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कैंपस : किलकारी में पहली बार मनायी जायेगी एलुमिनाइ मीट

किलकारी बाल भवन ने हाल ही अपने 15 साल पूरे कर लिये हैं. इसे लेकर कुछ समय पहले 15 साल के अलग-अलग बैच के बच्चों को आमंत्रित किया गया, जो अब पूर्ववर्ती छात्र-छात्राएं हैं.

संवाददाता, पटना किलकारी बाल भवन ने हाल ही अपने 15 साल पूरे कर लिये हैं. इसे लेकर कुछ समय पहले 15 साल के अलग-अलग बैच के बच्चों को आमंत्रित किया गया, जो अब पूर्ववर्ती छात्र-छात्राएं हैं. अपनी स्थापना से लेकर अब तक कई हजार बच्चे यहां से निकल कर कई क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में किलकारी की निदेशक ज्योति परिहार ने किलकारी की टीम के समक्ष एक सुझाव रखा कि क्यों ना उन पूर्ववर्ती बच्चों को फिर से एक साथ एक ही छत के नीचे लाया जाये. यह एक ऐसा मौका होगा, जहां हम यह मूल्यांकन कर सकेंगे कि हमारे इस संस्थान से कितने बच्चों को फायदा हुआ. साथ ही उनसे मिलने वाले सुझाव की मदद से किलकारी को और बेहतर करने में एक मदद मिलेगी. इसके बाद पहली बार एलुमिनाइ मीट मनाने का निर्णय लिया गया. अभी सभी बच्चों से संपर्क किया जा रहा है, ताकि वे इसका हिस्सा बनें. उम्मीद है कि इस साल सितंबर से अक्तूबर के बीच इस मीट का आयोजन होगा, जिसमें हजारों बच्चे शामिल होंगे. इस अवसर पर 17 पूर्ववर्ती बच्चों पर एक किताब तैयार की गयी है, जिसका नाम बूंदें बनतीं मोती- किलकारी के पंद्रह साल और बच्चों की उड़ान है. इसका विमोचन मिलन समारोह वाले दिन होगा. इस किताब में पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं की कहानियां हैं, जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी है. इसमें वैज्ञानिक के रूप में अग्रसर अर्पित, हेमा- हौसले की उड़ान, आकाश के लिए सीमा नहीं, धनंजय मुखर मूर्तियों का मूक शिल्पी, समाज की बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ी प्रभा, छोटी-सी उम्र में बड़े हादसों से उबरकर फिल्मकार बनीं प्रियस्वरा, रंजीत फोटोग्राफी- क्षेत्र की विरल प्रतिभा, नाट्य जगत का कुंदन, कोमल बन गयी सीमा- प्रहरी, धूल का फूल मुनटुन, मैदानों की मिताली बनी पर्वतारोही, खोजी प्रवृत्ति का लगनशील अभिनव, रचनात्मकता का पर्याय कादम्बिनी, मिथक को तोड़कर, एक नयी दुनिया गढ़ने वाले हुसैन की कहानियां हैं. मीट के दौरान बच्चों पर आधारित लघु फिल्म को भी दिखाया जायेगा.

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