पटना : बिहार की राजधानी पटना में स्थित सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. अब तक इलाज के अभाव में 30 घंटे के अंदर 17 मरीजों की मौत हो गयी है. बताया जा रहा है कि कई मरीजों की हालत गंभीर है. इधर, पटना के जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल, पटना और दरभंगा मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गये हैं. जानकारी के मुताबिक मरीजों में त्राहिमाम की स्थिति है. निजी क्लिनिकों में दलाल चांदी काट रहे हैं. वहीं, सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रयास नहीं किया गया है. ज्ञात हो कि मेडिकल छात्रों पर पीजी मैट की काउंसेलिंग के दौरान हुए लाठीचार्ज के विरोध में बुधवार से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये हैं .
कुल 17 मरीजों की मौत
जानकारी के मुताबिक हड़ताल की वजह से इलाज के अभाव में बुधवार को 12 मरीजों की मौत हो गयी. वहीं,गुरुवारको पांच और मरीजों के मौतकी खबर मिलीहै. बुधवार को इमरजेंसी वार्ड में एक भी ऑपरेशन नहीं हो सका है और ओपीडी से करीब 500 मरीजों को बिना इलाज लौट जाना पड़ा. वार्डों में भरती 100 मरीज दूसरे अस्पताल चले गये. हालांकि, इमरजेंसी में रोज की तरह 400 नये मरीजों का इलाज हुआ. जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को भी हड़ताल पर रहने का एलान किया है.
वैकल्पिक व्यवस्था फेल
वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर बाहर से 50 डॉक्टरों को पीएमसीएच बुलाने का निर्देश दिया गया था, जिनमें 22 डॉक्टरों ने अपनी सेवा भी दी. लेकिन, मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था का खास असर नहीं दिखा. मरीजों का कहना था कि अस्पताल प्रशासन उचित व्यवस्था नहीं कर सका. इसके कारण मरीज व उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
अस्पताल का दावा हड़ताल के कारण नहीं हुई मौत
पीएमसीएच में हड़ताल के कारण रामदुलारी देवी सहित 12 मरीजों की मौत हो गयी. वहीं, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि हड़ताल के कारण मौत नहीं हुई है. जितनी भी मौत हुई है, उन मरीजों की हालत पहले से ही गंभीर थी. इधर, हड़ताल की वजह से पीएमसीएच की इमरजेंसी वार्ड में एक भी ऑपरेशन नहीं हो सका. जबकि, आम दिनों में इमरजेंसी में पांच से छह ऑपरेशन होते हैं. मरीजों को बेहोश करने में हुई दिक्कत, तो ट्रेनिंग के लिए आये डॉक्टरों का लिया सहारा : सबसे अधिक परेशानी ऑपरेशन कराने आये मरीजों को हुई. एनेस्थेसिया विभाग में डॉक्टरों की कमी के कारण समय पर मरीजों को बेहोश करने में परेशानी हुई. बाद में एनेस्थेसिया विभाग के एचओडी डॉ विजय गुप्ता के निर्देश पर ट्रेनिंग के लिए आये आठ डॉक्टरों को इसमें लगाया गया. हालांकि, डॉ विजय गुप्ता ने दावा किया हड़ताल का असर ऑपरेशन थियेटर पर नहीं पड़ा.
ओपीडी से बिना इलाज लौटे 500 मरीज
रोहतास जिले से आयी शकुंतला देवी करीब 50% जल गयी हैं. उन्हें परिजनों ने पीएमसीएच लाया. लेकिन,उन्हें बर्न वार्ड के बदले इमरजेंसी में जमीन पर लिटा दिया गया. हालत गंभीर हुई तो परिजनों ने सुरक्षा कर्मचारियों से गुहार लगायी. सुरक्षा कर्मचारी अंदर गये और मरीज की हालत के बारे में सीनियर डॉक्टरों को बताया. इसके बावजूद कुछ असर नहीं हुआ.
पटना के सुल्तानगंज निवासी राजू कुमार को न्यूरो की शिकायत है. सिर में चोट लगने की वजह से वह बार-बार बेहोश हो जाता है. भाई सुनील कुमार ने बताया कि ओपीडी में काफी भीड़ थी. इस कारण उसे बिना इलाज ही लौटना पड़ा.
दावा, पहले से ही गंभीर हालत में थे
पीएमसीएच को बाहर के 50 डॉक्टर मिले थे. 22 डॉक्टरों को दोपहर तक ज्वाइन भी करा लिया गया. इन डॉक्टरों से ओपीडी, वार्ड में मदद ली गयी. जितने भी मरीजों की मौत हुई है, वे पहले से ही गंभीर हालत में थे. कुछ मरीज तो रेफर होकर आये थे.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
धरने पर थे, मौतों का पता नहीं
बुधवार को मरीजों की जो मौत हुई, वह हड़ताल के कारण हुई या अन्य कारणों से, इसके बारे में हमें पता नहीं है. साथ ही मौत की संख्या के बारे में भी हमें मालूम नहीं है, क्योंकि हमलोग अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे.
डॉ विनय यादव, अध्यक्ष, जेडीए, पीएमसीएच
आज भी रहेगी हड़ताल
अन्य मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों का हाल
एसकेएमसीएच : ओपीडी में आये 800 मरीज बिना इलाज लौटे.
डीएमसीएच : ओपीडी में आये 1372 मरीजों का नहीं हो सका इलाज.
जेएलएनएमसीएच : हड़ताल नहीं.
एएनएमएमसीएच : हड़ताल नहीं.
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