पटना में ठंड की आहट से बढ़ने लगा AQI, गहराने लगा वायु प्रदूषण
पटना में मौसम बदलने से हवा का तापमान गिर रहा है और घनत्व बढ़ रहा है. इससे हवा के धूल कणों को ढोने की क्षमता बढ़ गयी है और एक बार उड़ने के बाद वे हवा में देर तक तैरते रहते हैं. इसके कारण हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है और एक्यूआइ बढ़ने लगा है.
दीपावली के खत्म होने के बाद से ही पटना का वायु प्रदूषण गहराने लगा है. सुबह और शाम में लगने वाली हल्की धुंध गुलाबी ठंड के आने का अहसास दे रही है वहीं हवा में तैरते धुल कण सांस लेने में परेशानी की वजह बन रहे हैं. सांस के कुछ मरीजों में तो इस बदलाव से गले में खुश्की और खांसी की समस्या शुरू भी हो गयी है जबकि कई इसके खतरे को भांपते हुए अभी से प्रीकॉशन लेना शुरू कर दिये हैं. यदि हवा खराब होने की यह गति जारी रही तो अगले माह जब ठंढ़ पीक पर होगा, सांस लेना भी परेशानी भरा हो जायेगा.
हवा का घनत्व बढ़ने से बढ़ रही तैरते धुलकणों की संख्या
मौसम बदलने से जैसे जैसे हवा का तापमान गिर रहा है उसका घनत्व बढ़ते जा रहा है. इससे हवा के धूल कणों को ढोने की क्षमता बढ़ गयी है और एक बार उड़ने के बाद वे हवा में देर तक तैरते रहते हैं. इसके कारण हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है और एक्यूआइ बढ़ने लगा है.
कई जगह 300 के पार पहुंचा एक्यूआइ
बीते पांच दिनों के आंकड़े को देखें तो पटना शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 267 तक पहुंच गया है. कई मॉनटरिंग स्टेशनों पर तो यह 300 के पार भी पहुंच चुका है. हालांकि सोमवार को मौसम साफ होने के कारण एक्यूआइ में थोड़ी कमी आयी और यह 200 के नीचे दर्ज की गयी.
बढ़ा एक्यूआइ दमा व सांस की एलर्जेटिक समस्याओं के लिए नुकसानदेह
200 से ऊपर एक्यूआइ के जाने पर वायु गुणवत्ता उस स्तर तक खराब हो जाती है जहां यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाती है. इससे लोगों को श्वांस संबंधी परेशानी हो रही है. खासकर जो दमा व सांस की एलर्जेटिक समस्याओं से ग्रसित हैं, उनकी परेशानी बढ़ जाती है. उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों की समस्या भी इससे बढ़ जाती है.
पशु पक्षियों को भी होती परेशानी
अनेक रिसर्च स्टडी बताते हैं कि आदमी ही नहीं पशु पक्षियों व अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर भी बढ़े एक्यूआइ में लगातार रहने पर खराब असर पड़ता है. उनका रक्तचाप बढ़ जाता है और एलर्जेटिक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं.