छात्रों को भड़का रहे मोदी पर दर्ज हो एफआइआर : संजय

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेता सुशील मोदी को बिहार के छात्र-छात्राओं की चिंता नहीं सिर्फ अपनी राजनीतिक भविष्य चमकाने की चिंता है. छात्रों को भड़काने के मामले में मोदी पर एफआइआर दर्ज होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को छात्र-छात्राओं के भविष्य की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2017 7:24 AM
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेता सुशील मोदी को बिहार के छात्र-छात्राओं की चिंता नहीं सिर्फ अपनी राजनीतिक भविष्य चमकाने की चिंता है. छात्रों को भड़काने के मामले में मोदी पर एफआइआर दर्ज होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को छात्र-छात्राओं के भविष्य की चिंता है. बिहार राज्य शिक्षा परिषद द्वारा घोषित परिणाम से बिहार की शिक्षा प्रणाली और परीक्षा में किये व्यापक फेर बदल व अनियमितता के रोकथाम का असर साफ दिख रहा है. परीक्षा परिषद में पारदर्शिता और कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए बिहार सरकार की निशानदेही पर बड़े पैमाने पर बदलाव किये गये, ताकि परीक्षा में किसी भी स्तर पर कदाचार की संभावना नहीं रहे. उन्होंने कहा कि बिहार में कंपार्टमेंटल परीक्षा के लिए एक के बदले दो विषयों में परीक्षा देने की अनुमति दी गयी है. फिजिक्स में 12 गलत सवालों के बदले 12 अंक देने की बात गलत है.
भौतिकी में एक भी सवाल गलत नहीं था. सुशील मोदी सिर्फ छात्र-छात्राओं को भड़काने का काम कर रहे हैं. जब शिक्षकों की हड़ताल हुई तब सरकार द्वारा पोस्ट ग्रेजुएट किये हुए शिक्षकों को इंटर की कॉपी जांचने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक जिस विषय के थे, उसी विषय की कॉपी जांचने को दी गयी. साथ ही उन्हें उस विषय का मॉडल आंसर पेपर भी उपलब्ध कराया गया. इस कारण जांच में किसी तरह की गड़बड़ी का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है.
देश के कई राज्यों में परीक्षा समिति द्वारा मॉडरेशन होता था, जिसे केंद्र की सरकार ने इसी साल बंद करा दिया. इसके लिए दिल्ली राज्य के अभिभावकों ने दिल्ली हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बिहार राज्य परीक्षा समिति में मॉडरेशन का प्रचलन कभी था ही नहीं. बिहार राज्य परीक्षा समिति के अध्यक्ष का कार्य परीक्षा व्यवस्था में सुधार करना था, न कि पढ़ाई सुधारने का. इसमें समिति की कोई गलती नहीं है. सरकार का विशेषाधिकार है कि किसको कहां रखे, कहां नहीं रखे.

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