स्कूलों व शिक्षकों पर कसा शिकंजा
सरकार के सात निश्चयों में सबसे अधिक जोर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर दिया गया है. सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के िलए वहां पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था करने को प्राथमिकता दी गयी है. इस पर तेजी से काम शुरू हो गया है. सरकारी स्कूलों से गायब रहनेवाले शिक्षकों की बरखास्तगी की कार्रवाई शुरू की गयी है. […]
सरकार के सात निश्चयों में सबसे अधिक जोर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर दिया गया है. सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के िलए वहां पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था करने को प्राथमिकता दी गयी है. इस पर तेजी से काम शुरू हो गया है. सरकारी स्कूलों से गायब रहनेवाले शिक्षकों की बरखास्तगी की कार्रवाई शुरू की गयी है. वहीं सरकार के स्तर पर निजी स्कूलों की फीस की मनमानी पर भी रोक लगाने का नीतिगत निर्णय लिया गया है. इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित हुई है, जो ग्रेडिंग के आधार पर निजी स्कूलों की फीस तय करेगी.
वर्षों से गायब पटना के डेढ़ हजार से अधिक शिक्षक होंगे बरखास्त
पटना : पटना जिले के हाइ व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जिला प्रशासन की समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि इन स्कूलों में नियुक्त करीब 550 शिक्षक वर्षों से गायब हैं. प्राथमिक स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की संख्या एक हजार से अधिक है.
सबसे बड़ी बात यह है कि इतने लंबे समय से गायब रहने के बावजूद स्थानीय निकायों ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की. डीएम संजय कुमार अग्रवाल के संज्ञान में यह मामला आने के बाद अब ऐसे शिक्षकों को बरखास्त करने की कार्रवाई शुरू हो गयी है. डीएम ने संबंधित निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया है कि अगले एक सप्ताह के अंदर तीन माह से अधिक समय से अनुपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची उपलब्ध कराएं, अन्यथा इसमें उनकी भी संलिप्तता मानी जायेगी.
डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश है कि तीन माह से अधिक अनुपस्थित रहनेवाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाये. लेकिन, जिला पर्षद, नगर निगम व नगर पंचायतों में ऐसे शिक्षकों को बचाने का खेल चल रहा है. तीन, चार या पांच साल के बाद ऐसे शिक्षक वापस आते हैं और उनको कार्यालय द्वारा मैनेज कर ज्वाइन करा लिया जाता है. इसके चलते शिक्षकों की अनुपस्थिति में वृद्धि हो ही रही है. इन रिक्त पदों पर नियुक्ति भी संभव नहीं हो पा रही. कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों के पद भी इसी कारण खाली हैं.
क्यों नहीं राज्य सरकार से करें कार्रवाई की अनुशंसा!
डीएम ने संबंधित निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों सेस्पष्टीकरण की मांग करते हुए पूछा गया है कि क्यों नहीं राज्य सरकार को आप पर कार्रवाई के लिए अनुशंसित किया जाये. उनसे यह भी कहा गया कि वे 15 दिनों में इन अनुपस्थित शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं करनेवालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करें. डीएम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी सख्त हिदायत दी है कि वे इस मामले में अविलंब कार्रवाई करें, अन्यथा उन पर भी कार्रवाई की जायेगी.
प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में भी हो रही है जांच :
डीएम के मुताबिक जब हाइस्कूल में शिक्षकों का यह हाल है, तो प्राथमिक व मध्य विद्यालयों का इससे भी बुरा हाल होगा. इसलिए जांच टीम ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट तैयार कर रही है. इसमें अब तक एक हजार से अधिक शिक्षकों के गायब होने की जानकारी मिली है. इसकी जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द मांगी गयी है.
अखबारों में प्रकाशित होगी लापता शिक्षकों की सूची:
डीएम ने कहा कि लापता शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची अखबारों में भी प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, ताकि उनका पक्ष भी जाना जा सके.
300 शिक्षकों का त्यागपत्र कार्यालय में लंबित :
समीक्षा के दौरान यह बात भी सामने आयी कि 300 लोगों के त्यागपत्र कार्यालय में लंबित हैं. इन्हें जिला पर्षद अध्यक्ष, नगर निगम या नगर पंचायत द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है.
इसमें कार्यालय कई बार तीन-चार साल के बाद ऐसे शिक्षकों के लौटने के बाद त्यागपत्र गायब कर देते हैं और उन्हें पुन: योगदान कराने की कोशिश करते हैं. अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या 538 है, जबकि अनुपस्थित पुस्तकालय अध्यक्षों की संख्या 36 है. ऐसे में पटना के ग्रामीण क्षेत्रों के हाइस्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, जबकि जनप्रतिनिधि, स्थानीय लोग व छात्र-छात्राएं प्राय: शिकायत लेकर आते हैं कि कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं.
अनुपस्थित शिक्षकों का ब्योरा :
– पटना नगर निगम : 168, जिला पर्षद : 291, मोकामा नगर पर्षद : 22, बाढ़ नगर पर्षद 07, खगौल नगर पर्षद : 07, फुलवारीशरीफ नगर पर्षद : सूचना अप्राप्त, दानापुर नगर पर्षद : सूचना अप्राप्त, मनेर नगर पंचायत : 17, बख्तियारपुर नगर पंचायत : 02, खुसरूपुर नगर पंचायत : 12, फतुहा नगर पंचायत : 12 .
कुल 538.
पुस्तकालय अध्यक्ष
– नगर निगम : 4, जिला पर्षद :26, मोकामा नगर पर्षद: 01, बाढ़ नगर पर्षद : 1, फुलवारीशरीफ नगर पर्षद : सूचना अप्राप्त, मसौढ़ी नगर पर्षद : सूचना अप्राप्त, दानापुर नगर पर्षद : सूचना अप्राप्त, खगौल नगर पर्षद : 2, मनेर नगर पंचायत : 1, बख्तियापुर नगर पंचायत : सूचना अप्राप्त, खुसरूपुर नगर पंचायत : सूचना अप्राप्त, फतुहा नगर पंचायत 1, कुल 36 .
कोट :
जांच में बड़ा खुलासा
डीएम ने संबंधित निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
िनर्देश : तीन माह से अधिक समय से गायब शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची एक हफ्ते के अंदर जमा करें प्रधानाध्यापक
जब हाइस्कूलों की जांच करायी गयी, तो पता चला कि 550 शिक्षक वर्षों से स्कूल नहीं आ रहे हैं. इनकी बरखास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की जांच रिपोर्ट तैयार की जा है.
संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना
राज्य सरकार ग्रेडिंग के आधार पर निर्धारित करेगी एक समान फीस
पटना : राज्य के निजी स्कूलों में वसूली जानेवाली मनमानी फीस और अन्य प्रकार के शुल्क पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. सभी निजी स्कूलों को तीन ग्रेड -‘ए, बी और सी’ में बांटा जायेगा रखा जायेगा और हर ग्रेड के लिए समान फीस तय की जायेगी. स्कूलों को सरकार की ओर से निर्धारित फीस ही बच्चों से लेनी होगी. अगर कोई स्कूल इससे ज्यादा की वसूली करेगा, तो उसकी मान्यता रद्द करने की सरकार िसफािरश कर सकती है.
पटना हाइकोर्ट के निर्देश के बाद निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर और नियमावली को लेकर शिक्षा विभाग के अपर सचिव के सेंथिल कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने निजी स्कूलों की ग्रेडिंग करने की तैयारी पूरी कर ली है. कमेटी रिजल्ट के आधार पर सीबीएससी व आइसीएसइ बोर्ड के स्कूलों समेत अन्य निजी स्कूलों की ग्रेडिंग करेगी. हर ग्रेड के लिए अलग-अलग फीस तय की जायेगी. उस ग्रेड वाले सभी स्कूलों को वही फीस लेनी होगी, चाहे वे सीबीएसइ-आइसीएसइ या फिर बिना मान्यता के चल रहे प्राइवेट स्कूल ही क्यों न हों?
शिक्षा विभाग वैसे स्कूलों को भी इसमें शामिल कर रहा है, जहां 25% सीटों पर गरीब तबके व कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन कराया जाता है. इसके अलावा यह कमेटी दूसरे प्रदेशों का भी दौरा करेगी, जहां निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर व उनके लिए नियमावली बनी है. शिक्षा विभाग ग्रेडिंग के अनुसार फीस स्ट्रक्चर और नियमावली तैयार कर पहले उसे हाइकोर्ट में पेश करेगा. हाइकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद सरकार विधेयक के रूप में इसे विधानमंडल में लायेगी और सदन से पास होने के बाद उसे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा.