बिहार : महागठबंधन में दरार, सोनिया की बुलायी बैठक में शामिल होंगे लालू, नीतीश ने किया इनकार
पटना : राष्ट्रपति चुनाव से ऐन पहले एनडीए के खिलाफ एकजुट हो रहे दलों में बड़ी दरार सामने आयी है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इस मसले पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार एकमत नहीं हो पा रहे हैं. अखबार छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 26 मई 2017 यानी शुक्रवार को […]
पटना : राष्ट्रपति चुनाव से ऐन पहले एनडीए के खिलाफ एकजुट हो रहे दलों में बड़ी दरार सामने आयी है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इस मसले पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार एकमत नहीं हो पा रहे हैं. अखबार छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 26 मई 2017 यानी शुक्रवार को दिल्ली में सोनिया गांधी द्वारा एनडीए विरोधी दलों की बैठक में नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे. अखबार केमुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी जमीन तलाश रही विपक्षी पार्टियों के लिये यह अच्छी खबर नहीं है. अंग्रेजी अखबार लिखता है कि कांग्रेस ग्रैंड एलायंस सत्तारूढ़ बिहार सरकार में एकसाथ पार्टनर हैं, जिसमें जदयू और राजद शामिल है. सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी बैठक में लालू प्रसाद उपस्थित रहेंगे, लेकिन नीतीश कुमार ने इनकार कर दिया है.
अंग्रेजी अखबार में छपी खबर
अखबार के मुताबिक नीतीश कुमार पहले ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के दूसरे कार्यकाल की वकालत कर चुके हैं.उन्होंनेकहा भीहैकि सबसे पहले, तो इस मामले में सत्ताधारी दलों को सर्वानुमति बनानी चाहिए, पहले केंद्र सरकार का फर्ज बनता है कि वह पहल करे और अबतक के जो उदाहरण हैं, उनमें केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों को पहल करनी चाहिए तथा सभी दलों से बातचीत करनी चाहिए. अखबार के मुताबिक अधिकांश विपक्षी नेता नीतीश के इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं, जिसमें लालू प्रसाद भी शामिल हैं. अखबार आगे लिखता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने मंगलवार को नीतीश को विपक्षी दलों की बैठक में आमंत्रित करने के लिए बुलाया था, लेकिन, नीतीश ने आने से मना कर दिया और कहा कि वह एक प्रतिनिधि भेज देंगे.
जदयू ने दी सफाई
उधर, अंग्रेजी अखबार को दिये अपने बयान में जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा कि अहमद पटेल ने नीतीशजी को बुलाया था, लेकिन वह 26 मई को सोनियाजी के आह्वान पर बुलायी गयी बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश जी कुछ दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख से मुलाकात कर चुके हैं और पहले ही सोनिया गांधी को बता चुके हैं कि वह राष्ट्रपति चुनाव में क्या चाहते हैं. जदयू की ओर से बैठक में शरद यादव के शामिल होने की संभावना है,बैठकमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होंगी.
प्रणव के समर्थन में नीतीश
अखबार लिखता है कि नीतीश कुमार ने प्रणव मुखर्जी को लेकर अपनी बात उस समय रखी है, जब विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव के जरिये मोर्चा बनाने में जुटा है. कांग्रेस और राजद का मानना है कि विपक्ष को अभी से उम्मीदवार का नाम घोषित कर मैदान में उतर जाना चाहिए. अखबार के मुताबिक एनडीए के खिलाफ मोर्चा बना रहे दलों को पता है कि राष्ट्रपति चुनाव में उनके मतों की संख्या ज्यादा नहीं है, क्योंकि हालिया विधानसभा चुनाव में एनडीए को बढ़त मिल चुकी है. हालांकि, विपक्ष एनडीए में शामिल छोटे दलों, मसलन बीजेडी, एआईएडीएमके और टीआरएस जैसे दलों से अपने पक्ष में समर्थन की उम्मीद कर सकता है. ग्रैंड एलायंस के नेताओं का कहना है कि नीतीश के इस स्टैंड से एनडीए को यह मैसेज चला जायेगा कि विपक्ष में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है.
राजद नेता ने साधा नीतीश पर निशाना
वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी अखबार से बातचीत में राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि मुझे नीतीश कुमार के इस फैसले से कोई आश्चर्य नहीं दिखा. उनका ट्रैक रिकार्ड देखने से यह पता चलता है कि हम जिस स्टैंड पर खड़े होते हैं, उनका वह हमेशा विरोध करते हैं. रघुवंश प्रसाद ने इस मामले में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश के फैसले की बात कहते हुए कहा कि सोनिया गांधी के एक फोन पर नेता बैठक में शामिल होने जा रहे हैं, उन्हें भी जाना चाहिए. नीतीश के नहीं जाने से एक गलत संदेश जायेगा और एनडीए को लाभ मिलेगा. वहीं अखबार ने लालू के हवाले से एक बयान की चर्चा की है जिसमें लालू ने कहा है कि राजद प्रणव मुखर्जी को दूसरे कार्यकाल के लिए समर्थन नहीं करेगा. लालू ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि विपक्षी दलों के बीच प्रणव मुखर्जी के नाम पर एक आम सहमति बनेगी. उन्होंने कहा कि सभी सत्तारूढ़ दल मिलकर यदि मुखर्जी का समर्थन करते हैं, तो भी मैं नहीं करूंगा.
केसी त्यागी ने दिया जवाब
उधर, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश और लालू के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश जी ने सिर्फ अपना सुझाव दिया है, वह अकेले नाम पर फैसला नहीं करेंगे. एक निर्णय सर्वसम्मति से लिया जायेगा. उन्होंने एक और सुझाव दिया है, वह यह कि प्रणव मुखर्जी को एक और मौका मिलना चाहिए.
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