कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य में पहली बार होगी जानवरों की गणना, 15 जनवरी से होगी शुरुआत

भारतीय वन्यजीव संस्थान अभ्यारण्य में जंगली जानवरों की गणना के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के लगभग 90 अधिकारियों को प्रशिक्षण दे चुका है. इसके तहत अधिकारियों को जानवरों के नस्लों के बारे में प्रशिक्षित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2023 2:04 AM

बिहार के कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य में पहली बार सभी जंगली जानवरों की गणना 15 जनवरी से शुरू होगी. इसे करीब चार महीने में मई 2023 तक पूरा होने की संभावना है. यह गणना भारतीय वन्यजीव संस्थान की सहयोग से राज्य सरकार करवा रही है. गणना के तहत अभ्यारण्य में रहने वाले जंगली जानवरों की संख्या निर्धारित की जायेगी. इसका मकसद कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य को बाघों के अनुकूल बनाना है. बहुत जल्द इसे राज्य का दूसरा टाइगर रिजर्व घोषित होने की संभावना है, इसकी प्रक्रिया चल रही है.

वीटीआर से बड़ा है कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य

भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अभ्यारण्य में जंगली जानवरों की गणना के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के लगभग 90 अधिकारियों को प्रशिक्षण दे चुका है. इसके तहत अधिकारियों को जानवरों के नस्लों की पहचान, कम्पास, कैमरा सहित अन्य फील्ड उपकरणों के इस्तेमाल, बाघों की निगरानी आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया है. कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल राज्य के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर से बड़ा है. वीटीआर का क्षेत्रफल करीब 898 वर्ग किमी है, वहीं कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल करीब 1504.96 वर्ग किमी है.

सभी तरह के जंगली जानवर हैं

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के एपीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) प्रभात कुमार गुप्ता ने कहा कि कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य में भालू, चीतल, तेंदुए, सांभर, जंगली सुअर, नीलगाय, चौसिंघा ( चार सींग वाले मृग ) कृष्ण मृग, लकड़बग्धा, सियार व लोमड़ी सहित पक्षियों की बड़ी आबादी मौजूद है. यहां कैमरा ट्रैप में बाघ भी देखे गये हैं, लेकिन बाघ यहां स्थायी रूप से हैं या आसपास के जंगलों से आते हैं, इसकी जांच चल रही है.

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पड़ोसी राज्यों की सीमा से सटा है कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य

प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य की सीमा झारखंड सहित उत्तर प्रदेश के चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य से लगती है. यह मरिहान, सुकृत, चुनार रेंज और रानीपुर (उत्तर प्रदेश) सहित सोन घड़ियाल और बगधारा (मध्य प्रदेश) के जंगलों के माध्यम से मध्य प्रदेश के संजय दुबरी बाघ अभ्यारण्य और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा हुआ है.

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