– परिवहन विभाग ने शुरू की तैयारी, जिलों में दुर्घटना वाले क्षेत्रों तक पहुंचेंगे अधिकारी -दुर्घटना कम करने की बनेगी कार्ययोजना संवाददाता, पटना बिहार में नये सिरे से अधिक दुर्घटना वाले क्षेत्रों की पहचान होगी. परिवहन विभाग के मुताबिक बिहार में सड़कों की लंबाई-चौड़ाई बढ़ी है. इस कारण गाड़ियों की गति बढ़ने से दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. इन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विभागीय स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है. जल्द ही जिलों से मिली रिपोर्ट के आधार पर दुर्घटना प्रवण क्षेत्रों में तकनीकी रूप से काम होगा और सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा. इसके लिए जिलों में अधिकारियों को शहरी व ग्रामीण इलाकों की सभी सड़कों का भ्रमण करेंगे. जिला स्तर पर होगी विशेष सलाहकार समिति, अधिकारियों की करेंगे मदद जिला स्तर पर एक-एक विशेष सलाहकार समिति बनायी जायेगी, जो दुर्घटना वाले क्षेत्र के संबंध में अधिकारियों की सहायता करेंगे. इनमें जिला प्रशासन, परिवहन, पथ निर्माण, जनप्रतिनिधि, युवा, एनसीसी छात्र व महिलाओं को भी रखा जायेगा. यह सभी मिलकर उन इलाकों के संबंध में अपनी बातों को रखेंगे कि दुर्घटना का कारण क्या है. इसमें सुधार के लिए क्या करना होगा. इसके बाद उन सभी जगहों पर तकनीकी रूप में काम होगा, जहां दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. इन जिलों में अधिक दुर्घटनाएं परिवहन विभाग की समीक्षा रिपोर्ट के बाद कैमूर, सुपौल, बक्सर, मधेपुरा, कटिहार, बांका, भोजपुर, अरवल, सीवान, खगड़िया, शिवहर, गोपालगंज, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, रोहतास, नालंदा, औरंगाबाद, जमुई, पूर्णिया व पटना में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. सड़क दुर्घटनाओं की हर माह होगी समीक्षा नयी कार्ययोजना के तहत सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा हर माह होगी. साथ ही, सड़क दुर्घटना आगे उस जगह पर नहीं हो. इसके लिए क्या-क्या कदम उठाये गये. इसकी पूरी रिपोर्ट बनेगी, जिसकी समीक्षा विभाग में हर तीन माह पर होगी. इस समीक्षा में उन सभी दुर्घटना वाली जगहों पर कमियों को दूर करके सुनिश्चित किया जायेगा कि इस जगह पर दोबारा से दुर्घटना नहीं हो. यातायात पुलिस व परिवहन अधिकारियों को मिलेगी ट्रेनिंग विभाग ने निर्णय लिया है कि जिलों में ऐसे ब्लैक स्पाॅट जहां दुर्घटनाएं अधिक होती हैं. उसकी पहचान कर उसे कैसे तुरंत दुरुस्त किया जाए. इसके लिए यातायात पुलिस, परिवहन अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जायेगी. वहीं, चालकों द्वारा यातायात नियमों को तोड़ा जाता है, तो उनकी भी ट्रनिंग होगी, जिसमें उन्हें बताया जायेगा कि नियमों का इस तरह पालन करने पर सड़क दुर्घटनाएं कम होंगी. बस स्टैंड सहित अन्य जगहों पर कैंप लगाया जायेगा.
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