहाबुद्दीन जैसे दुर्दांत को अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति में रखने वाले लालू प्रसाद हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता हुए प्रभुनाथ सिंह को भला पार्टी से क्यों निकालेंगे. प्रभुनाथ सिंह तो लालू प्रसाद के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी करीबी रहे हैं. उन्हें वर्षों तक जदयू संसदीय दल का नेता बना कर रखा था.
बिहार में सुशासन की सरकार तो शहाबुद्दीन, प्रभुनाथ, रॉकी, सुरेंद्र यादव और राजबल्लभ जैसे लोगों के कंधों पर ही टिकी हुई है. मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद बयान दे रहे हैं कि इनकम टैक्स की छापेमारी कहीं हुई नहीं, झूठा प्रचार किया जा रहा है. अगर छापेमारी नहीं हुई तो फिर राजद के गुंडों ने बौखला कर लाठी, पत्थर और शराब की खाली बोतलों से भाजपा के कार्यालय पर हमला क्यों किया.
नीतीश कुमार कह रहे हैं कि कहां छापेमारी हुई, कहीं दिखाई तो पड़ा नहीं. असल में वे आयकर वालों को आमंत्रित कर रहे हैं कि लालू प्रसाद की अधिसंख्य संपत्ति तो बिहार में है. अगर पटना व 10 सर्कुलर रोड में छापेमारी हो तब तो यहां के लोगों को पता चलेगा. मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद ठीक कह रहे हैं कि प्रेमचंद गुप्ता तो बिना पैसे के एक धूर जमीन नहीं देते हैं. प्रेमचंद गुप्ता ने लालू प्रसाद को पटना में जो 200 करोड़ की जमीन दी, उसके एवज में पांच बार सांसद और पांच साल तक केंद्र में मंत्री पद प्राप्त किया है.
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