नदियों में संरचना विकसित कर कम हो सकता है सिल्ट

पटना : गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के चेयरमैन ई अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि गंगा के बाढ़ को लेकर फरक्का बराज को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता. फरक्का बराज का प्रभाव 46 किलोमीटर तक अपस्ट्रीम में पड़ताहै. गंगा की सहायक नदियों में संरचना विकसित कर सिल्ट को कम किया जा सकता है. ई सिन्हा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2017 8:04 AM
पटना : गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के चेयरमैन ई अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि गंगा के बाढ़ को लेकर फरक्का बराज को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता. फरक्का बराज का प्रभाव 46 किलोमीटर तक अपस्ट्रीम में पड़ताहै. गंगा की सहायक नदियों में संरचना विकसित कर सिल्ट को कम किया जा सकता है.
ई सिन्हा रविवार को इंडियन इंजीनियरिंग एसोसिएशन द्वारा बाढ़ व जल संसाधन प्रबंधन विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सप्तकोशी व इंद्रपुरी डैम के निर्माण से बेहतर जल प्रबंधन भी कर सकते हैं.
जल विशेषज्ञ डॉ टी प्रसाद ने कहा कि बाढ़ के विनाशकारी स्वरूप को इंजीनियरिंग साइंस के माध्यम से सकारात्मक रूप में जनोपयोगी बना सकते हैं. नेपाल के साथ हमारा सांस्कृतिक व सामाजिक रिश्ता है, तो हाइड्रोलोजिक बॉन्ड क्यों नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमारी शासन व्यवस्था में साइंस व आम लोगों को तरजीह नहीं दी जाती है, जिससे हम बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव से जूझते हैं.
एसोसिएशन के महासचिव ई पीएस महाराज ने कहा कि बाढ़ को अभिशाप से वरदान में बदला जा सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब जल, गाद, व ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करेंगे. अध्यक्षता जल विशेषज्ञ डॉ टी प्रसाद और संचालन पूर्व प्रो डॉ संतोष कुमार ने किया. मौके पर हिम्मत सिंह, परमेश्वर यादव, शमशेर अली, सावित्री पोखराल आदि मौजूद थे.

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