पटना : बिहार राज्यमंत्रिपरिषद ने आरबीआइ के ई-कुबेर साफ्टवेयर के जरिए ट्रेजरी से सीधे लाभुकों के खाते में भुगतान को आज मंजूरी प्रदान कर दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधानसचिव ब्रजेश महरोत्रा ने बताया कि मंत्रिपिरषद ने व्यापक ट्रेजरी प्रबंधन सूचना प्रणाली (सीटीएमआइएस) के अंतर्गत ई-पेमेंट के माध्यम सभी प्रकार का भुगतान सीधे लाभुकों अथवा भुगतान प्राप्तकर्ताओं के बैंक खाते में आरबीआई द्वारा क्रेडिट किये जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खाते से निकासी की गयी राशि सीधे अब लाभुकों को प्राप्त होगी. निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी को बैंक में राशि संचित करने की आवश्यक्ता नहीं होगी. संवेदकों, वेंडरों, आपूर्तिकर्ताओं एवं लाभुकों को किए जाने वाले भुगतान में पारदर्शिता आएगी तथा सरकारी राशि की क्षमता में वृद्धि होगी. राज्य में डिजिटल भुगतान को बढावा मिलेगा.
ब्रजेश ने कहा कि पूर्व में ट्रेजरी से विपत्र पारित होने के बाद बैंक से आरटीजीएस के माध्यम लाभुकों के खातों में भुगतान की प्रकिया होती थी. इस प्रकियात्मक कार्रवाई में काफी विलंब होता था. इसलिए सरकार ने आरबीआई के ई-कुबेर साफ्टवेयर के जरिए ट्रेजरी से सीधे लाभुकों के खाते में भुगतान को मंजूरी दी गयी है. उन्होंने कहा कि इसके लागू हो जाने पर आरटीजीएस के माध्यम भुगतान में होने वाले विलंब से छुटकारा मिलेगा.
ब्रजेश महरोत्रा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने वर्ष 2017-18 में अनियमित मानसून, बाढ अथवा सूखे जैसी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होने पर सिंचाई के लिए किसानों को डीजल अनुदान के लिए 150.71 करोड रुपये तथा आकस्मिक फसल योजना के लिए 24.28 करोड रुपये की लागत पर कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा योजना उद्व्यय एवं बजट उपबंध के अधीन व्यय को मंजूरी प्रदान कर दी है.
ब्रजेश महरोत्रा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने पटना में अंतराष्ट्रीय स्तर का डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम साईंस सिटी की स्थापना के लिए अनुमानित 397 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने वर्ष 2016 में बाढ से क्षतिग्रस्त तटबंधों, संरचनाओं, बराजों आदि पर कराये जा रहे पुनर्स्थापन कार्य बाढ 2017 से पहले पूरी कर लेने के लिए 251 करोड़ 68 लाख रुपये के व्यय को मंजूरी प्रदान कर दी है.
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मंत्रिपरिषद ने बिहार नवीन और नवीकरणीय उर्जा स्रोतों की सवर्द्धन नीति 2017 को मंजूरी तथा इसके प्रवृत्त होने तक बिहार नवीन और नवीकरणीय उर्जा स्रोतों की सवर्द्धन नीति 2011 के अवधि विस्तार को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्होंने बताया कि बिहार नवीन और नवीकरणीय उर्जा स्रोतों की सवर्द्धन नीति 2017 के लागू होने पर 2022 तक राज्य में पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल और सततशील ढंग से बढती मांग के लिए बिजली पैदा करने के उद्देश्य के साथ 2969 मेगावाट सौर उर्जा, 244 मेगावाट जैव ईंधन व खोद अथवा खल्ली सह उत्पादन तथा 220 मेगावाट पनबिजली उर्जा की संस्थापित क्षमता का लक्ष्य रखा गया है.
ब्रजेश ने बताया कि इसके तहत सौर उर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र में विदेशी कंपनी भी होगी जिसमें निवेश आकर्षित के लिए ग्रिड कनेक्शन के साथ-साथ विकेंद्रिकृत अक्षय उर्जा के परियोजनाओं की स्थापना के लिए समुचित माहौल उपलब्ध कराना है तथा कृषि, उद्योग, वाणिज्यिक और घरेलु क्षेत्र खासकर ग्रामीण इलाकों में विकेंद्रिकृत अक्षय उर्जा उपलब्ध कराकर बिजली की गुणवत्ता में सुधार लाना है. उन्होंने बताया कि सोलर परियोजना से बिजली प्राप्त करने के लिए 100 मेगावाट का एकरारनामा हस्ताक्षरित किया गया है.