तेजप्रताप-ऐश्वर्या विवाद: ऐश्वर्या को चाहिए राबड़ी आवास जैसा घर, कार और ₹1.5 लाख महीना खर्च

Tej Pratap-Aishwarya controversy: लालू यादव के बड़े बेटे और राजद विधायक तेजप्रताप यादव से ऐश्वर्या ने पटना के एसके पुरी इलाके में राबड़ी आवास जैसी सुविधा वाले घर की मांग की है. इसके साथ ही महंगी कार और ड्राइवर की भी डिमांड की हैं. इसको लेकर अगली सुनवाई 18 फरवरी को फैमिली कोर्ट में होगी.

By Abhinandan Pandey | February 13, 2025 7:58 AM
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Tej Pratap-Aishwarya controversy: लालू यादव के बड़े बेटे और राजद विधायक तेजप्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के बीच तलाक का मामला छह साल से कोर्ट में लंबित है. अब ऐश्वर्या ने पटना के एसके पुरी इलाके में राबड़ी आवास जैसी सुविधा वाले घर की मांग की है. इसके अलावा, कार, ड्राइवर, नौकर और हर महीने ₹1.5 लाख खर्च की डिमांड भी रखी गई है. इस पर 18 फरवरी को अगली सुनवाई होगी.

गोला रोड का फ्लैट किया था रिजेक्ट

सितंबर 2023 में फैमिली कोर्ट ने तेजप्रताप को ऐश्वर्या के लिए रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था. तेजप्रताप ने पटना के गोला रोड में ₹20,000 किराए वाले तीन कमरे के फ्लैट की पेशकश की, लेकिन ऐश्वर्या ने इसे लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद 10 जून 2024 को ऐश्वर्या ने आवेदन देकर नया घर, कार और अन्य सुविधाओं की मांग की. अब कोर्ट ने उन्हें एसके पुरी इलाके में घर चिह्नित कर जानकारी देने को कहा है.

तलाक मामला हाईकोर्ट क्यों पहुंचा?

2019 में फैमिली कोर्ट ने ऐश्वर्या को ₹22,000 प्रति माह अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. लेकिन 2020 में ऐश्वर्या ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उन्हें पैसे नहीं, बल्कि 10 सर्कुलर रोड जैसा घर और सुविधाएं चाहिए. हाईकोर्ट ने मामला फैमिली कोर्ट को सौंप दिया और अब कोर्ट ने छह महीने में फैसला सुनाने के निर्देश दिए हैं.

तेजप्रताप के वकील ने क्या कहा?

तेजप्रताप यादव के वकील जगन्नाथ सिंह ने कहा कि तेजप्रताप अब तक जो भी पैसे दे चुके हैं, उसे ऐश्वर्या को वापस करना चाहिए. इस पर ऐश्वर्या ने ₹10 लाख लौटा दिए, लेकिन बाद में उन्होंने ₹1.5 लाख महीना भत्ता और अन्य सुविधाओं की मांग कर दी.

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अब क्या होगा?

18 फरवरी को होने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि ऐश्वर्या की नई मांगों पर कोर्ट क्या निर्णय लेता है. वहीं, तेजप्रताप की तरफ से इस पर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है. मामले की जटिलता को देखते हुए आने वाले महीनों में यह केस बिहार की सियासत और कानूनी दांव-पेच का बड़ा मुद्दा बन सकता है.

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