बिहार चुनाव में तेजस्वी के लिए खतरा बनेंगे ओवैसी और प्रशांत किशोर? उपचुनाव में मुस्लिम वोट बैंक में हुई सेंधमारी
बिहार उपचुनाव में राजद के रास्ते को जनसुराज और AIMIM ने कई जगहों पर रोका. जिसके बाद अब बिहार चुनाव को लेकर आरजेडी के आगे एक बाधा जरूर दिख रही है. जानिए कहां हुआ नुकसान...
बिहार उपचुनाव परिणाम शनिवार को सामने आया तो एनडीए की बल्ले-बल्ले रही. चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए ने महागठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया. चारो सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीते. बेलागंज में 34 साल का किला ध्वस्त करके जदयू ने अपना झंडा गाड़ा. जबकि तरारी समेत तीन सीटें महागठबंधन के हिस्से से निकल गयी. इस उपचुनाव में राजद का खेल असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने भी काफी अधिक बिगाड़ा. इस उपचुनाव राजद खाता तक खोलने से चूक गयी जिसमें इन दोनों पार्टी की भी भूमिका रही. खासकर गया की बेलागंज और इमामगंज सीट पर इसका अधिक असर दिखा.
AIMIM और जनसुराज ने गया में बिगाड़ा RJD का खेल
प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि किसी भी सीट पर इनके उम्मीदवार दूसरी नंबर पर भी नहीं आ सके लेकिन जीत-हार तय करने में इनकी भी भूमिका जरूर रही. खासकर राजद को AIMIM और जनसुराज के उम्मीदवारों ने गया की दो सीटों पर काफी नुकसान पहुंचाया. इमामगंज और बेलागंज में दोनों दलों के उम्मीदवारों ने महागठबंधन के वोट बैंक में अच्छी खासी सेंधमारी की. हालांकि एनडीए के भी वोटों को इन्होंने प्रभावित किया और जीत के अंतर को कम किया है.
इमामगंज में कैसे बिगड़ा खेल?
इमामगंज में वोटों की गिनती शुरू हुई तो राजद पूरी तरह से मुकाबले में बना रहा.लेकिन उसकी जीत का रास्ता रोकने में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बड़ी भूमिका निभाई. इमामगंज में एनडीए की जीत हुई. हम(से.) पार्टी की उम्मीदवार दीपा कुमारी ने निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के रोशन कुमार को 5945 वोटों से हराकर यह चुनाव जीता. वहीं AIMIM की उम्मीदवार कंचन पासवान को इस चुनाव में 7493 वोट मिले. जो हार-जीत के अंतर से कहीं ज्यादा है. यह वोट अगर राजद में शिफ्ट होता तो आरजेडी की जीत तय थी. AIMIM उम्मीदवार को यहां अपनी जाति के वोटरों से अधिक मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिला है. राजद के खाते के ये वोट AIMIM को मिले.
जनसुराज ने एनडीए की भी बढ़ायी मुसीबत
इमामगंज में जनसुराज के उम्मीदवार ने जितेंद्र पासवान ने एनडीए उम्मीदार को अधिक नुकसान पहुंचाया. उन्होंने अपनी जाति के वोटर में सेंधमारी की. यह लोजपा(रामविलास) का वोट बैंक था. जनसुराज को यहां मिले अधिकतर वोट एनडीए वोट बैंक का हिस्सा था. जनसुराज को यह वोट शिफ्ट हो जाने से जीत का अंतर यहां कम रह गया.
बेलागंज में राजद का रास्ता AIMIM और जनसुराज ने रोका?
बेलागंज विधानसभा में भी कुछ ऐसी ही स्थिति रही. यहां राजद के गढ़ में जदयू ने अपना झंडा गाड़ दिया. जिसमें जनसुराज और AIMIM की भी बड़ी भूमिका रही. यहां आरजेडी के एमवाइ(MY) समीकरण में जनसुराज के उम्मीदवार मोहम्मद अमजद ने सेंधमारी की और अधिकतर मुस्लिम वोट राजद के बदले जनसुराज के खाते में गए. जनसुराज को मिले 17285 वोट और AIMIM को मिले 3533 वोट ने राजद का खेल बिगाड़ दिया. जदयू की मनोरमा देवी यहां 21391 वोटों के अंतर से जीती हैं. जनसुराज और AIMIM के वोटों को जोड़ दिया जाए तो यहां 20818 वोट कटे हैं. यह वोट राजद के खाते में जाता तो पासा पलट सकता था.