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सभी कुएं, तालाब और पोखर की होगी मैपिंग

बिहार के लगभग जिलों में हर साल भूजल में गिरावट अधिक देखने को मिल रही है. राज्य सरकार के निर्देश पर ऐसे सभी जिलों में कुएं, तालाब और पोखर की मैपिंग की जायेगी.

जिलों में जल स्रोत्र की पहचान के लिए बन , बनेगी विशेष टीम – राज्य भर में फरवरी से होगी मैपिंग पटना. बिहार के लगभग जिलों में हर साल भूजल में गिरावट अधिक देखने को मिल रही है. राज्य सरकार के निर्देश पर ऐसे सभी जिलों में कुएं, तालाब और पोखर की मैपिंग की जायेगी. पीएचइडी और पंचायती राज विभाग ने फरवरी प्रथम सप्ताह से मैपिंग कराने का निर्णय लिया है, ताकि भूजल में होने वाली गिरावट को ठीक किया जा सकें. इसके लिए विभाग आइआइटी छात्रों को जोड़ेगी. यह मैपिंग अगले 60 वर्ष को ध्यान में रख कर की जायेगी. अतिक्रमित कुएं, तालाब और पोखर को किया जायेगा मुक्त राज्य सरकार की ओर से सभी डीएम को निर्देश दिया गया है कि कुएं, तालाब और पोखर पर अतिक्रमण करके घर या दुकान बनाने वालों को नियमानुसार नोटिस करते हुए. उस पूरे जल क्षेत्र को खाली कराया जाये. पीएचइडी के मुताबिक पटना सहित सभी जिलों में अतिक्रमण का एक बड़ा जल क्षेत्र है.जहां लोगों ने धीरे-धीरे अतिक्रमण कर उसके ऊपर घर बना लिया है. इस कारण से उन इलाकों में वाटर रिचार्ज सबसे कम होता है और भूजल जल में तेजी से गिरावट हो रही है. जल स्रोत्र को खोजने के लिए जिलों में गठित होगी विशेष टीम पीएचइडी अधिकारियों के मुताबिक जिन पंचायतों एवं ब्लॉक में भूजल का स्तर कम हर साल गिरता है. उन जिलों में पानी के सोत्र को खोजा जायेगा. साथ ही , गिरते भू जल की परेशानी से निबटने के लिए अधिकारी यह देखेंगे कि उन इलाकों में पानी संरक्षण के लिए क्या काम हुआ है.इन पंचायतों में हरियाली कैसी है.बारिश का पानी कहां से कहां निकल कर जाता है. इसके लिए भू राजस्व विभाग का सहयोग लिया जायेगा. देखा जायेगा कि शुरू में यहां का किस रास्ते से निकलता था. या फिर कहां-कहां यह पानी ठहरता था. इसके लिए सभी जिलों में विशेष टीम का गठन किया जायेगा. जो जल स्रोत्र की खोज करने के बाद उसकी जानकारी डीएम को देंगे. इन जिलों से होगी मैपिंग की शुरुआत जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा, मुंगेर, लखीसराय, भागलपुर, बांका,जमुई , नालंदा, पटना, दरभंगा में वाटर मैपिंग की जायेगी. इसके लिए विभागीय स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है, ताकि लोगों को शुद्ध पानी मिलता रहें और जल स्तर भी स्थिर रहे.

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