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ज्ञानदीप पोर्टल पर जानकारी नहीं देने वाले निजी स्कूलों की संबद्धता होगी रद्द

शिक्षा विभाग आरटीइ के तहत अलाभकारी एवं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का नामांकन नहीं लेने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है

By Prabhat Khabar News Desk | August 11, 2024 10:23 PM

संवाददाता, पटना

शिक्षा विभाग आरटीइ के तहत अलाभकारी एवं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का नामांकन नहीं लेने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. जिला शिक्षा कार्यालय को सात से 10 ऐसे निजी स्कूलों के बारे में शिकायत मिली है, जिन्होंने कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लेने में आनाकानी कर रहे हैं और अभिभावकों को गुमराह कर रहे हैं. इसको लेकर कुछ अभिभावकों ने जिला पदाधिकारी के पास भी शिकायत की है. शिक्षा विभाग द्वारा ज्ञान दीप पोेर्टल पर अलाभकारी एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन के लिए मेधा सूची पहले ही जारी की जा चुकी है. इस सूची में पटना जिले से 965 बच्चों नाम शामिल किया है. शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि निजी विद्यालयों द्वारा नामांकन लेने वाले बच्चों का नाम ज्ञान दीप पोर्टल काफी धीमी गति से अपलोड किया जा रहा है. विभाग ने कहा कि जिला शिक्षा पदाधिकारी निजी विद्यालयों के संगठनों के साथ बैठक कर निजी विद्यालयों की सूचना ज्ञानदीप पोर्टल पर 17 अगस्त तक अपलोड करना सुनिश्चित करेंगे. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि जिले के सात से 10 निजी स्कूलों द्वारा आरटीई के तहत बच्चों के नामांकन लेने पर लापरवाही बरत रहे हैं. ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है. जांच में निजी स्कूलों की लापरवाही सही पायी गयी तो उनकी संबद्धता रद्द कर दी जायेगी.

ज्ञानदीप पोर्टल नहीं खुलने से भी हो रही परेशानी

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि ज्ञान दीप पोर्टल नहीं खुलने से भी परेशानी हो रही है. विभाग की ओर से बच्चों के आधार अपलोड करने के लिए कहा गया है, जबकि हकीकत यह है कि बच्चों के आधार बनाने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी से मिलकर निजी स्कूल में आधार केंद्र खोलने के लिए आग्रह करेंगे. उन्हाेंने कहा कि आरटीइ के तहत नामांकन लेने वाले बच्चों की निर्धारित राशि वर्ष 2011 से बकाया है. पटना जिले में अब तक कोई राशि नहीं मिली है. वर्ष 2011 में एक बच्चे पर सालाना 5100 रुपये अनुदान मिलता था. जिसे अब बढ़ाकर 11 हजार रुपये कर दिया गया है.

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