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18 जिले आर्सेनिक की चपेट में : एके घोष

पटना : बिहार में आर्सेनिक प्रभावित जिलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 46,000 चापाकलों के पानी की जांच के दौरान पाया गया कि बिहार के 18 जिले आर्सेनिक प्रभावित हो चुके हैं. जबकि सरकार का डाटा अब तक 13 जिलों की हैं. ये बातें महावीर कैंसर संस्थान के एचओडी डॉ एके घोष ने […]

पटना : बिहार में आर्सेनिक प्रभावित जिलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 46,000 चापाकलों के पानी की जांच के दौरान पाया गया कि बिहार के 18 जिले आर्सेनिक प्रभावित हो चुके हैं.
जबकि सरकार का डाटा अब तक 13 जिलों की हैं. ये बातें महावीर कैंसर संस्थान के एचओडी डॉ एके घोष ने बिहार हेल्थ वालेंटरी एसोसिएशन की ओर से मैनपुरा स्थित बीभीएचएस के कार्यालय में पानी में आर्सेनिक की समस्या व दुष्प्रभाव विषय पर आयोजित कार्यशाला में कहीं. उन्होंने कहा कि बिहार में आर्सेनिक की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
बनाया गया है मॉडल : इसके लिए पांच लाख रुपये की लागत वाले आर्सेनिक मुक्त जल बनाने का मॉडल बनाया गया है. यदि राज्य सरकार इस मॉडल को अपनाती है, तो एक मॉडल से लगभग 200 परिवार स्वच्छ जल का सेवन कर पायेंगे. इसके अलावा वैसे जिले या गांव जहां जल आर्सेनिक प्रभावित हो चुके हैं.
उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए जल को स्टोर कर उसे धूप में 48 घंटे तक रखने के बाद सेवन करें. एेसा करने से आर्सेनिक का प्रभाव समाप्त हो जाता है. यूनिसेफ के डॉ गौतम वसु ने बताया कि इससे निबटने के लिए सरकार को संजीदगी से काम करने की जरूरत है. मौके पर वाटर सैनिटेशन के आशीष विश्वास, कार्यकारी निदेशक स्वप्न मजूमदार, सीएएसए सतीश सिंह, एनएचएस के अजीत सिंह समेत अन्य मौजूद थे.
बढ़ रही है कैंसर मरीजों की संख्या
महावीर कैंसर संस्थान में कैंसर से पीड़ित बच्चों और महिलाओं की ज्यादातर संख्या आर्सेनिक प्रभावित जिलोंं से है. इनमें सबसे अधिक प्रभावित जिला बक्सर, भोजपुर, वैशाली, भागलपुर व किशनगंज है. आर्सेनिक युक्त जल के प्रयोग से कैंसर जैसी भयावह बीमारियां हो रही है.

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