Loading election data...

Aurangabad News: आस्था का महान केन्द्र है भृगुरारी धाम, कार्तिक पूर्णिमा पर मदार संगम में स्नान कल

Aurangabad News: औरंगाबाद जिले के मदार संगम में हजारों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर डूबकी लगाते है. आइए जानते है यहां पर स्नान करने का महत्व क्या है...

By Radheshyam Kushwaha | November 14, 2024 5:11 PM

Aurangabad News: औरंगाबाद में कार्तिक पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालु स्नान दान करेंगे. क्योंकि मोक्ष के लिए विख्यात पुनपुन नदी एवं मदार तिनमुहान नदी के संगम के तट पर स्थित भृगुरारी धाम आस्था का केंद्र है, जहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का खास महत्व है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 को है. प्रकृति की गोद में बसा यह धाम गोह, हसपुरा और रफीगंज की सीमा पर स्थित है, जहां महर्षि भृगु ऋषि का आश्रम है. इसे भृगुरारी तथा कालांतर में भरारी के नाम से भी जाना जाता है. यह पौराणिक के साथ-साथ रमणीक और पवित्र तीर्थस्थल है.

मदार संगम में स्नान का महत्व

भृगुरारी स्थल के जानकार मौआरी गांव निवासी शिक्षक डॉ ज्योति कुमार ने बताया कि भृगुरारी धाम की महत्ता हजारों साल पुरानी है. यह धाम भृगु मुनि की साधना स्थली(तपोभूमि)रही है. यहां भृगु-संहिता नामक महान ग्रंथ की रचना महर्षि भृगु ऋषि ने की थी. कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां संगम पर स्नान के लिए लाखों की भीड़ जुटती है. स्नान के उपरांत दान-पुण्य और मां नकटी भवानी का दर्शन-पूजन की अनादि काल से परंपरा रही है. उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार त्रेता काल में भगवान राम अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए आकाश मार्ग से गया धाम जाने के क्रम में यहां से होकर गुजरे थे.

Also Read: मुजफ्फरपुर के 74 केंद्रों पर इंटर और 83 पर होगी मैट्रिक की परीक्षा, 2025 में होने वाली वार्षिक Examination की तैयारी शुरू

आस्था का महान केन्द्र है भृगुरारी धाम

धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम यहां पर महर्षि भृगु ऋषि का पावन दर्शन प्राप्त किए थे. फिर यहां पुनपुन और मंदार नदी संगम में स्नान कर पूजा -अर्चना भी की. यहां भृगु ऋषि के आश्रम के अलावे भगवती नकटी भवानी का प्राचीन मंदिर व शिवलिंग भी दर्शनीय है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां लगने वाले मेले में प्रसिद्ध सुथनी, कचरी, पानी-फल सिंघाड़ा और पिआव, भेड़ के बाल का बना कंबल की खरीदारी सहित अन्य सामग्री खाने की खास परंपरा है. हालांकि आस्था व विश्वास का महान केंद्र होने के बावजूद यह स्थल आज तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है.

Exit mobile version