संवाददाता, पटना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल ने जानबूझकर आवेदन अस्वीकृत करने वाले अंचल अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्देश विभाग के अधिकारियों को दिया है. उन्होंने अंचल अधिकारियों से कहा है कि कई बार डीसीएलआर, एडीएम या डीएम के स्तर पर सुनवाई में पता चलता है कि आपका निर्णय गलत था. तब तक नुकसान हो चुका होता है. कई मामलों में वरीय पदाधिकारियों का आदेश लेकर रैयत भटकते रहते हैं, अंचल अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं. लोग सालों तक दौड़ते रहते हैं. यह आपराधिक कृत्य हैं, जिनको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. मंत्री डॉ जायसवाल बुधवार को दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन संस्थान में अंचल अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस बैठक में 168 अंचल अधिकारी शामिल हुए. बाढ़ के कारण बेगूसराय और भागलपुर के अंचल अधिकारी शामिल नहीं हो सके. बैठक का उद्देश्य ऑनलाइन सेवाओं में जोड़ी गयी नयी विशेषताओं के बारे में अंचल अधिकारियों को जानकारी देना और उनके फीडबैक के आधार पर इन सेवाओं में और सुधार करना है. बैठक के दौरान मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कई प्रकार की ऑनलाइन सेवाएं दे रहा है. इसमें से कई सेवाओं में अस्वीकृति की दर काफी अधिक है. कई बार अस्वीकृति का यह निर्णय जल्दबाजी में या निहित स्वार्थवश लिया जाता है. इससे निर्दोष लोगों के साथ अन्याय होता है, यह नहीं होना चाहिए. दाखिल -खारिज मामलों की समीक्षा इस बैठक में दाखिल- खारिज मामलों की समीक्षा में सर्वाधिक 47.93 फीसदी अस्वीकृति के मामले सीतामढ़ी के सुप्पी अंचल में पाए गए. 44 फीसदी अस्वीकृति के साथ पटना का पंडारक दूसरे, जबकि 39.9 फीसदी अस्वीकृति के साथ बेगूसराय का साम्हो अखा कुरहा तीसरे स्थान पर था. निर्धारित समय सीमा के बाद लंबित आवेदनों की संख्या सर्वाधिक 7018 रोहतास के सदर अंचल में पायी गयी. वहीं 6748 लंबित आवेदनों के साथ पटना सदर अंचल दूसरे स्थान पर और 6428 लंबित आवेदनों के साथ पटना का संपतचक अंचल तीसरे स्थान पर रहा. अगस्त में पटना सदर अंचल को फिसड्डी यानी 534वां स्थान पटना सदर अंचल अधिकांश मापदंडों पर फिसड्डी रहा और अंचल अधिकारियों की मासिक रैंकिंग में पटना सदर को अगस्त माह में सबसे नीचे यानी 534वां स्थान प्राप्त हुआ. सदर अंचल अधिकारी ने मात्र दो फीसदी दस्तावेजों पर डिजिटल हस्ताक्षर किये, जबकि वहां मात्र 25 फीसदी सरकारी जमीन की इंट्री की गई. इन्हीं मामलों में जिला का स्कोर क्रमशः 35 फीसदी और 90 फीसदी रहा. डिजिटाइज्ड जमाबंदी और छूटी हुई जमाबंदी में प्रगति असंतोषजनक बैठक में म्यूटेशन प्लस के अलावा परिमार्जन प्लस की प्रगति की समीक्षा की गयी. परिमार्जन प्लस में डिजिटाइज्ड जमाबंदी और छूटी हुई जमाबंदी की अलग-अलग समीक्षा में दोनों में प्रगति असंताेषजनक पायी गयी. 86 अंचल अधिकारियों ने जून माह से अब तक परिमार्जन प्लस में आये एक भी आवेदन का निष्पादन नहीं किया था. अंचल अधिकारियों को चेतावनी अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी अंचल अधिकारियों को अक्तूबर तक अपने प्रदर्शन में सुधार करने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि परिमार्जन प्लस पोर्टल पर दिए गए आवेदनों में से 50 फीसदी आवेदनों का निष्पादन हर हाल में अक्तूबर माह के आखिर तक हो जाना चाहिए. इसी तरह उन्होंने म्युटेशन के छह लाख लंबित मामलों को घटाकर दो लाख लाने का लक्ष्य दिया. साथ ही दाखिल -खारिज के मामले अस्वीकृत होने की रैंडम जांच का निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिया है. इससे अंचल अधिकारियों की मनमानी की जानकारी मिल सकेगी. उन्होंने अक्तूबर माह से हरेक अंचल अधिकारी का पिछले छह माह का रैंकिंग भी तैयार करने का निर्देश आईटी मैनेजर को दिया है. साथ ही कहा है कि अंचल अधिकारियों की लगातार खराब मासिक रैंकिंग उनके खिलाफ कार्रवाई का सबसे मजबूत आधार बनेगी. वहीं सचिव जय सिंह ने कहा कि अंचल अधिकारी दैनिक और साप्ताहिक आधार पर अपने कर्मचारियों के साथ बैठक कर लंबित मामलों की प्रगति देखें. जिन मामलों में कागजी साक्ष्य कम हैं उनका फील्ड विजिट कर सत्यापन कर लें. ये रहे मौजूद: बैठक में विभाग के अपर सचिव अरुण कुमार सिंह समेत विशेष सचिव, संयुक्त सचिव और अन्य सभी पदाधिकारी मौजूद थे.
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