तारों में खो जाएगी 1436 करोड़ की बिजली

योजना : चालू वित्तीय वर्ष में ट्रांसमिशन लॉस 30 % से अधिक का अनुमान, 2020 तक 15% का लक्ष्य पटना : बिजली के टेक्निकल और कामर्शियल लॉस को कम करने में बिजली कंपनियां सफल नहीं हो रही हैं. इसका असर राज्य के खजाने पर पड़ता है. एक मोटे अनुमान के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2017 8:31 AM
योजना : चालू वित्तीय वर्ष में ट्रांसमिशन लॉस 30 % से अधिक का अनुमान, 2020 तक 15% का लक्ष्य
पटना : बिजली के टेक्निकल और कामर्शियल लॉस को कम करने में बिजली कंपनियां सफल नहीं हो रही हैं. इसका असर राज्य के खजाने पर पड़ता है. एक मोटे अनुमान के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य में 1436 करोड़ का नुकसान होगा. राज्य सरकार यह राशि बिजली वितरण कंपनियों के एवज में एनटीपीसी और अन्य को देगी.
जल्द ही इस आशय प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जायेगा. राज्य में औसतन रोजाना चार हजार मेगावाट बिजली की खपत है. बिजली के लिए बिहार सेंट्रल पूल और बाजार पर निर्भर है. तकनीकी लॉस के अलावा कामर्शियल लॉस से भी बिजली कंपनी को जूझना पड़ता है.
इस लॉस को 2020 तक 15 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार उदय योजना में शामिल है. इस योजना के गाइड लाइन में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 तक वितरण क्षति को 15 प्रतिशत तक करना है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से वर्ष 2017-18 के लिए 18.25 , 2018-19 के लिए 17 और 2019- 20 में फीसदी तक वितरण क्षति को लाने को कहा है. बिजली कंपनी के सूत्रों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में बिजली का लॉस तीस फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है. बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है. सरकार और विद्युत विनियामक आयोग का बिजली के वितरण लॉस को कम करने पर पूरा फोकस है. ताकि राज्य सरकार के खजाने पर बोझ कम हो सके.
बिजली कंपनी बिजली वितरण के लॉस को कम करने में जुट गयी है. कंपनी बिजली वितरण के टेक्निकल व कामर्शियल लॉस को 15 फीसदी तक लाने के निर्णय लिया है. इस दिशा में प्रयास भी चल रहा है. बिजली कंपनी के लोगों का कहना है कि लॉस को कम नहीं किया गया तो आनेवाले समय में ओर परेशानी बढ़ जायेगी. अगले साल के अंत तक सभी धरों में बिजली ही नहीं पहुंचाना है बल्कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति भी करना है.
कृषि के लिए अलग से फीडर बनाकर उसमें बिजली की आपूर्ति करना है. अनुमान है कि इस साल के अंत तक बिजली की खपत पांच हजार मेगावाट तक हो जायेगी. अभी तक 4100 मेगावाट का मांग पिछले महीने तक हुई थी. अभी बिजली की औसतन क्षति रोजाना 400 मेगावाट है. अभी राज्य में 30 फीसदी तक टेक्निकल और कामर्शियल लॉस होता है.
बिजली लॉस से बिजली कंपनी को आर्थिक क्षति तो होती ही है राज्य सरकार पर भी वित्तीय भार पड़ रहा है. कंपनी हर माह 700 करोड़ से अधिक की बिजली खरीदती है. उस अनुपात में राजस्व नहीं आ रहा है. विनियामक आयोग ने बिजली कंपनी से राजस्व गैप को कम करने के लिए कहा है.

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