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कैंपस : सभी कोटि के शिक्षकों को मिले ऐच्छिक पोस्टिंग, पुरुषों की न हो अनदेखी : अमित विक्रम

ट्रांसफर एवं पोस्टिंग पॉलिसी के अंतर्गत विशिष्ट शिक्षक व विद्यालय अध्यापक सभी के लिए ऐच्छिक पदस्थापन की मांग की

-सभी प्रारंभिक विद्यालयों में कम से कम 50% शिक्षिकाओं की हो पोस्टिंग

संवाददाता, पटना

विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ट्रांसफर एवं पोस्टिंग पॉलिसी के अंतर्गत विशिष्ट शिक्षक व विद्यालय अध्यापक सभी के लिए ऐच्छिक पदस्थापन की मांग की. उन्होंने कहा कि सभी कोटि के शिक्षकों को ऐच्छिक पदस्थापन का लाभ मिलना चाहिए. इसमें पुरुष शिक्षकों की अनदेखी उचित नहीं है. वे भी अपने घर परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी करने को विवश हैं. इससे उनके बच्चों व माता-पिता की देखभाल सही से नहीं हो पाती है. पुरुषों को ऐच्छिक पदस्थापन की नितांत आवश्यकता है.

कम-से-कम पांच शिक्षक पदस्थापित करना सुनिश्चित किया

जाये

इसके अतिरिक्त उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सभी प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के अलावा कम-से-कम पांच शिक्षक होने चाहिए. इस से सभी वर्गों का कक्षा संचालन अलग-अलग हो सकेगा. पांच से कम शिक्षक रहने पर दो या दो से अधिक वर्गों का संचालन एक साथ एक ही शिक्षक को करना पड़ता है. इसका सीधा असर बच्चों के लर्निंग आउटकम पर पड़ता है. सभी प्राथमिक विद्यालयों में पांच वर्ग कक्ष की भी व्यवस्था की जाये. सभी मध्य एवं उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में भी कक्षा एक से पांच के कम-से-कम पांच शिक्षक पदस्थापित करना सुनिश्चित किया जाये. ऊपर की कक्षाओं के लिए विषयवार पदस्थापन किया जाये. यहां भी वर्ग कक्ष की संख्या का ध्यान दिया जाये. मध्य में कम-से-कम आठ कमरे, माध्यमिक में कम-से-कम 10 और उच्च माध्यमिक में स्वीकृत संकाय के अनुरूप कम-से-कम 12, 14, 16 वर्ग कक्ष का निर्माण सुनिश्चित किया जाना चाहिए. विद्यालयों में पदस्थापन नीति में यह ध्यान दिया जाये कि कक्षा 1 से 8 तक में महिलाओं को 50% लैंगिक आधार पर आरक्षण प्राप्त है. सभी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक में कम से कम 50% शिक्षिकाओं का पदस्थापन होना चाहिए. ऐसा न हो कि शहरी क्षेत्रों में केवल शिक्षिकाओं की पोस्टिंग हो जाये और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में केवल पुरुषों की पोस्टिंग हो जाये. सभी प्रारंभिक विद्यालयों में न्यूनतम 50% कार्यरत बल महिलाओं का होना चाहिए. इस से विद्यालय में पढ़ने वाली बच्चियों के साथ लैंगिक भेदभाव नहीं होगा और वे सुरक्षित महसूस करेंगी.

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