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ACS VC Meeting: कुलपतियों के साथ बैठक में उठ सकता है PL अकाउंट का मुद्दा, शिक्षा विभाग की नजर 2000 करोड़ पर

ACS VC Meeting: बैठकों में अन्य मुद्दों के साथ साथ विश्वविद्यालयों में जारी आर्थिक अनियमितता पर भी चर्चा होगी. खास कर राज्य के विश्वविद्यालयों के पीएल एकाउंट में दो हजार करोड़ रुपये जमा हैं, जिसका उपयोग नहीं किया जा रहा है.

ACS VC Meeting: पटना. शिक्षा विभाग का विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ बैठक आखिरकार बुधवार से शुरू हो रही है. एक दिन में दो या तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठकें होंगी. पूर्व एएसीएस केके पाठक के कार्यकाल के दौरान राजभवन के विरोध के कारण कुलपतियों के साथ बैठक टलती रही, लेकिन नये एसीएस एस सिद्धार्थ के पदभार संभालने के बाद बैठक पर सहमति बन गयी है. इन बैठकों में अन्य मुद्दों के साथ साथ विश्वविद्यालयों में जारी आर्थिक अनियमितता पर भी चर्चा होगी. खास कर राज्य के विश्वविद्यालयों के पीएल एकाउंट में दो हजार करोड़ रुपये जमा हैं, जिसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. कुलपतियों के साथ बैठक में विभाग इस राशि को वापस करने की बात रख सकता है.

पीएल अकाउंट में जमा धन दो हजार करोड़

वर्ष 2018-19 से विभिन्न मदों में दी जाने वाली राशि विश्वविद्यालयों द्वारा शत प्रतिशत खर्च नहीं किए जाने के चलते उसके पीएल अकाउंट में जमा धन दो हजार करोड़ रुपये हो गया है. इस राशि को लेकर शिक्षा विभाग ने कई बार विश्वविद्यालयों को आगाह किया है. अब विभाग द्वारा उक्त राशि को वापस लेने की तैयारी हो रही है. फिलहाल, पीएल अकाउंट में जमा राशि का अद्यतन ब्योरा विश्वविद्यालयों से शिक्षा विभाग ले रहा है. कई विश्वविद्यालयों में एक मद का पैसा दूसरे मद में खर्च होने की बात भी सामने आ रही है. ऐसे विश्वविद्यालयों को पीएल अकाउंट में जमा राशि का अद्यतन ब्योरा देने में परेशानी हो सकती है.

तीन महीने के अंदर सरेंडर करनी होगी राशि

उच्च शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को राज्य सरकार द्वारा मदवार दी जाने वाली राशि शत प्रतिशत खर्च नहीं किया जा रहा है. इसके चलते शिक्षा विभाग द्वारा अब नयी व्यवस्था की गयी है. इसी व्यवस्था के तहत पिछले दिनों विश्वविद्यालयों को करीब 116 करोड़ रुपये मुहैया कराया गया है. शर्त यह है कि एक माह के अंदर राशि भुगतान नहीं करने पर पुनः मुख्यालय से स्वीकृति ली जाएगी. तीन माह के अंदर खर्च नहीं होने पर राज्य सरकार को सरेंडर करनी होगी.

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मुख्यालय स्तर पर निगरानी

शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी, जिनका वेतन सत्यापन कोषांग से वेतन पुर्जा निर्गत नहीं हुआ है, उन्हें 25 प्रतिशत राशि काट कर वेतन का भुगतान किया जाएगा. वेतन सत्यापन के लिए तय समय-सीमा के अंदर आवेदन नहीं करने वाले शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों का तीन माह के बाद वेतन बंद होगा. अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक-शिक्षकेतरकर्मियों के वेतन सत्यापन के बाद ही बकाया पेंशनादि का भुगतान होगा. यही कारण है कि इस माह से प्रत्येक विश्वविद्यालय में राशि भुगतान की निगरानी मुख्यालय स्तर पर की जा रही है.

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