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बिहार में मिली लंबी नाक वाले सांपों की दुर्लभ प्रजाति, जानिए Ahaetulla longirostris की खासियत

Snake New Species: बिहार के वाल्मीकि नगर में जंगल के पास वैज्ञानिकों को एक मरा हुआ सांप मिला था. जब इसकी जांच की गई तो ये सांप दुर्लभ प्रजाति का निकला. वैज्ञानिकों ने इसका नाम Ahaetulla longirostris रखा है. जानिए इस सांप की क्या है खासियत...

Snake New Species: वैज्ञानिकों की एक टीम ने बिहार के पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों में सांप की एक अनोखी प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस (Ahaetulla longirostris) रखा गया है. यह सांप वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास मृत पाया गया था. जब इसका डीएनए टेस्ट किया गया तो पता चला कि यह सांपों में बिल्कुल नई प्रजाति है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह प्रजाति गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के निचले मैदानों में व्यापक रूप से फैली हो सकती है.

2021 में मिला था मृत सांप

जर्नल ऑफ एशिया-पैसिफिक बायोडायवर्सिटी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 16 दिसंबर 2021 को वैज्ञानिक सोहम पाटेकर और सौरभ वर्मा को बिहार के गोनौली गांव की सीमा पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बाहरी इलाके में चार फीट लंबा और लंबी गर्दन वाला एक मरा हुआ सांप मिला. सांप पर कोई बाहरी चोट न होने के कारण मौत का कारण पता नहीं चल सका. इसके बाद जब सांप के नमूने एकत्र किए गए और उसके डीएनए की जांच की गई तो पता चला कि यह सांप बिल्कुल नई प्रजाति का है.

क्यों खास है ये सांप

अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस सांप को उसकी लंबी नाक (रोस्ट्रल) और दोहरे रंग के शरीर के कारण पहचाना जाता है. यह सांप हरे या भूरे रंग का हो सकता है, जबकि इसका पेट नारंगी-भूरा होता है. इस सांप के शरीर पर विशेष प्रकार की मोटी कीलदार स्केल्स होती हैं, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग करती हैं. यह सांप मुख्य रूप से पेड़ों पर रहने वाला है और इसमें हल्का विष होता है, जिससे यह अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकता है. यह प्रजाति बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और असम के गुवाहाटी के बाहरी इलाकों में पाई गई है.

इस नई प्रजाति की खोज करने वाले प्रमुख शोधकर्ता जीशान मिर्जा ने सोशल मीडिया फ़ेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि मैं हमेशा से वाइन स्नेक को समझने में जटिल मानता था, लेकिन मुझे कुछ इतना अलग खोजने का सौभाग्य मिला. मिर्जा और उनकी टीम ने सांप के जीन का गहन अध्ययन किया और पाया कि यह प्रजाति अहेतुल्ला फुस्का क्लेड की सदस्य है, और यह अहेतुल्ला लौदंकिया की सबसे करीबी प्रजाति है.

DNA विश्लेषण से हुई पुष्टि

वाइन स्नेक की इस नई प्रजाति की पहचान डीएनए विश्लेषण के जरिए की गई. तीन माइटोकॉन्ड्रियल जीन के आधार पर की गई फाइलोजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि यह सांप अहेतुल्ला फुस्का समूह का हिस्सा है. यह प्रजाति न केवल अपनी विशेष शारीरिक विशेषताओं, जैसे लंबी नाक और नारंगी-भूरे पेट के कारण अलग है, बल्कि इसके स्केल्स की संरचना और सबकाउडल स्केल्स की संख्या भी इसे अन्य प्रजातियों से भिन्न बनाती है.

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खोज करने वाले वैज्ञानिकों की टीम

इस खोज में जीशान मिर्जा के साथ सोहम पाटेकर, सौरभ वर्मा, ब्रायन स्टुअर्ट, जयदित्य पुरकायस्थ, प्रतीष मोहपात्रा और हर्षिल पटेल जैसे प्रमुख वैज्ञानिकों ने योगदान दिया. इस टीम ने इस सांप की शारीरिक और जेनेटिक विशिष्टताओं का अध्ययन कर इसकी पहचान की पुष्टि की है. इस नई खोज ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि भारत के जंगलों में अद्वितीय और अज्ञात प्रजातियों की भरमार है, जिन्हें खोजा और संरक्षित किया जाना बाकी है.

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