दानापुर. कहते हैं किस्मत अपना रास्ता खुद ही तलाश लेती है, दानापुर के लेखा नगर के नारी गुंजन सृजन दत्तक संस्था में तीन साल से रह रहे दिव्यांग अर्जित के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. आज जहां लोग विदेश की धरती पर पैर रखने के लिए सपने देखते हैं, वहीं दिव्यांग अर्जित की किस्मत ने खुद-ब-खुद उसे विदेश भेजने की रूपरेखा बना दी है.
बिक्रम की सड़क पर तीन वर्ष पहले मिले अर्जित को जब भारत में अपनों ने ठुकरा दिया तो अमेरिका चिकित्सक दपंत्ति ने गला लगाया. अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार बच्चे की गोद लेने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है. मंगलवार को एसडीओ प्रदीप सिंह व जिला बाल सरंक्षक अधिकारी उदय कुमार झा ने दिव्यांग अर्जित को अमेरिका चिकित्सक दंपती को सौंप दिया है.
संस्था की सविता कुमारी ने बताया कि सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बालक को अमेरिका दंपती के हवाले किया गया है. उन्होंने बताया कि तीन साल पूर्व बिक्रम से शिशु मिला था और अर्जित का एक हाथ नहीं है और होंठ कट हुआ है. उन्होंने बताया कि अमेरिका चिकित्सक दपंति ने भारत घूमने के दौरान भारतीय संस्कृति को देखकर एक बालक को गोद लेने का इच्छा जाहिर किया था और ऑनलाइन आवेदन किया था और सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बालक को सौंप दिया गया है.
बताया जाता है कि लेखानगर स्थित नारी गुंजन सृजन दत्तक संस्था में रह रहे तीन वर्षीय दिव्यांग अर्जित को अमेरिका के चिकित्सक दंपती ने गोद लिया. बालक को गोद लेने वाले अमेरिका के चिकित्सक डा कार्लिन रे मिलर व श्रीमती कैथ्रीन सुलिवान मिलर की खुशी का ठिकाना नही था. डा कर्लिन रे मिलर अमेरिका में चिकित्सक है. उन्होंने बताया कि तीन बच्चे पहले से उनका है. भारत घूमने आए तो भारतीय संस्कृति को देखकर एक दिव्यांग बालक को गोद लेने का इच्छा जाहिर की थी.