Bihar Film Conclave: पटना में जुटे कई दिग्गज एक्टर-एक्ट्रेस, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर, फिल्म नीति पर हुई चर्चा
Bihar Film Conclave: बिहार में नई फिल्म नीति बनने के बाद पहली बार 'फिल्म कॉन्क्लेव' का आयोजन किया गया जिसमें अभिनेता-अभिनेत्री, निर्देशक-निर्माता जुटे और फिल्म नीति पर चर्चा हुई. नई फिल्म नीति के तहत स्थानीय भाषाओं में फिल्म बनाने पर लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा.
Bihar Film Conclave: पटना के ताज होटल में शुक्रवार को ‘फिल्म कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया. बिहार में नयी फिल्म नीति बनने के बाद यह पहला कॉन्क्लेव है, जिसमें दिग्गज एक्टर-एक्ट्रेस, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर शामिल हुए. कॉन्क्लेव का आयोजन कला संस्कृति एवं युवा विभाग व बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड ने किया था. एक दिवसीय कॉन्क्लेव में बिहार के पांच प्रमुख भाषाओं से संबंध रखने वाले दिग्गज कलाकार शामिल हुए.
फिल्म कॉन्क्लेव का उद्देश्य बिहार फिल्म पॉलिसी के बारे में जानकारी देना, हिंदी सिनेमा के अभिनेता- अभिनेत्रियों के साथ हर विधा के कलाकार ‘प्रदेश में बेहतर फिल्मों का निर्माण’, ‘स्थानीय कलाकारों को रोजगार’, ‘पर्यटन व उद्योग को बढ़ावा’ देना था. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री व कला, संस्कृति एवं विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा शामिल हुए. साथ ही, सांसद व अभिनेता रवि किशन और मनोज तिवारी भी शामिल होकर सभा को संबोधित किया.
सरकार ने सब्सिडी की व्यवस्था की है : दया निधान पांडे
सभा को संबोधित करते हुए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव दयानिधान पांडे ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि यहां के लोगों को लिए फिल्म बनाते हैं, तो यहां आकर बनाएं. आपके लिए सरकार सब्सिडी की व्यवस्था की है, जो देश में सबसे अधिक है. वहीं, विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद ने कहा कि नीति लागू होने के बाद यह पहला कॉन्क्लेव है. हालांकि, इसे सीमित नहीं करना है. दिसंबर माह में मुंबई में जाकर एक और कॉन्क्लेव का आयोजन किया जायेगा. नीति के तहत फिल्म निर्माताओं को राज्य में फिल्मों के आधिकारिक फिल्मांतरण हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में करने पर कई वित्तीय सहायता व अनुदान दिए जायेंगे. अनुदान के रूप में 2 करोड़ से 4 करोड़ तक की राशि दी जायेगी.
बिहार में भी हो सेंसर बोर्ड की स्थापना : अभय सिन्हा
बिहार में निर्मित भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, बज्जिका, आदि स्थानीय भाषाओं की फिल्मों के लिए अनुदान की राशि लागत का अधिकतम 50 फीसदी दिया जायेगा. इम्पा के अध्यक्ष अभय सिन्हा ने कहा कि आज इम्पा के 88 साल हो रहे हैं. इसकी स्थापना 1937 में दादा साहेब फाल्के द्वारा किया गया था. करीब 40 हजार प्रोड्यूसर इसके मेंबर हैं. मैं पहला बिहारी प्रेसिडेंट हूं. मेरी कंपनी 150 फिल्मों का निर्माण कर चुकी है. मैं चाहता हूं कि, बिहार में भी सेंसर बोर्ड की स्थापना हो.
फिल्म नीति को किताबों व फाइलों में न रखें : सुनील कुमार
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए विधायक व फिल्म निर्माता डॉ सुनील कुमार ने कहा कि फिल्म नीति को किताबों व फाइलों में न रखें. नीति का उद्देश्य हमारे पर्यटन स्थल को बढ़ावा देना, कलाकारों व युवाओं को रोजगार देना व संस्कृति की परंपराओं को देश-विदेश को दिखाना है. इसके बाद फिल्म निर्माता अविनाश दास, निर्देशक पराग पाटिल व अन्य ने भी अपनी बातें रखीं. इस दौरान विभाग की ओर से कॉफी टेबल बुक ‘बिहार बाइस्कोप’ का विमोचन व बिहार में फिल्म से जुड़े इतिहास के बारे में वीडियो के जरिए सभी को अवगत कराया गया.
अनुदान के लिए फिल्म की गुणवत्ता से न हो समझौता : मनोज तिवारी
सांसद,अभिनेता और गायक मनोज तिवारी ने बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति की तारीफ की. उन्होंने कहा कि इससे बिहार में फिल्म निर्माण को गति मिलेगी. फिल्म के निर्माता और निर्देशक फिल्म बनाने के लिए बिहार आयेंगे.आने वाले दिनों में बिहार शूटिंग डेस्टिनेशन बनेगा. साथ ही उन्होंने चेताया भी कि अनुदान के लिये फिल्म की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तर्ज पर बिहार के सिनेमा हॉल में भी कम से कम एक शो क्षेत्रीय भाषा में दिखाने की अनिवार्यता हो.
गोरखपुर में हो चुकी है 150 से अधिक फिल्मों की शूटिंग : रवि किशन
सांसद और कलाकार रवि किशन ने फिल्म प्रोत्साहन नीति के आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि उत्तर प्रदेश में फिल्म नीति बनने के बाद गोरखपुर में 150 से अधिक फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. उन्होंने राज्य सरकार से यूपी की तरफ ही फिल्म के निर्माता,निर्देशक और कलाकारों को आम्स लाइसेंस देना चाहिए.
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कॉन्क्लेव में भाग ले रहे डायरेक्टर-प्रोड्यूसर व अभिनेता-अभिनेत्रियों ने कहा-
- हंगामा खड़ा करना हमारा काम नहीं है. बिहार में फिल्म नीति का हम स्वागत करते हैं. बिहार फिल्म कॉन्क्लेव का आयोजन वो चिंगारी भर दी है. हम चाहेंगे कि एमपी, यूपी, मुंबई, कर्नाटक जैसा कल्चर बिहार में डेवलप हो सके. साथ ही, इसका कार्यान्वयन अच्छे से हो. – क्रांति प्रकाश झा, अभिनेता
- फिल्म नीति अभी कागज पर आया है. अब जमीन पर लाना है. जमीन पर जायेगा तो चलेगा कैसे इस पर विचार करना होगा. तो लोगों को सहयोग कैसे मिले इस पर विचार करना होगा. जब इसपर काम होगा तो बेहतर स्ट्रक्चर तैयार कैसे हो इसपर ध्यान देना होगा. — विनीत कुमार, अभिनेता
- बिहार फिल्म कॉन्क्लेव व फिल्म नीति पर बोलने लायक कुछ है ही नहीं. बेहतर प्रयास है. इससे स्थानीय व नये कलाकारों को मौका मिलेगा. रोजगार के सृजन में लाभदायक साबित होगा. लेकिन, रंगकर्मियों के लिए काम करना होगा. रंगमंच के लिए कोई प्लेटफॉर्म बने. जो प्लेटफॉर्म है भी तो उसका भाड़ा बहुत अधिक है. – मनोज सिंह टाइगर, अभिनेता
- फिल्म नीति लागू होने से अब बाहर नहीं जाना होगा. मुंबई जाने के बाद कई मित्र कई अपने लोग पीछे छूट गये. इसकी काफी कमी खलती है. आने वाले पीढ़ि व नये कलाकारों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा. बाहरी राज्यों में काम के दौरान कई बार बदसलूकी हो जाती है. लेकिन, अपने प्रदेश में काम नहीं होने से बाहर जाना पड़ता है. – केके गोस्वामी, अभिनेता
- मुंबई में रहते हुए 25 से 30 साल के करियर में भोजपुरी व हिंदी इंडस्ट्री में कई काम हमने किया. लेकिन, अब बिहार में काम करना काफी अच्छा लगेगा. हालांकि, कलाकारों का लिस्ट बनाने की जरूरत है. टीम का गठन होना चाहिए. सीनियर कलाकारों को आर्थिक मदद भी दी जानी चाहिए. – रीना रानी, अभिनेत्री
- बिहार फिल्म कॉन्क्लेव का आयोजन सराहनीय है. वहीं, फिल्म पॉलिसी बनने से काफी फायदा यहां के लोगों को मिलेगा. कलाकारों को काम मिलने से लेकर रोजगार भी बढ़ेगा. बिहार में रोजगार का नया आयाम खुलेगा. अब बस धरातल पर उतारने व बेहतर काम करने पर ध्यान देना होगा. – पंकज झा, अभिनेता
- यह नीति राज्य के उन कलाकारों के लिए वरदान साबित होगी, जिनके पास भरपूर कला है पर इस प्रदर्शन करने के लिए प्लेटफॉर्म व आर्थिक सपोर्ट नहीं है. उन्हें अब इसका लाभ मिलेगा. राज्य से बाहर जाने के बजाये यह सुविधा यहां मुहैया करायी जायेगी. – बुल्लू कुमार, अभिनेता
- मेरी पहली फिल्म 1980 में पटना में रिलीज हुई थी. तब मैंने फिल्म पॉलिसी को लेकर बात रखी थी. लेकिन, लागू होने में काफी समय लग गया. वर्तमान सरकार का सराहनीय प्रयास है. अब बिहार के सिनेमाघरों पर ध्यान देना भी जरूरी है. बिहार के कलाकारों को देश-विदेश में सम्मानित किया गया. – कुणाल सिंह, अभिनेता
- बिहार में फिल्म पॉलिसी आने को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं. यहां फिल्म सिटी का कल्चर भी विकास हो, इसे लेकर भी उत्सुक हूं. लंबे समय से फिल्मों में काम करते हुए फिल्मों का निर्माण कर रही हूं. पॉलिसी का आना हम सभी लोगों के लिए अच्छी खबर है. – अस्मिता शर्मा, निर्माता व अभिनेत्री
- मैं बहुत खुश हूं. जिस दिन का हम वर्षों से इंतजार कर रहे थे, वह मौका आज हमें दिया गया है. हम सभी बिहार वासियों को कलाकारों को सम्मिलित रूप में सोचने का वक्त आ गया है. हम सभी को मौका मिलेगा. कोई राजनीति नहीं की जायेगी. खास कर मैं महिला हूं, तो महिला अभिनेत्रियों को भी ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए. – अक्षरा सिंह, गायिका व अभिनेत्री
- बिहार सरकार बहुत स्वागत योग्य कदम उठाई है. मैं स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का पार्ट हूं. मैं जब फिल्म कॉन्क्लेव में शामिल होने आ रहा था, तो एसोसिएशन के महासचिव जमान हबीब ने कहा कि जो भी गीतकार, राइटर्स और स्क्रीन राइटर को लेकर मदद हो सकता है करेंगे. – राजशेखर, गीतकार
- बिहार में पिछले 30-35 सालों से मैंने सीमित संसाधनों के बीच दर्जनों फिल्में और सैकड़ों वीडियो एल्बम बनाए, बिना किसी पारिश्रमिक के. मेरी जिद थी कि मैं बिहार नहीं छोड़ूंगा. मैं उस दिन का इंतजार कर रहा था, जब यहां फिल्म नीति लागू होगी. आशा है कि बिहार सरकार की नई नीति से स्थानीय कलाकारों को लाभ मिलेगा. – मनीष महिवाल, अभिनेता
- पिछले साल 140 भोजपुरी फिल्में सेंसर से पास हुई थी. मुझे बेहद खुशी है कि उसमें से 50 फिल्में मेरे नेटवर्क के लिए बनाई गई थी. अब मेरी कोशिश रहेगी कि हम बिहार के इस पावन धरती पर फिल्मों का निर्माण कर सकें. मेरी बिrहार सरकार को धन्यवाद देता हूं. – मनीष सिंघल, मालिक भोजपुरी सिनेमा (टीवी चैनल)
- कनाडा में 80 हजार व अमेरिका में 40 हजार स्क्रीन है. जबकि, भारत में सिर्फ 8000 सिनेमा स्क्रीन हैं. हमारी आबादी 140 करोड़ है. जबकि, यूनाइटेड स्टेट्स की आबादी 34 करोड़ है, लेकिन, वहां 42 हजार स्क्रीन हैं. भारत के कई स्क्रीन बंद भी पड़े हैं. आम आदमी कम कीमत में फिल्म देख सकें,ऐसे स्क्रीन की जरूरत है. – विषेक चौहान, मालिक, रुपवाणी सिनेमा