रोजेदारों को इफ्तार कराना सवाब
फुलवारीशरीफ : इमारते शरिया के नाजीम मौलाना अनिसुर्रहमान कासमी ने कहा कि रमजान का महीना आते ही रहमतें और बरकतें नाजील होती हैं. रमजान का महीना बड़ा ही पवित्र महीना है. यह महीना गमखारी का महीना है.लोग इस माह में ज्यादा-से-ज्यादा इबादत में वक्त लगाएं. कुरान पाक की तिलावत करें. नफील नमाज पढ़ें. रोजा सिर्फ […]
फुलवारीशरीफ : इमारते शरिया के नाजीम मौलाना अनिसुर्रहमान कासमी ने कहा कि रमजान का महीना आते ही रहमतें और बरकतें नाजील होती हैं. रमजान का महीना बड़ा ही पवित्र महीना है. यह महीना गमखारी का महीना है.लोग इस माह में ज्यादा-से-ज्यादा इबादत में वक्त लगाएं.
कुरान पाक की तिलावत करें. नफील नमाज पढ़ें. रोजा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि आंख ,कान जबान ,हाथ का भी रोजा है. इसलिए कि आंख से बुराई न देखें इस पर रोक लगाएं. कान से किसी की बुराई या चुगली न सुनें, जबकि जबान से किसी को गाली-गलौज या दुख देनेवाली बात न करें.
यह महीना समाज के कमजोर तबकों को खूब मदद करने का है. हदीस में आता है कि दिये गये एक रुपये का सवाब 70 रुपये के बराबर होता है. मौलाना अनिसुर्रहमान कासमी ने कहा कि किसी भी इनसान या किसी रोजेदार को इफ्तार दिया, तो उसे बेहद सवाब मिलता है.इफ्तार के समय मांगी गयी दुआ भी कबूल होती है. इसलिए इफ्तार के समय लोगों को बैठ कर दुआ मांगनी चाहिए.