संवाददाता, पटना
अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि दाखिल-खारिज आवेदनों की समीक्षा के दौरान आवेदन अस्वीकृत करने के कई मामले सामने आये. इसमें यह ज्ञात हुआ है कि इन आवेदनों पर कर्मचारी द्वारा किसी भी प्रकार की आपत्ति लगाने पर, बिना आवेदक का पक्ष सुने अंचल अधिकारी या राजस्व अधिकारियों द्वारा दाखिल-खारिज अस्वीकृत कर दिया जाता है. एक बार दाखिल-खारिज का आवेदन अस्वीकृत होने पर आवेदक को उसकी अपील में भूमि सुधार उपसमाहर्त्ता के न्यायालय में जाना पड़ता है. कई बार कोई दस्तावेज अपठनीय रहने या प्रासंगिक दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन में आपत्तियां लगायी जा सकती हैं.
दाखिल-खारिज की संपूर्ण प्रक्रिया अधिनियम का जिक्र करते हुए अपर मुख्य सचिव ने लिखा है कि किसी भी वाद को अस्वीकृत करने से पूर्व संबंधित याचिकाकर्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाये. ऐसे में सभी प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम अपने अधीनस्थ अंचलाधिकारी और राजस्व पदाधिकारियों को पूरे मामले को देखने के लिए कहा है. साथ ही अंचलों की समीक्षा में दाखिल-खारिज अभिलेखों की इस दृष्टिकोण से भी समीक्षा करने का निर्देश दिया है.
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