बिहार की राजनीति में एकबार फिर से भूचाल मचा है. ओवैसी की पार्टी AIMIM के पांच में चार विधायकों ने राजद का दामन थाम लिया है. जिसके बाद अब सीमांचल की राजनीति अब चुनाव परिणाम आने के दो साल बाद फिर से करवट ले चुकी है. बुधवार को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के चार विधायक अपनी पार्टी छोड़ राजद में शामिल हो गये.
अररिया जिले के जोकीहाट से विधायक शाहनवाज, किशनगंज जिले के बहादुरगंज से विधायक मोहम्मद अनजर नईमी, किशनगंज के ही कोचाधमन से विधायक मोहम्मद इजहार असफी और पूर्णिया जिले के बायसी के विधायक सैयद रुकनुद्दीन ने ओवैसी का साथ छोड़ दिया है. इनका पूर्व में भी राजद से संबंध रहा है.
जोकीहाट विधायक शाहनवाज आलम सर्वप्रथम जोकीहाट विधानसभा के उपचुनाव 2018 में राजद से विधायक बने थे. लेकिन 2020 में शाहनवाज आलम ने राजद छोड़कर एआइएमआइएम का दामन थाम लिया. राजनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए उन्होंने राजद के गढ़ जोकीहाट में अपने ही बड़े भाई व कद्दावर नेता सह पूर्व मंत्री सरफराज आलम को कड़ी शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचे. शाहनवाज लॉ ग्रेजुएट हैं. उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की है.
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अपने चार साथियों के साथ एआईएमआईएम छोड़कर राजद में शामिल होनेवाले बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी इससे पहले पहली दफे वर्ष 2010 में भी राजद के सिम्बल पर अपना किस्मत आजमा चुके थे. हालांकि उस दौर में उन्हें खास सफलता नहीं मिल पायी एवं तकरीबन 5000 मतों पर ही वे सिमट कर रह गये थे. इस बीच उस दौर के चुनाव के पश्चात राजद संगठन में भी नईमी को कोई खास जगह भी नहीं मिली थी एवं धीरे-धीरे पार्टी संगठन से पीछे ही छूटते चले गये.
इजहार अशफी का राजद से पुराना नाता रहा है. दिवंगत पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री व सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले तसलीम उद्दीन के वे काफी करीबी रहे है. जब अख्तरुल ईमान को राजद ने कोचाधामन से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो हाजी इजहार अशफी ने राजद से बगावत कर निर्दलीय विधान सभा चुनाव लड़ा ओर वे हार गए. दूसरी बार समाजवादी पार्टी से भी चुनाव लड़े थे. लेकिन चुनाव हार गये थे. वर्ष 2020 में एआईएमआईएम से चुनाव मैदान में उतरे और चुनाव जीत गये. अशफी कोचाधामन प्रखंड के काठामाठा पंचायत के कई बार मुखिया भी रहे है.
सैयद रूकनुद्दीन अहमद अभी बायसी विधानसभा के विधायक हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में वह एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे. इससे पहले भी श्री अहमद एक बार बायसी विधानसभा का निर्दलीय विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इनके पिता सैयद मोइनउद्दीन भी 1980 के दशक में बायसी से निर्दलीय विधायक थे, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये थे.
Published By: Thakur Shaktilochan