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बिहार में हेलीकॉप्टर बेस बनाने की तैयारी
पटना या गया में किसी एक स्थान पर ही बेस बनाने की हो रही तैयारी पटना : बिहार में किसी आपात स्थिति या नक्सली हमला से निपटने के लिए सीआरपीएफ बड़े स्तर पर पहल करने जा रहा है. इसके तहत पटना या गया में हेलीकॉप्टर बेस बनाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए सीआरपीएफ […]
पटना या गया में किसी एक स्थान पर ही बेस बनाने की हो रही तैयारी
पटना : बिहार में किसी आपात स्थिति या नक्सली हमला से निपटने के लिए सीआरपीएफ बड़े स्तर पर पहल करने जा रहा है. इसके तहत पटना या गया में हेलीकॉप्टर बेस बनाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए सीआरपीएफ ने एक विशेष कार्ययोजना तैयार करके नयी दिल्ली को अंतिम स्तर की अनुमति लेने के लिए भेज दिया है.
सीआरपीएफ के पटना रेंज के कमांड ऑफिस पटना या गया, दोनों में किसी एक स्थान पर हेलीकॉप्टर बेस तैयार करना चाहता है. इस बात की ज्यादा संभावना व्यक्त की जा रही है कि गया में इस बेस के तैयार होने की ज्यादा संभावना जतायी जा रही है. क्योंकि गया नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से यहां से नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाये जा रहे ऑपरेशन में यह बेहद ही सहायक साबित होगा. पड़ोसी राज्य झारखंड में चार-पांच साल पहले से ही हेलीकॉप्टर बेस है.
फिलहाल बिहार को किसी आपात स्थिति में रांची से हेलीकॉप्टर मंगवाना पड़ता है, लेकिन कई बार वहां ऑपरेशन जारी रहने के कारण समय पर हेलीकॉप्टर की मदद नहीं मिल पाती है. साथ ही इसके दूसरे स्थान पर मूवमेंट की सूचना गृह मंत्रालय को भी भेजनी पड़ती है. बिहार हेलीकॉप्टर बेस बनने से सीआरपीएफ के अलावा बिहार पुलिस भी जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग आसानी से करसकती है.
पटना या गया में हेलीकॉप्टर बेस बन जाने से यहां चौबीस घंटे एक एमआइ-18 हेलीकॉप्टर तैनात रहेगा. जिसकी सेवा किसी भी स्थिति में तुरंत ली जा सकती है. आने वाले समय में ज्यादा जरूरत महसूस होने पर इसकी संख्या बढ़ाकर दो भी की जा सकती है. या, पटना और गया दोनों स्थानों पर एक-एक हेलीकॉप्टर बेस तैयार किया जा सकता है. एमआइ-18 एक बेहद ही उन्नत हेलीकॉप्टर है, जिसमें 8 से 10 तक लोग सवार हो सकते हैं.
साथ ही यह किसी आपात स्थिति में बड़ी मात्रा में समाना और घायलों को भी ढोने में सक्षम है. यह बेहद ही ताकतवर हेलीकॉप्टर है, जिसे जमीन पर बिना उतारे बेहद कम दूर पर हवा में रोके रखा जा सकता है. इससे किसी ऑपरेशन में तेजी से जवानों तक मदद मिल सकती या घायलों को आसानी से उठाया जा सकता है. किसी भी दुर्गम स्थान पर यह बेहद आसानी से उतर सकता या उड़ान भर सकता है.
इसलिए जरूरी है हेलीकॉप्टर बेस
पिछले साल जुलाई में गया के डुमरी नाला के बेहद ही घने जंगली इलाके में माओवादियों के एक हमले में कोबरा फोर्स के 10 जवान शहीद हो गये थे और दर्जनभर घायल हो गये थे. आइइडी के दर्जनों विस्फोट करके नक्सलियों ने जवानों की टुकड़ी का बड़ा नुकसान कर दिया था.
पहाड़ी और घना जंगली इलाका होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में काफी समस्या आयी थी. इसके अलावा किसी स्थान पर हंगामा या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में तुरंत राहत एवं बचाव कार्य पहुंचाने में समस्या होती है. हेलीकॉप्टर बेस रहने से इस तरह की स्थिति पर जल्द काबू पाने में बेहद आसानी होगी.
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