बिहार में शराबियों की पहचान के लिए हो रही नयी व्यवस्था, पटना, दानापुर और बाढ़ में शुरू होगा आधार प्रमाणीकरण
सभी उत्पाद कार्यालयों में नयी व्यवस्था के लागू होने के बाद शराब पीने, पिलाने या व्यापार करने के आरोप में पकड़े जाने वाले तमाम लोगों की बायोमेट्रिक पहचान रिकॉर्ड रहेगी. इससे आदतन अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने में आसानी होगी.
बिहार में मद्यनिषेध अधिनियम के तहत पकड़े जाने वाले आरोपियों के आधार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया ट्रायल के तौर पर पटना जिले के तीन उत्पाद कार्यालयों पटना, दानापुर और बाढ़ से प्रारंभ हो रही है. इन कार्यालयों में पकड़े जाने वाले लोगों की बायोमेट्रिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपकरण व ऑपरेटर की व्यवस्था कर दी गयी है. ट्रायल की सफलता के बाद जल्द ही सूबे के अन्य सभी जिला उत्पाद कार्यालयों में भी यह व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी.
यूआइडीएआइ की मंजूरी के बाद काम शुरू
आधार सत्यापन के लिए यूआइडीएआइ (यूनिक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया) की मंजूरी के बाद मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया है. चयनित एजेंसी को सभी उत्पाद कार्यालयों में बायोमेट्रिक आइडेंटिफिकेशन के लिए उपकरण इंस्टॉल करने व उसके संचालन को लेकर प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती का निर्देश दिया गया है.
अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने में आसानी होगी
सभी कार्यालयों में इस नयी व्यवस्था के लागू होने के बाद शराब पीने, पिलाने या व्यापार करने के आरोप में पकड़े जाने वाले तमाम लोगों की बायोमेट्रिक पहचान रिकॉर्ड रहेगी. इससे आदतन अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने में आसानी होगी. साथ ही दूसरी बार शराब पीकर पकड़े जाने वाले आरोपित भी जेल की सजा से बच नहीं सकेंगे.
Also Read: बिहार में साल के पहले दिन पकड़े गए 776 शराबी, दिसंबर के अंतिम पखवारे में प्रतिदिन हुई 1100 गिरफ्तारी
रजिस्ट्री में खरीद-बिक्री करने वालों का भी आधार सत्यापन
मद्यनिषेध के साथ ही निबंधन में भी आधार सत्यापन को लेकर बायोमेट्रिक उपकरण स्थापित किये जाने की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल जमीन या मकानों के दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए पक्षकारों के फोटोग्राफ, अंगुलियों के निशान एवं गवाहों के अंगूठे का निशान डिजिटली लिया जाता है, लेकिन अब संपत्ति खरीदने या बेचने वाले यानी क्रेता-विक्रेताओं का आधार नंबर भी सत्यापित होगा. इससे रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी ही, जमीन विवाद के मामलों में भी कमी आयेगी. अधिकारियों के मुताबिक फरवरी महीने तक यह व्यवस्था सभी रजिस्ट्री कार्यालयों में लागू हो सकती है.