जानवरों का प्रतिबंधित 1,160 इंजेक्शन बरामद

खुलासा. किरण फार्मा में औषधि विभाग की छापेमारी, दुकान मालिक अच्युतानंद गिरफ्तार डाइक्लोसन 30 एमएल नाम का इंजेक्शन जब्त पटना : भारत सरकार की ओर से प्रतिबंधित इंजेक्शन भी दवा दुकानदार धड़ल्ले से बेच रहे हैं. मोटी कमाई के एवज में यह इंजेक्शन ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है. इसका प्रभाव क्या होगा, दुकानदार इसका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2017 7:02 AM
खुलासा. किरण फार्मा में औषधि विभाग की छापेमारी, दुकान मालिक अच्युतानंद गिरफ्तार
डाइक्लोसन 30 एमएल नाम का इंजेक्शन जब्त
पटना : भारत सरकार की ओर से प्रतिबंधित इंजेक्शन भी दवा दुकानदार धड़ल्ले से बेच रहे हैं. मोटी कमाई के एवज में यह इंजेक्शन ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है. इसका प्रभाव क्या होगा, दुकानदार इसका भी ख्याल नहीं रखते. इसका खुलासा तब हुआ, जब औषधि विभाग की टीम ने शुक्रवार को गोविंद मित्रा रोड स्थित किरण फार्मा दुकान में छापेमारी की. छापेमारी में डाइक्लोसन 30 एमएल नाम की 1,160 इंजेक्शन को जब्त किया गया. इसकी कीमत करीब 75,000 रुपये बतायी जा रही है. यह इंजेक्शन जानवरों पर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके विपरीत प्रभाव के चलते भारत सरकार ने इसकी बिक्री पर रोक लगा दी थी.वहीं, दुकान मालिक को पुलिस के हवाले कर दिया गया है.
जानवरों पर होता है इस्तेमाल : औषधि विभाग के इंस्पेक्टर सच्चितानंद विक्रांत का कहना है कि इस इंजेक्शन का इस्तेमाल भैंस, गाय आदि पालतू जानवरों पर किया जाता है. खासकर जोड़ों के दर्द, बुखार, खाना नहीं खाने, लगातार हांफने आदि मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, इसके इस्तेमाल से जानवरों पर विपरीत प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है. लेकिन, इसे चोरी-चोरी बेची जा रही थी.
दुकान मालिक को भेजा गया जेल : किरण फॉर्मा दुकान के मालिक अच्युतानंद के खिलाफ पीरबहोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. पुलिस ने दुकान के मालिक को जेल भेज दिया है. वहीं, औषधि विभाग का कहना है कि किरण फार्मा की तरह पटना में कई दुकानों पर इस तरह के इंजेक्शन बेचे जाने की सूचना मिल रही है. चिह्नित दुकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की जायेगी. साथ ही यह भी पता लाया जायेगा कि प्रतिबंध के बाद भी इस तरह की दवाएं कहां से आ रही है.
पीएमसीएच : इंजेक्शन कैसे पहुंचा बाहर, मरीजों से आज होगी पूछताछ
पटना : पीएमसीएच में चल रहे ड्रग के अवैध कारोबार का तार कहां और किन-किन माफियाओं से जुड़े हैं, इसका पता लगाने के लिए औषधि विभाग मरीज व उनके परिजनों का सहारा लेगी. ऑपरेशन कराने वाले मरीज और उनके परिजनों से पूछताछ करेगी, जिन्होंने ऑपरेशन से पहले मेरोपेनम-1 ग्राम हायर एंटीबायोटिक बाहर की दुकानों से खरीदी है.
ड्रग विभाग ने ऐसे मरीजों की सूची बना ली है. ये वहीं मरीज हैं जिनका ऑपरेशन पीएमसीएच में हुआ. विभाग का दावा है कि दो दिनोंके अंदर पता चल जायेगा कि पीएमसीएच में इस तरह के इंजेक्शन का अवैध कारोबार कौन कर रहा है और उसका तार कहां-कहां जुड़ा है.
शनिवार को औषधि विभाग पीएमसीएच के इमरजेंसी और हथुआ वार्ड में उपलब्ध दवाओं की जांच करेगी. कुल 37 वार्डों की जांच करनी है. वार्ड में मरीजों को लिखी गयी परची और उपलब्ध दवाओं की स्थिति को भी देखा जायेगा.
स्टोर में रखी दवाओं का स्टॉक से मिलान करने के साथ ही उसकी सूची तैयार करेगी. गौरतलब है कि पीएमसीएच में गुरुवार को किये गये छापेमारी में मेरोपेनम 1 ग्राम हायर एंटीबायोटिक इंजेक्शन पाया गया. यह वही इंजेक्शन है, जो कंकड़बाग स्थित श्रीहनुमान सहित कई एजेंसियों में छापेमारी के दौरान मिली थी. जांच टीम उस कड़ी की तलाश में हैं, जिसके जरिये मरीजों को मिलनेवाली दवाएं निजी दुकानों व गोदामों तक पहुंच रही है.

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