राज्य के किसानों के मुद्दे पर भाजपा-जदयू आमने-सामने

आरोप-प्रत्यारोप : मोदी सरकार की उपलब्धियों पर रार पटना : भाजपा किसान मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भदोही के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि वह केंद्र की योजनाओं को प्रदेश में लागू नहीं कर रही है. इसका सबसे बड़ा नुकसान किसानों को हो रहा है. उन्होंने सरकार के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2017 8:59 AM
आरोप-प्रत्यारोप : मोदी सरकार की उपलब्धियों पर रार
पटना : भाजपा किसान मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भदोही के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि वह केंद्र की योजनाओं को प्रदेश में लागू नहीं कर रही है. इसका सबसे बड़ा नुकसान किसानों को हो रहा है. उन्होंने सरकार के सहयोगी दल राजद पर आरोप लगाया कि इस काम में सबसे बड़े बाधक वही हैं. उनके काम करने की शैली यह है कि घाट लूटेंगे, बाट लूटेंगे, हाट लूटेंगे और ठाठ से रहेंगे.
उन्होंने कहा कि कृषि आधारित राजनीति से ही जातिगत राजनीति को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि शनिवार के कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार ने किसानों के विकास की बात की, लेकिन उनकी सुविधा के लिए लाये गये सोलर पंप के स्कीम की चर्चा तक नहीं की. इसके साथ ही कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि बिहार में कृषि यंत्रों पर मिलने वाली सब्सिडी में भारी धांधली हो रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जांच की मांग की.
लालू यादव पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि लालू यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड पड़ी. इस बारे में लालू ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि कहां-कहां छापेमारी हुई. ऐसे में केंद्र सरकार ने बेनामी संपत्ति संबंधी एक कानून बनाया है.
इसमें उल्लेख है कि यदि बेनामी संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति कुबूल नहीं करेगा तो उसे केंद्र सरकार जब्त कर लेगी. यह सरकारी संपत्ति हो जाएगी. पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीएम ने प्रदेश में शराबबंदी कानून तो बना दिया है, लेकिन यहां अब भी इसकी बिक्री जारी है. नीतीश सरकार में शामिल साझेदार दल के नेता ही यहां शराब के सबसे बड़े सप्लायर हैं.
ऐसे में यदि लालू यादव को भी अपने संपत्ति की जानकारी नहीं है तो वे इससे इनकार कर सकते हैं. वो कहते हैं कि मैं मोदी की लंका को राख कर दूंगा, कहीं ऐसा न हो कि उनकी तथाकथित अयोध्या ही नष्ट न हो जाये. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना-खेती के जमीन की सिंचाई के लिए केंद्र सरकार ने किसानों को सोलर पंप उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है. इससे खेती की लागत 45 फीसदी कम हो जायेगी. दो फसली खेती की संभावना बढ़ जायेगी.
सोलर पंप खरीदने के लिए जनधन अकाउंट वाले किसानों को बैंक से अासान किश्तों पर लोन मिलेगा. साथ ही केंद्र सरकार 80 से 90 फीसदी सब्सिडी उपलब्ध करवाएगी.
प्रधानमंत्री सड़क योजना-इसके तहत देश के हर गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा. इससे किसानों को अपना उत्पाद मंडियों तक पहुंचाने में सुविधा होगी.
प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना-बहुत कम प्रीमियम परकिसानों की फसल का बीमा होगा. सूखा, बाढ़, आग लगने या किसी भी तरह फसल खराब होने पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा मिलेगा.
जनधन योजना-छोटे किसानों, बढ़ई, लोहार, दूध बेचने वालों आदि को कारोबार के लिए कम ब्याज पर लोन की सुविधा दी जाएगी. भेड़ पालन योजना-पहली बार भेड़ पालकों को प्रोत्साहन देेने के लिए यह योजना लायी गयी है. इससे भेड़ पालने वाले किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकेंगे.
दीनदयाल ज्योति योजना-केंद्र ने देशभर के किसानों को सिंचाई के लिए अलग से बिजली देने की व्यवस्था की है. इसका खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.
नीम कोटेड खाद-अब केंद्र सरकार की पहल पर नीम कोटेड खाद भी बाजार में उपलब्ध है. इस पर सब्सिडी दिये जाने की व्यवस्था है. इस कारण इसके प्रयोग से पैदा होने वाली फसलों का सेवन करने से लोगों को बीमारी की संभावना कम हो जाएगी.
गोबर कोटेड खाद-ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह खाद फायदेमंद है. इस पर भी सब्सिडी की व्यवस्था की गयी है. दूध का उत्पादन बढ़ाने पर बल-किसानों को दूध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की व्यवस्था केंद्र सरकार ने की है. इसके लिए दुधारू पशुओं की खरीद के लिए बैंकों से लोन और सरकार की तरफ से सब्सिडी की व्यवस्था की गयी है.
इस मौके पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कुमार, किसान मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह, परशुराम चतुर्वेदी, पूर्व महामंत्री सरोज रंजन पटेल, नीरज नयन, जनार्दन योगी, रंजीत कुमार सिंह, सत्येन्द्र सिंह,गंगा सिंह, किसान मोरचा के अभय कुमार, भरत प्रधान आदि उपस्थित रहे.
बॉक्स
नीतीश के साझेदार दल ही शराब के सबसे बड़े सप्लायर
वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि केवल कानून बनाने से ही सबकुछ नहीं हो जाता, इसे लागू करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदारी की जरूरत है. बि
केंद्र ने कृषि मद में दिये 31 हजार करोड़ : डॉ प्रेम
विपक्ष के नेता डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार सहित उनकी सरकार केंद्र सरकार पर गलत आरोप लगाती रही है कि उन्हें केंद्र राशि नहीं देती है. यह आरोप बिल्कुल गलत है. केंद्र सरकार ने बिहार को कृषि के मद में 31 हजार करोड़ रुपये दे चुकी हैं, लेकिन सरकार जमीन पर काम नहीं करती है और केंद्र पर आरोप लगा कर सच्चाई छुपा नहीं सकती हैं.
उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार को विशेष पैकेज के तहत कृषि क्षेत्रों के उन्नयन के लिए 31 हजार करोड़ रुपये दिये. विशेष पैकेज में पूसा को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्तर उन्नयन के लिए 400 करोड़ रुपये दिये गये.
मछली पालन विकास योजना के लिए 200 करोड़ रुपये दिये. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि जल प्रबंधन (सूक्ष्म सिंचाई, जल संसाधनों का सृजन) के लिए 750 करोड़ रुपये दिये गये.
वहीं, राज्य में भंडारण क्षमता के विकास के लिए 6600 करोड़ रुपये दिये गये. कृषि विकास के लिए कृषि यांत्रिकरण के लिए 600 करोड़ रुपये दिये. उन्होंने कहा कि किसानों को उन्नत बीज देने के लिए बीज उत्पादन प्रणाली के लिए 300 करोड़ रुपये दिये. साथ ही कृषि के क्षेत्र में लगातार विकास के लिए मोतिहारी में एकीकृत कृषि प्रणाली पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च कर रहीं है. वहीं, सुपौल, मधेपुरा, हाजीपुर व चकिया बाजार में नये गोदाम के निर्माण के लिए 214 करोड़ रुपये दिये गये हैं.
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में जोड़कर नहीं दिया गया 50% मुनाफा
पटना : जदयू ने केंद्र सरकार पर किसानों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह, प्रवक्ता निखिल मंडल व प्रवक्ता अरविंद निषाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि अब तक किसानों को खाद्यान्न पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर नहीं दिया है. यह वादा खिलाफी है.
2014 लोकसभा चुनाव के पहले लगातार कहा गया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी मुनाफा जोड़ कर दिया जायेगा, लेकिन सरकार बने तीन साल हो गये इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. किसानों के साथ वादाखिलाफी का आलम यह है कि केंद्र सरकार खुद लोकसभा में कहती है कि गेंहू का समर्थन मूल्य 1525 से बढ़ा कर 1625 किया गया है. यह जवाब देते समय केंद्र सरकार के मंत्रियों को अपने चुनावी वादे भी नहीं याद आते हैं. संजय सिंह ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह बिहार के ही हैं.
वे अपने जिले व राज्य के किसानों के लिए जब कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो देश के किसानों के लिए क्या कुछ करेंगे? सरकार ने सिर्फ कृषि मंत्रालय का नाम बदल कर किसान कल्याण मंत्रालय रख दिया है. इस मौके पर प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि जीएम फसल कृषि के लिए विध्वंसक है और किसान विरोधी है. मुख्यमंत्री ने केंद्र को पत्र लिख कर हाल ही में जीएम सरसों के व्यावसायिक खेती के स्वीकृति पर असहमति दर्ज करायी है और इस पर निर्णायक रूप से प्रतिबंध करने की मांग की है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार के पास किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए ही योजना है.
और जो नीतियां भी सिर्फ व्यापारियों के लिए ही है. किसानों के साथ सिर्फ धोखा हो रहा है. भाजपा देश के किसानों को विदेशी कंपनियों के रहनुमा बनाना चाहती है, जहां वे पूरी तरह विदेशी बीज कंपनियों के ऊपर बीज के लिए निर्भर हो जाये? क्या यही उनका राष्ट्रवाद है? उन्होंने पूछा है कि जब कृषि राज्य का विषय है तो किस आधार पर केंद्र सरकार ने जीइएसी को जीएम सरसों के व्यावसायिक उत्पादन की सहमति देने का अधिकार दिया?
केंद्र में है जुमलों की सरकार : डॉ सुनील
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार हर मोरचे पर विफल रही है. लोकसभा चुनाव के समय युवाओं, किसानों से किये गये वादों को पूरा नहीं किया गया है. युवा नौकरियों के लिए जूझ रहेहैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं. तीन सालों में न तो केंद्र सरकार ने अपना कोई वादा पूरा किया और न ही एक भी जनपक्षीय काम किया.
केंद्र सरकार मात्र जुमलों और वादों की सरकार साबित हुई है. उन्होंने कहा कि किसानों को उनके उत्पादन का पचास फीसदी देने का वादा किया गया था, लेकिन किसानों को मात्र छह प्रतिशत फायदा ही मिल पा रहा है. मोदी राज में देश में आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की कमर तोड़ दी है.

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