PMCH : 21 मरीजों की मौत के बाद डॉक्टरों की हुई छीछालेदर, जूनियर डॉक्टर काम पर लौटे
पटना : पीजीमैट काउंसेलिंग के दौरान लाठीचार्ज के बाद नाराज जूनियर डॉक्टरों की पीएमसीएच में हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी, इस कारण गुरुवार को भी नौ मरीजों की मौत हो गयी. दो दिनों की हड़ताल में सिर्फ पीएमसीएच में 21 मरीजों की मौत हो […]
पटना : पीजीमैट काउंसेलिंग के दौरान लाठीचार्ज के बाद नाराज जूनियर डॉक्टरों की पीएमसीएच में हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी, इस कारण गुरुवार को भी नौ मरीजों की मौत हो गयी. दो दिनों की हड़ताल में सिर्फ पीएमसीएच में 21 मरीजों की मौत हो गयी. इमरजेंसी वार्ड में एक भी ऑपरेशन नहीं हो सका. इमरजेंसी वार्ड में जहां 20 गंभीर मरीज बेड छोड़ दूसरे अस्पताल में चले गये वहीं, बाकी वार्डों में भी करीब 50 मरीज पलायन कर गये. मरीजों की शिकायत है कि सीनियर डॉक्टर भी वार्ड में राउंड लगाने नहीं पहुंचे. हड़ताल का असर रहा कि ओपीडी में भी रोज की तुलना में 600 मरीज कम पहुंचे. इधर पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो दिनों से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल गुरुवार देर रात समाप्त हो गयी. रात 12 बजे से जूनियर डॉक्टर अपने काम पर लौट गये. उनकी चार सूत्री मांग को मानते हुए उन्हें जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाया गया.
इमरजेंसी में दर्द से कराह उठे मरीज
पीएमसीएच प्रशासन की मानें तो बाहर से 42 डॉक्टरों को बुलाकर ड्यूटी लगायी गयी थी. लेकिन मरीजों की शिकायत है कि एक भी डॉक्टर मरीज को देखने नहीं आया. यहां तक कि पीएमसीएच के सीनियर डॉक्टर भी राउंड लगाने नहीं पहुंचे. इसका असर सबसे अधिक इमरजेंसी वार्ड में पड़ा. गंभीर रूप से घायल मरीज दर्द से कराहते रहे.
इमरजेंसी में कम पहुंचे मरीज, 20 गंभीर मरीज बेड छोड़ गये
इमरजेंसी वार्ड के मरीज सही देखभाल नहीं होने से परेशान दिखे. अकेले इमरजेंसी वार्ड में रोजाना 250 मरीज इलाज लिए आते हैं.लेकिन गुरुवार को सिर्फ 195 मरीज ही पहुंचे थे. वहीं 20 गंभीर मरीज दूसरे प्राइवेट अस्पताल की ओर रुख कर गये. मरीजों का कहना था कि भले ही बाहर से डॉक्टरों को बुलाया गया है लेकिन कोई भी डॉक्टर मरीज के देखने नहीं पहुंचा.
निर्देश के बाद भी इमरजेंसी में नहीं हुआ ऑपरेशन
वैसे तो पीएमसीएच में हर दिन की तरह 55 ऑपरेशन किये गये. लेकिन इमरजेंसी वार्ड में गंभीर मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो पाया. पेट में पथरी, अपेंडिक्स, पैर व हाथ टूटने, मारपीट में गंभीर रूप से घायल आदि गंभीर मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो सका. ऑपरेशन के लिए पीएमसीएच के जिम्मेदार अधिकारियों ने कई बार निर्देश दिया. लेकिन डॉक्टर रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं थे. ऑपरेशन अगले दिन के लिए टाल दिया गया. हालांकि इमरजेंसी के लेबर वार्ड में छह ऑपरेशन किये गये. लेकिन बड़ा ऑपरेशन टाल दिया गया.
ये मरीज कर गये पलायन
वैशाली जिले के रहने वाले संजय कुमार के चार साल के बेटे रूप सनम का एक हाथ टूट गया है. परिजनों ने बुधवार को पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया, डॉक्टर प्लास्टर करने के लिए बोले, लेकिन गुरुवार को प्लास्टर व इलाज दोनों ही नहीं हो पाया. यहां तक कि दर्द से कराते चार साल के इस मासूम को बेड तक नसीब नहीं हुआ. पिता संजय ने बताया कि कई बार डॉक्टरों से गुहार लगायी लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया, यही वजह है कि प्राइवेट अस्पताल ले जाना पड़ा.
ब्रेन में टूटी हड्डी, नहीं आया कोई डॉक्टर देखने
सहरसा जिले के रहने वाले सुभाष मेहता मारपीट के दौरान बुरी तरह से घायल है.परिजनों ने गुरुवार को गंभीर हालत में पीएमसीएच में भरती कराया. जहां जांच के बाद पता चला कि ब्रेन में हड्डी टूट चुकी है. दर्द से पीड़ित इस मरीज को इमरजेंसी में फर्श पर ही लेटा दिया गया. सुभाष के साला रविंद्र कुमार ने कहा कि पीड़ित मरीज को देखने 20 घंटे से कोई भी डॉक्टर नहीं आया.
हड़ताल समाप्त कराने पहुंचे डॉ विजय गुप्ता
हड़ताल समाप्त करने के लिए एनेस्थेसिया के हेड डॉ विजय गुप्ता धरना स्थल पर पहुंचे. मरीजों की मौत और हो रही परेशानी उन्होंने बतायी, बावजूद जूनियर डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े रहे. डॉ विजय से स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से बात कर हड़ताल समाप्त करने के लिए बात की. इधर, जूनियर डॉ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार यादव का कहना है कि दूसरे दिन भी हमारी मांग को नहीं माना गया, यहां तक कि छात्रों की रिहाई भी नहीं की गयी, नतीजा हड़ताल जारी रहेगा.
क्या कहते हैं अधीक्षक
हड़ताल का असर मरीजों पर नहीं है, क्योंकि हमने बाहर के 42 डॉक्टरों की ड्यूटी अलग-अलग वार्डों में लगायी है. यहां तक कि सीनियर डॉक्टरों को भी निर्देश जारी किया गया है कि वह अधिक से अधिक समय मरीजों पर दें. अगर कोई डॉक्टर लापरवाही करते पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. रही बात मरीजों की मौत की तो जिन मरीजों की मौत हुई वे सभी मरीज पहले से ही गंभीर हालत में थे. कुछ मरीज तो रेफर हो कर यहां आये थे.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच.
हड़ताल का असर
हड़ताल के दूसरे दिन बाहर के 42 डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी गयी थी
डॉ विजय गुप्ता की देखरेख में 32 बड़े व 23 छोटे ऑपरेशन ओटी में
खून की कमी के चलते दो ऑपरेशनों को टाल दिया गया
गुरुवार को मेडिसिन विभाग में नौ मरीजों की चली गयी जान
पीएमसीएच में 600 मरीज बिना इलाज के ही लौट गये
कुछ यूं भी दिखा नजारा : नर्सों के साथ मरीज के परिजनों ने भी देखभाल में किया सहयोग
हड़ताल में सक्रिय दलाल झांसा देकर ले गये प्राइवेट अस्पताल
हड़ताल का फायदा दलालों ने भी खूब उठाया. इमरजेंसी सेवा ठप हो जाने से दलालों की सक्रियता इमरजेंसी वार्ड में बढ़ गयी. दलाल भरती मरीज के बेड तक जाकर दूसरे प्राइवेट अस्पताल में जाने के लिए झांसा देते हुए देखे गये. प्राइवेट एंबुलेंस चालक भी हर मरीज को बाहर के अस्पताल में जाने व इलाज व्यवस्था ठीक करने का झांसा दे रहे थे. बाइपास और कंकड़बाग स्थित प्राइवेट अस्पतालों के एंबुलेंस और दलाल अस्पताल में सबसे अधिक देखे गये.
पटना सिटी
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पीजी के कनीय चिकित्सक गुरुवार को 24 घंटे की हड़ताल पर उतर आये. हालांकि, अस्पताल में यूजी के कनीय चिकित्सकों ने कामकाज किया. कार्य बहिष्कार पर उतरे कनीय चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में 60-65 की संख्या में कनीय चिकित्सकों ने अस्पताल की इरमजेंसी के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. अध्यक्ष ने बताया कि उनकी तीन सूत्री मांगों में गिरफ्तार छात्रों की रिहाई, दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने व दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई शामिल हैं.
हड़ताल पर रहे कनीय चिकित्सकों ने गुरुवार को इमरजेंसी, आॅपरेशन थियेटर व वार्ड के साथ ओपीडी में अपनी सेवा नहीं दी. हालांकि, अस्पताल के इमरजेंसी व वार्ड के साथ ओपीडी में भी सामान्य तरीके से मरीजों का उपचार किया गया. पीएमसीएच की हड़ताल के कारण मरीजों की संख्या यहां कुछ बढ़ गयी थी. अस्पताल के अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह ने बताया कि कनीय चिकित्सकों की ओर से हड़ताल किये जाने की स्थिति में अस्पताल में मरीजों को सुचारु ढंग से उपचार की व्यवस्था मिल सके, इसके लिए विभाग के प्रधान सचिव ने 50 चिकित्सकों की मांग की गयी थी.
मिली राहत : रात 12 बजे से काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर, आज से ओपीडी, इमरजेंसी सेवा बहाल
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो दिन से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल गुरुवार देर रात समाप्त हो गयी. रात 12 बजे से जूनियर डॉक्टर अपने काम पर लौट गये. उनकी चार सूत्री मांग को मानते हुए उन्हें जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाया गया. इलाज व्यवस्था पर पड़ रहे असर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन के नेतृत्व में एक बैठक आयोजित की गयी. इसमें जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार यादव और पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा मौजूद थे.
जेडीए के अध्यक्ष डॉ विनय ने बताया कि चारों छात्रों को बेल देकर रिहा कर दिया गया है. हालांकि थाने में दर्ज प्राथमिकी से नाम हटाने की मांग पर छात्र अड़े थे जिन्हें भरोसा दिलाया गया कि प्रशासन इसकी जांच कर कर रहा है, वहीं लाठीचार्ज क्यों हुई, इस मसले पर जांच किया जायेगा. जो दोषी होंगे, उन पर ही कार्रवाई होगी. जेडीए अध्यक्ष ने कहा कि प्रधान सचिव ने सिर्फ आश्वासन दिया है. अगर 15 दिन के अंदर मांगों पर विचार नहीं होगा तो जूनियर डॉक्टर फिर हड़ताल चले जायेंगे. वहीं पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा ने कहा कि शुक्रवार से ओपीडी व इमरजेंसी सुचारु रूप से काम करने लगेगा. आइएमए के उपाध्यक्ष डॉ सुनील सिंह ने कहा कि डॉक्टरों को भी मानवता बरतनी चाहिए, क्योंकि पीएमसीएच में खासकर गरीब तबके के मरीज आते हैं.
यह भी पढ़ें-
पटना पीएमसीच में हालात नाजुक, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी, अबतक 17 मरीजों की मौत